2018 के विधानसभा चुनावों के पश्चात हाशिये पर सिमट चुकी कांग्रेस ने सपा बसपा इत्यादि के साथ मिल कर मध्यप्रदेश में सरकार बनाई है। बसपा ने अपना समर्थन वापिस लेने की बात कर दी है, और भाजपा ने भी कह दिया है की लोकसभा चुनावों के पश्चात इस नव निर्मित सरकार कुछ ही दिनों की मेहमान होगी। परंतु अपनी पुरानी चुनावी जीत से अभिभूत और नए सिरे से आत्मविश्वास से लबरेज कमाल नाथ और दिग्विजय सिंह भाजपा को सीधे सीधे टक्कर देने की जुगत में हैं। 2003 के बाद से हार के दर से कोई भी चुनाव न लड़ कर राज्य सभा में सुरक्शित सीट पाने वाले दिग्विजय सिंह भी कमलनाथ के सहारे भाजपा का गढ़ काही जाने वाली भोपाल सीट से चुनाव के प्रत्याशी होंगे। सांड रहे कि भाजपा भोपाल लोकसभा सीट पिछले 30 सालों से जीतती आ रही है। अत: भाजपा को इस सीट पर बेखबर मानना एक भूल भी हो सकती है।
भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने शनिवार को यहां राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भोपाल संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने की घोषणा की. कमलनाथ ने कहा कि केंद्रीय चुनाव समिति ने तय कर लिया है कि दिग्विजय सिंह भोपाल से चुनाव लड़ेंगे. इस नाम की मैं घोषणा कर सकता हूं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह को इंदौर, जबलपुर अथवा भोपाल से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया था. अंत में तय हुआ है कि दिग्विजय सिंह भोपाल से चुनाव लड़ेंगे. कमलनाथ ने पिछले दिनों कहा था कि दिग्विजय सिंह को कठिन सीट से चुनाव लड़ना चाहिए, लिहाजा कमलनाथ द्वारा कही गई बात पर केंद्रीय चुनाव समिति ने भी मुहर लगा दी है. भोपाल वह संसदीय क्षेत्र है, जहां लंबे अरसे से कांग्रेस को जीत नहीं मिली है.
कमलनाथ बोले- इस फैसले मैं बहुत खुश
कमलनाथ से
जब पूछा गया कि भोपाल से चुनाव लड़ाए जाने के फैसले से दिग्विजय सिंह खुश हैं या
नहीं? कमलनाथ ने
कहा, “यह तो उन्हीं से पूछिए, मगर मैं तो खुश हूं.”
दिग्विजय ने राज्य विधानसभा का अंतिम चुनाव 2003 में लड़ा था. उस चुनाव में
कांग्रेस को मिली हार के बाद उन्होंने 10 साल तक कोई चुनाव न लड़ने का ऐलान
किया था. इसी के चलते उन्होंने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है. दिग्विजय वर्तमान
में राज्यसभा सदस्य हैं. कांग्रेस की डेढ़ दशक बाद राज्य में सत्ता वापसी हुई है
और अब दिग्विजय सिंह भी चुनाव लड़ने को तैयार हैं.
1989 के बाद सभी चुनावाें में बीजेपी
जीती
भोपाल
संसदीय क्षेत्र के अब तक के चुनाव परिणामों पर नजर डालने पर पता चलता है कि यह सीट
भाजपा का गढ़ बन चुकी है. भोपाल में वर्ष 1989 के बाद से हुए सभी आठ चुनावों में
भाजपा उम्मीदवारों को जीत मिली है. यहां से सुशील चंद्र वर्मा, उमा भारती, पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी और
आलोक संजर चुने जा चुके हैं. वहीं इस संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के छह सांसद चुने
गए हैं, जिनमें
पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा प्रमुख रहे हैं. इसी तरह वर्ष 1967 में जनसंघ और वर्ष 1977 के चुनाव में लोकदल से आरिफ बेग
यहां से निर्वाचित हुए थे.
राज्य में लोकसभा की 29 सीटें हैं, जिनमें से 26 पर भाजपा का कब्जा है. तीन सीटें कांग्रेस के पास हैं. छिंदवाड़ा से कमलनाथ, गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया और रतलाम से कांतिलाल भूरिया कांग्रेस के सांसद हैं.
आसानी से नहीं खोना चाहेगी बीजेपी इस सीट को
इस सीट पर लंबे समय से बीजेपी का कब्जा रहा है. ऐसे में वह इस
सीट को कांग्रेस के पास नहीं जाने देगी. लेकिन उसे ये भी ध्यान रखना होगा कि
सामने दिग्विजय सिंह हैं. ऐसे में उसे भी अपना हेवीवेट उम्मीदवार ही मैदान में
उतारना होगा.