अलगाववादी संगठनों पर कसा शिकंजा
नई दिल्ली:
आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए मोदी सरकार ने शुक्रवार को बड़ा फैसला किया. केंद्र सरकार ने अलगाववादी नेता यासीन मलिक के संगठन JKLF (जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट) पर प्रतिबंध लगा दिया है. कैबिनेट की सुरक्षा समिति की बैठक में ये फैसला किया गया. सरकार ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत ये कार्रवाई की है.
यासीन मलिक पर आरोप है कि 1994 से भारत विरोधी गतिविधियां चलाते थे. वह देश के पासपोर्ट पर पाकिस्तान जाते और वहां पर देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहते थे. इससे पहले मोदी सरकार ने जमाते इस्लामी पर भी प्रतिबंध लगाया था. बैन लगाने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में गृह सचिव ने कहा, जेकेएलएफ देश की सुरक्षा के लिए खतरा है. उन्होंने बताया कि संगठन को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत प्रतिबंधित किया गया है। इसके प्रमुख यासीन मलिक गिरफ्तार हैं और फिलहाल वह जम्मू की कोट बलवल जेल में बंद हैं.
1988 से हिंसा में शामिल
सरकार ने
इस पर बैन लगाते हुए कहा है कि ये संगठन घाटी में 1988 से हिंसा में शामिल है. गृह सचिव
के अनुसार, कश्मीरी
पंडितों को घाटी से भगाने का मास्टर माइंड यासीन मलिक ही है. उसका संगठन कश्मीर
में पत्थरबाजों को पैसे देता है. वह इसके लिए बड़े पैमाने पर फंडिंग करता है.
पूरी घाटी में तिरंगे का विरोध करते थे
यासीन मलिक की गिनती उन अलगाववादी नेताओं में होती है, जो घाटी में भारत विरोधी गतिविधियों को हवा देते हैं. वह घाटी में तिरंगा के खिलाफ अभियान चलाते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यासीन मलिक जैसे नेताओं पर बहुत पहले बैन लगाया जाना चाहिए था. लेकिन ये बहुत देर में हुआ है. यासीन मलिक को सरकार ने करोड़ों रुपए देकर पाला है.
जमात ए इस्लामी को किया था बैन
28 फरवरी को केंद्र सरकार ने जमात-ए-इस्लामी (JIA) पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दल इस पर बैन हटाने की मांग लगातार कर रहे हैं. गृह मंत्रालय की कार्रवाई में जेईआइ के प्रमुख हामिद फैयाज सहित 350 से ज्यादा सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था. केंद्र के निर्देश पर अलगाववादी संगठनों और उनके नेताओं पर कार्रवाई करते हुए उनकी संपत्तियां भी जब्त कर लीं या सील कर दीं.
हुरियत नेता गिलानी पर कसा शिकंजा, फेमा के तहत मामला दर्ज
हुरियत
कान्फ्रेंस नेता सैयद अली शाह गिलानी पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कसा
है. ईडी ने शुक्रवार को बताया कि गिलानी को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा)
के तहत आरोपित किया गया है. ईडी निदेशक संजय मिश्रा ने कहा कि गिलानी के
जम्मू-कश्मीर स्थित घर से बिना हिसाब-किताब की विदेशी मुद्रा जब्त करने के बाद उन
पर 14.40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया.
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