Tuesday, December 24

जब माया-अखिलेश-राहुल देवबंद से अपने चुनाव प्रचार कि शुरुआत करते हैं तो वह धार्मिक सौहार्द कहलाता है, परंतु ठीक इसके विपरीत यदि योगी शककुंभरी देवी से आशीर्वाद ले कर चुनाव प्रचार आरंभ करते हैं तो यह घोर ध्रुवीकरण की राजनीति कहलाता है

नई दिल्ली: 

लोकसभा चुनाव 2019 के पहले और दूसरे चरण की अधिसूचना जारी हो चुकी है. इसी के साथ अब सभी राजनीतिक दल अपनी चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देने में मशगूल हैं. लोकसभा चुनाव में इस वक्त सभी की निगाहें उत्तर प्रदेश पर है क्योंकि यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं.

यूपी में सपा-बसपा-RLD गठबंधन ने नवरात्रि से चुनाव प्रचार करने का ऐलान किया है. अखिलेश-मायावती और चौधरी अजित सिंह 7 अप्रैल को सहारनपुर के देवबंद से संयुक्त चुनावी रैलियों की शुरूआत करेंगे. अखिलेश-माया के प्लान देवबंद से निपटने के लिए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी ख़ास प्लान तैयार किया है. यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ भी लोकसभा चुनाव प्रचार की शुरूआत सहारनपुर से करेंगे. योगी आदित्यनाथ 24 मार्च को सहारनपुर में हिंदुओं के प्रसिद्ध शक्तिपीठ शाकुम्भरी देवी मंदिर में दर्शन कर रैली करेंगे और फिर देर शाम मथुरा में भी एक चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे.

बता दें कि देवबंद अपने फतवों के लिए जाना जाता है. मुस्लिम समुदाय के सभी बड़े फ़तवे देवबंद से ही जारी होते हैं. हालांकि, जाट-मुस्लिम-दलित-यादव समीकरण को साधने के लिए ही सपा-बसपा और आरएलडी देवबंद से चुनावी रैली की शुरूआत कर रही है. लेकिन, बीजेपी विपक्ष के देवबंद वाले कार्ड पर हिंदुत्व को आगे कर रही है. यही कारण है कि सीएम योगी हिंदुओं के शक्तिपीठ से चुनाव प्रचार की शुरूआत करेंगे.

पश्चिमी यूपी को ध्रुवीकरण की प्रयोगशाला भी कहा जाता है. 2013 में मुज़फ्फरनगर दंगों के बाद पश्चिमी यूपी की राजनीति पूरी तरह से बदल चुकी है. एक दौर था, जब राष्ट्रीय लोकदल के जाट वोटबैंक के साथ मुस्लिम मतदाता को परहेज़ नहीं होता था. लेकिन, दंगों के बाद से सारे समीकरण बदल चुके थे और नतीजा ये हुआ कि चौधरी अजित सिंह अपनी परंपरागत सीट बागपत को भी नहीं बचा पाए और इस सीट पर बीजेपी का कब्ज़ा हो गया.

योगी आदित्यनाथ की पहली सभा शाकुम्भरी देवी मंदिर के पास से कराकर बीजेपी पश्चिमी यूपी के माहौल को बदलना चाहती है और जाट वोट बैंक को अपने पाले में लाना चाहती है. हालांकि, विपक्ष भी बीजेपी के सॉफ्ट हिंदुत्व की पिच पर ही बैटिंग करने की रणनीति तैयार कर चुका है, इसीलिए अखिलेश और मायावती ने चुनाव प्रचार की शुरूआत के लिए नवरात्रि का समय चुना है.