सत्ता का केंद्र चांदनी चौक
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 का बिगुल बज चुका है. चुनाव सात चरणों में होगा. पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल से शुरू होगा. अंतिम नतीजे 23 मई को आएंगे. चुनाव की चर्चा जोर पकड़ रही है. राजनीतिक दलों ने उम्मीदवारों का नाम तय करना शुरू कर दिया है. चुनाव की चर्चा के बीच, एक ऐसी सीट के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसके तथ्य चौंकाने वाले हैं. इस सीट पर जिस दल ने जीत हासिल की, उसी पार्टी की सरकार केंद्र में बनी. कम से कम पिछले 20 वर्षों से यह फैक्ट चला आ रहा है. यह सीट कोई और नहीं, बल्कि चांदनी चौक है.
चांदनी चौक दिल्ली के सात संसदीय क्षेत्रों में से एक है. चांदनी चौक सीट पुरानी दिल्ली के अंतर्गत आती है. आम आदमी पार्टी की ओर से इस सीट से पंकज गुप्ता मैदान में हैं. बीजेपी और कांग्रेस ने अभी कोई प्रत्याशी फाइनल नहीं किया. दिल्ली में 12 मई को मतदान होगा. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की तस्वीर भी साफ नहीं हो पाई है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सातों सीटों पर जीत हासिल की थी.
चांदनी चौक सीट से जुड़े तथ्य
इस सीट पर 1957 से लेकर 2014 तक कांग्रेस ने नौ बार जबकि बीजेपी ने चार बार जीत दर्ज की है. 1957 और 1962 में कांग्रेस के शाम नाथ इस लोकसभा क्षेत्र से लगातार दो बार सांसद रहे. 1967 के आम चुनावों में भारतीय जनसंघ ने पहली बार इसे कांग्रेस से छीना. जनसंघ के रामगोपाल शालवले 1967 में जीतने में कामयाब रहे. हालांकि, 1971 में कांग्रेस ने फिर से इस सीट पर कब्जा जमा लिया. सुभद्रा जोशी ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की.
1977 में एक बार फिर से कांग्रेस के हाथ से यह सीट निकली. इस चुनाव में जनता पार्टी के नेता सिकंदर बख्त सांसद चुने गए. 1980, 1984 और 1989 में कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा रहा. 1991 में बीजेपी से ताराचंद खंडेलवाल ने इस सीट पर फतह हासिल की. लेकिन 1996 में कांग्रेस ने एक बार फिर से यह सीट बीजेपी से वापस छीन ली. इसके बाद 1998 और 1999 में बीजेपी के विजय गोयल को जनता ने चुनकर संसद भेजा. इस दौरान अटल बिहारी के नेतृत्व में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी.
2004, 2009 में बनी रही परिपाटी
2004 के चुनाव में बीजेपी को इस सीट से निराशा मिली. कांग्रेस की ओर से कपिल सिब्बल ने जीत हासिल की. देश में यूपीए के नेतृत्व में डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने. 2009 में एक बार फिर कांग्रेस के पक्ष में फैसला आया और कपिल सिब्बल एक बार फिर से यहां से सांसद चुने गए. डॉ. मनमोहन सिंह फिर से देश के प्रधानमंत्री बने. 2014 के चुनाव में एक बार फिर से बाजी पलटी. बीजेपी के डॉ. हर्षवर्धन, आम आदमी पार्टी के आशुतोष और कांग्रेस के दिग्गज कपिल सिब्बल के बीच कड़ा मुकाबला हुआ लेकिन बाजी हर्षवर्धन के हाथ लगी. लोनरेंद्र मोदी ने देश के प्रधानमंत्री बने. देखना होगा कि क्या इस बार यह मिथक कायम रहता है या नहीं.
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