बिहार राजनीति के एक प्रमुख घटक रहे आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा राजग को छोड़ कांग्रेस और लालू से गलबहियाँ डालने चले गए थे। बहुत मनाने के बाद भी उन्होने अपना हाथ नहीं छोड़ा और अब उन्हें उनकी हठधर्मिता के चलते उनकी पार्टी ही में विघटन हो रहा है, अभी हाल ही में राम बिहारी सिंह का नाम भी इन्हीं कारणों से चर्चा में है।
पटनाः राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) से नेताओं के जाने का दौर जारी है. आरएलएसपी पार्टी से पहले ही कई बड़े नेता जो पार्टी के अहम पद पर पदस्थापित थे वह चले गए. अब पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल राम बिहारी सिंह ने शुक्रवार को पार्टी छोड़ दी. जिससे उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली इस पार्टी को लोकसभा चुनाव से पहले एक झटका लगा है.
आरएलएसपी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव राम बिहारी सिंह ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को छोड़कर विपक्ष के महागठबंधन में शामिल होकर लोगों के साथ ‘विश्वासघात’ करने का आरोप लगाया.
सिंह ने पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं उन कुछ लोगों में से था जिन्होंने उस समय कुशवाहा का समर्थन किया था जब उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जद (यू) से अपना रास्ता अलग करने का फैसला किया था. लेकिन आज वह सर्वेसर्वा बन गये है. मैंने राजग छोड़कर महागठबंधन में शामिल होने के उनके निर्णय का भी विरोध किया था लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी और मनमाने ढ़ंग से निर्णय लिया. ऐसा करके उन्होंने राजग सहयोगी के रूप में उन्हें वोट देने वाले लोगों को धोखा दिया है.’’
उन्होंने आरोप लगाया कि टिकटों के बंटवारे में कुशवाहा कॉरपोरेट के हाथों खेल रहे है. हालांकि उन्होंने इस संबंध में विस्तृत रूप से नहीं बताया. लेकिन उन्होंने कहा कि एनडीए में भी उन्हें तीन सीट मिल रही थी. और महागठबंधन में भी इससे अधिक मिलने की उम्मीद नहीं है. ऐसे में वह एनडीए में मंत्री पद पर होने के बाद भी क्यों महागठबंधन में आ गए.
आपको बता दें कि आरएलएसपी के एनडीए छोड़ने के साथ ही पार्टी के दो विधायक और एक एमएलसी ने कुशवाहा का साथ छोड़ दिया. वहीं, हाल ही में पार्टी के दो बर्खास्त नेता नागमणि और प्रदीप मिश्रा ने कुशवाहा पर टिकटों को ‘बेचने’ का आरोप लगाया था. आरएलएसपी प्रमुख ने इन आरोपों को खारिज किया था.