दिल्ली की सियासत पल पल बदलती है, कभी शीला दीक्षित के खिलाफ सबूतों की फ़ाइल ले कर घूमने वाले केजरीवाल अब शीला दीक्षित के द्वार के पायदान की तरह बर्ताव कर रहे थे हर पल कांग्रेस से गुहार लगात रहे गुहार क्या रिरियाते र्हए की गठबंधन कर लो। शीला के माना करने पर यूएनओने दिल्ली की सातों लोक सभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला क्यी लेकिन हरियाणा के लिए फिर से जजपा और कांग्रेस से गुहार लगाने लग पड़े। हरियाणा का तो पता नहीं लेकिन दिल्ली के पीसी चक ने शीला ए आत्मसम्मान को ताक पर रखते हुए दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन में जाने का फैसला किया है।
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के मुद्दे पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष शीला दीक्षित अकेली पड़ गयी हैं क्योंकि ‘ज्यादातर’ वरिष्ठ नेता तालमेल के पक्ष में हैं. कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको ने कहा कि बीजेपी को हराने का सबसे सही तरीका है आप से गठबंधन.
कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको ने कहा कि ‘कई नेता’ गठबंधन के पक्ष में हैं, हालांकि आप के साथ किसी तरह के तालमेल के बारे में फैसला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के स्तर पर होगा.
न्यूज एजेंसी एएनआई से पीसी चाको ने कहा, मैं पहले भी कह चुका हूं कि दिल्ली में हमें गठबंधन करना चाहिए. बीजेपी को हराने का सबसे सही तरीका यही है कि हम आप के साथ गठबंधन करें. उन्होंने कहा कि मैं और दूसरे कई लोग इस विचार के हैं. पार्टी अध्यक्ष जब भी फैसला लेंगे हर कोई इसका पालन करेगा.
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने शुक्रवार को बैठक की जिसमें शीला ने अपना रुख दोहराया कि आप के साथ गठबंधन नहीं होगा. बैठक में शामिल एक नेता ने बताया, ‘दिल्ली कांग्रेस के ज्यादातर नेता आप के साथ गठबंधन के पक्ष में हैं. उनका मानना है कि गठबंधन के जरिए ही दिल्ली में भाजपा को हराया जा सकता है.’
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने कहा कि गठबंधन को लेकर जो भी निर्णय होगा वो सभी नेताओं को स्वीकार होगा. चोपड़ा ने यह भी कहा कि भाजपा को किसी भी तरह से रोकना है, हालांकि उन्होंने आप के साथ गठबंधन को लेकर कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
गौरतलब है कि हाल में आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल गठबंधन के लिए कांग्रेस से लगातार गुहार लगाते रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले दिनों दिल्ली कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक की थी जिसमें ज्यादातर नेताओं ने गठबंधन के खिलाफ राय जाहिर की थी.