जब खेमका ने रोबर्ट वाड्रा की फ़ाइलस की जांच शुरू कर घोटालों का पर्दाफाश किया था तो भगवान थे चिदम्बरम जिनहोने कहा की “मैंने सब देख लिया है सब, ठीक है”। आज फिर वही भगवान सामने आ कर ‘सीएजी’ के बारे में कह रहे हैं की ‘सीएजी’ भगवान नहीं है, उसके ऊपर संसद हैं। यह संसद वही संसद है जिसमे प्रधान मंत्री मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली और रक्षामंत्री श्रीमती सीतारमण हैं। परंतु भगवान चिदम्बरम सिर्फ कांग्रेस के सांसदों ही को संसद मानते हैं। राफेल के सौदे को भारत सरकार, सर्वोच्च न्यायालय, भारतीय संसद, वायु सेना, राफेल की निर्माता कंपनी, सीएजी(नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) और फ्रांस की सरकार ने माना कि इस सौदे में कोई त्रुटि नहीं है। सब पाक साफ है, कोई घोटाला अथवा दलाली कि बात नहीं है। परंतु माननीय पी चिदम्बरम जी को पता नहीं क्यों यकीन है कि कोई भी रक्षा सौदा बिना दलाली के संभव नहीं।
कांग्रेस ने राफेल विमान सौदे से जुड़ी रिपोर्ट को लेकर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की आलोचना करते हुए गुरुवार को कहा कि कैग कोई भगवान नहीं है और इस मामले की छानबीन संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से ही सकती है क्योंकि संसद सर्वोच्च है.
पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा, ‘अगर आप राफेल से जुड़ी कैग रिपोर्ट के 33 पन्नों को पढ़ेंगे तो सौदे के कई छिपे पहलुओं के बारे में पता चलेगा. इसमें विमानों की संख्या, कीमत और आपूर्ति के समय जैसे पहलू शामिल हैं. इन्हें पढ़ने के बाद आपको निराशा होगी.’
उन्होंने कहा, ‘कैग रिपोर्ट में जो कहा गया है उस संदर्भ में यह महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि जो नहीं कहा गया है उसको लेकर यह रिपोर्ट महत्वपूर्ण है.’
पूर्व वित्त मंत्री ने आरोप लगाया, ‘कैग ने ऐसी रिपोर्ट सौंपी जिसमें कोई उपयोगी जानकारी, विश्लेषण या निष्कर्ष का उल्लेख नहीं है. कैग ने देश के लोगों को निराश कर दिया.’ उन्होंने दावा किया कि सरकार इस मामले में तथ्यों को छिपानी चाहती है और कैग ने उसकी मर्जी के मुताबिक काम किया है.
एक सवाल के जवाब में चिदंबरम ने कहा, ‘कैग भगवान नहीं है. उसने एक रिपोर्ट दी है. संसद सर्वोच्च है. संसद रिकॉर्ड की जांच कर सकती है और निष्कर्ष निकाल सकती है. संसद सत्र के आखिरी दिन कैग की रिपोर्ट पेश की गई ताकि लोकलेखा समिति इस पर विचार नहीं कर सके.’ एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कैग ने अपना ‘मजाक’ बनवाने दिया है.
गौरतलब है कि कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 36 लड़ाकू राफेल विमानों की खरीद के लिए राजग सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसाल्ट के साथ जो सौदा किया वह इन विमानों की खरीद के लिए 2007 में की गई तत्कालीन UPA सरकार की वार्ता पेशकश की तुलना में 2.86 फीसदी सस्ता है. हालांकि, रिपोर्ट में इन विमानों की कीमतों का जिक्र नहीं है.