Saturday, January 11

अखिलेश यादव का इलाहाबाद जाने का निर्णय पूर्णतया राजनीति से प्रेरित जान पड़ता है। अखिलेश के सचिव गंगा राम को लिखे गए पत्र के अनुसार विषविद्यालय अपने पूर्व के कटु अनुभवों के आधार पर यह निर्णय ले रहा है। इसके उपरांत भी अखिलेश उस कार्यक्र्म में जाने की जिद करते हैं और साथ ही साथ माया, ममता और नायडू के बयान का समय भी इसको प्रायोजित ही लगता है।

लखनऊ: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को उन्हें इलाहाबाद जाने से रोकने को लेकर केंद्र तथा प्रदेश की बीजेपी सरकारों पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की मिली-भगत के कारण ही लखनऊ हवाईअड्डे पर पुलिस और खुफिया विभाग के अफसरों ने उन्हें विमान पर चढ़ने से रोक दिया.

अखिलेश ने इस घटना के बाद आरोप लगाया कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में सपा समर्थित प्रत्याशी के हाथों अपने उम्मीदवार की हार से तिलमिलायी प्रदेश की बीजेपी सरकार ने मुझे छात्रसंघ कार्यक्रम में शामिल होने से रोक दिया. प्रदेश सरकार मुझे हवाई अड्डे पर नहीं रोक सकती थी, यह काम केंद्र सरकार का है. मुझे लगता है कि दिल्ली (केंद्र) की सरकार भी इसमें मिली हुई है. उन्होंने आरोप लगाया कि रात में स्थानीय अभिसूचना इकाई और पुलिस के कुछ अफसरों ने उनके घर की रेकी (टोह) की. मंगलवार सुबह साढ़े छह बजे तीन अधिकारी उनके घर के पास बैठा दिये गये.

वहीं, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने इस मामले पर कहा कि अखिलेश यादव के निजी सचिव को सोमवार को ही पत्र लिखकर सूचना दे दी गई थी. सामने आए पत्र के अनुसार, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने वार्षिक समारोह आदि कार्यक्रमों में नेताओं को आमंत्रित नहीं करने की बात कही है.

अखिलेश ने कहा कि स्थानीय पुलिस हवाई अड्डा परिसर में नहीं जा सकती क्योंकि उसकी सुरक्षा और प्रबंध किसी दूसरे बल के पास है. इसके बावजूद अफसर वहां पहुंचे और मुझे हवाई जहाज में चढ़ने से रोक दिया. मुझे रोकने वाले अफसर के पास कोई लिखित आदेश भी नहीं था. सपा अध्यक्ष ने कहा, ‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह रहे हैं कि मैं अराजकता और हिंसा फैलाने जा रहा था. मैं सन्यासी योगी से पूछना चाहता हूं कि अगर मेरे राजनीतिक जीवन में मेरे ऊपर एक भी धारा लगी हो तो बताएं.’