बुलन्दशहर की हिंसा पर अपनी आवाज बुलन्द करते हुए टीoवीo पर कहा कि मुझे अपने बच्चों के बारे में सोच कर बड़ी फिक्र होती है। कल को किसी भीड़ ने उन्हें घेर कर पूछा कि तुम हिंदू हो या मुसलमान तो मेरे बच्चों के पास कोई जवाब नहीं होगा। क्यों कि मैंने उन्हें ना हिंदू बनाया ना मुसलमान। मुझे हालात जल्दी सुधरते तो नजर नहीं आ रहे। मुझे डर नहीं लग रहा बल्कि गुस्सा आ रहा है।मैं चाहता हूँ कि हर इन्सान को गुस्सा आना चाहिये।
नसीरुद्दीन मानते हैं कि इन्सान की हत्या कानूनन अपराध है। क्या वो यह नहीं मानते कि गौ हत्या भी कानूनन अपराध है?वो गौ हत्या करने वाले कसाई यों के खिलाफ नहीं बोलते लेकिन गौ हत्या का विरोध करने वालों के खिलाफ बोलते हैं। क्या कारण है कि 21 गायों को काटने के बारे में कोई नहीं बोलता लेकिन असहिष्णुता के नये एपीसोड को लेकर नसीरुद्दीन शाह सामने हैं ? जिस नसीरुद्दीन को लोग हीरो मानते थे, अभिनेता मानते थे, आज उसे गाली दे रहे हैं। क्योंकि उसकी सच्चाई सामने आ चुकी है। भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि एक गाय के लिए हम अगर कई जन्म भी कुर्बान कर दे तो भी काफी नहीं है।
जिस सुमित की हत्या हुई उसकी बहन सुमित पर 15 सैकिण्ड बोली बाकी सारा समय वो गाय पर बोली। उसके माता-पिता भी अपने बेटे पर कम और गौ रक्षा के पर ज्यादा बोले। थैलियों का दूध पीने वाले नसीरुद्दीन शाह को क्या पता कि इस देश में गाय पर श्रद्धा रखने वाले 100 करोड़ से भी ज्यादा का एक सभ्य समाज है। अगर 21 गायों को काटा नहीं गया होता तो किसी प्रकार के दंगों की कोई संभावना नहीं होती। नसीरूद्दीन पैसे लेकर कुछ भी संवाद बोल सकते हैं यह हम विज्ञापनों में देख सकते हैं। लोगों का कहना है कि ऐसे लोगों को समुद्र में फेंक देना चाहिए अगर वह तैर सकते हैं तो तैर कर पाकिस्तान चले जाएं नहीं तो समुद्र के नीचे ओसामा बिन लादेन के पास चले जाएं।
1984 में हजारों लोगों को मारा गया। कश्मीर में हिंदू पंडितों को मारा गया और उन्हें बाहर कर विस्थापित कर दिया गया तब नसीरुद्दीन की आवाज नहीं निकली। नसीरूद्दीन शाह ने, जिस याकूब मेनन के लिए रात के 2:00 बजे अदालत के दरवाजे खुलवाए गये, इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। जिस देश में रहते हैं, जिसका अन्न खाते हैं, जो उन्हें शोहरत और पैसा देता है उसी के साथ गद्दारी करते हैं। लोग कहते हैं कि शाहरुख खान हो, आमिर खान हो, नसीरुद्दीन शाह हो, सब के सब एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं।
1983 के मुम्बई बम ब्लास्ट,1984 के दंगों के वक्त नसीरुद्दीन शाह नहीं जागा। अब जाग गया है क्योंकि 2018 आ रहा है और 2019 में चुनाव आ रहे हैं। शायद आने वाले चुनाव में जाने के लिए यह ड्रामा किया जा रहा है। लोगों की प्रतिक्रिया आ रही है कि यह नसीरूदीन नहीं जहरुद्दीन है। देश की फिजां में जहर घोलने का काम कर रहा है। नसीरुद्दीन ने ट्वीट कर कहा की एक शख्स जो कश्मीर में नहीं रहता, उसने कश्मीरी पंडितों की लड़ाई शुरू कर दी और खुद को विस्थापित कर दिया। इनका यह ट्वीट कश्मीरी पंडितों की लड़ाई लड़ने वाले अनुपम खेर के लिए किया गया है। वह खुद भी तो मुम्बई में रह कर बुलन्दशहर वालों के लिए क्यों लड़ रहे हैं। फिल्मी पर्दे पर अपनी सोच बदलने वाले असल जिंदगी में भी अपनी सोच कैसे बदल लेते हैं, देखने की बात है।