चौटाला की पैरोल रद्द, गए वापिस जेल
कार्यपालिका और न्यायपालिका दोनों ही विधानपालिका के लिए और उसके कहे पर ही काम करते हैं। जेल प्रशासन भी राज्य के अधिन्स्थ और मुख्य मंत्री के कहे अनुसार कार्य करता है। यदि मुख्यमंत्री न चाहे तो उच्च न्यायालय किसी की भी सुनवाई रद्द कर सकता है और किसी को भी मुख्यमंत्री के कहे अनुसार सज़ा या माफी सुना सकता है। यह मानना है इनेलो के प्र्देशाध्यक्ष का। सभी को याद है की किस प्रकार ताऊ देवी लाल भी किसानों को भड़काया करते थे की ‘पानी की ताकत तो निकाल ली, अब हमें बिना बिजली/ताकत का पानी दे रहे हैं, फसलें क्या खाक होंगी’ (भाखड़ा बांध के संदर्भ में) कोई आश्चर्य नहीं की इनेलो के प्रधेशाध्यक्ष भी एस ही कुछ कहें।
जींद: पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की पैरोल रद्द हो चुकी है. उन्हें हॉस्पिटल से वापस जेल भेज दिया गया है. इनेलो प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने प्रेस कांफ्रेस कर इसकी जानकारी दी.
इनेलो प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने ओपी चौटाला की पैरोल रद्द करने का इल्जाम जेजेपी पर लगाया है. उनका कहना है कि उनके पोतों ने केजरीवाल के साथ मिलकर दादा की पीठ में छुरा घोंपा है.
अशोक अरोड़ा ने जेजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि ओम प्रकाश चौटाला जींत में आकर उन लोगों की पोल खोल देते जो उनके आर्शीवाद मिलने की झूठी बातें कर रहे हैं. इसलिए उनकी पेरोल रद्द करने की साजिश रची गई.
वहीं दुष्यंत ने कहा है की कोई भी कार्यवाही जो उनके खिलाफ जाती है उसके लिए वह कैसे दोषी हो सकते हैं। यदि हम पेरोल रुकवाने में समर्थ हैं तो करवाने में भी तो समर्थ होते और अजय चौटाला पेरोल पर बाहर होते। उन्हे अपनी नाकामी अपने संगठन ही मेंढूंढनी चाहिए, की एस क्यों हुआ।
फिलहाल पेरोल रद्द होने के पीछे कोई षडयंत्र हो या न हो लेकिन जींद चुनाव के बीच इस खबर से इनेलो को झटका लगा है. वहीं जेजेपी खेमे में खुशी जरुर होगी.
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