‘भले ही हमारा मुश्किल वक्त चल रहा है, लेकिन हमें नजरअंदाज करना बड़ी भूल होगी.’अभिषेक मनु सिंघवी

भले ही माया- अखिलेश का गठबंधन हो गया हो परंतु इतिहास गवाह है की राष्टवादी ताकतों को रोकने के लिए और सत्ता प्राप्ति हेतु कांग्रेस चुनाव पश्चात भी गठजोड़ कर सकती है, जनता को पुन: चुनाव में न धकेलने की बात कह कर।

2019 के लोकसभा चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में गठबंधन का ऐलान हो चुका है. अखिलेश यादव और मायावती ने 2019 के रण को जीतने के लिए एक दूसरे पर भरोसा दिखाया है. हालांकि, महीनों से खबरें महागठबंधन की भी थीं. लेकिन दोनों पार्टियों ने कांग्रेस को किनारे लगा दिया और अब एक साथ मैदान में कूद रही हैं, जाहिर है कांग्रेस अलग-थलग पड़ गई है.

एसपी-बीएसपी गठबंधन पर कांग्रेस को लगता है कि अगले चुनावों में उसे नजरअंदाज करना बड़ी भूल होगी. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संभावित गठबंधन पर सवाल पूछे जाने पर शुक्रवार को कहा कि ‘भले ही हमारा मुश्किल वक्त चल रहा है, लेकिन हमें नजरअंदाज करना बड़ी भूल होगी.’

सूत्रों के मुताबिक, सिंघवी ने कहा कि सभी विपक्षी पार्टियों का सबसे बड़ा उद्देश्य केंद्र में बीजेपी और उसकी तानाशाही सरकार को हटाना होना चाहिए. उन्होंने आगे ये भी जोड़ा कि चूंकि सबका यही मानना है तो उन्हें लगता है कि भविष्य में उनका सामंजस्यपूर्ण गठबंधन जरूर होगा.

इसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता राजीव बक्शी ने भी कहा कि पार्टी लोकसभा चुनावों में अकेले ही लड़ने को तैयार थी. उन्होने कहा कि ‘हमारे पास लोकसभा में अकेले 45 सीटें हैं, जो किसी भी क्षेत्रीय पार्टी से ज्यादा हैं.’ उन्होंने ये भी कहा कि लोकसभा चुनावों में महागठबंधन किसी राष्ट्रीय चेहरे के इर्द-गिर्द होना चाहिए.

बता दें कि हाल ही में मायावती और अखिलेश ने दिल्ली में मुलाकात की थी, जिसके बाद इन संभावनाओं को तूल मिल गया था कि एसपी और बीएसपी लोकसभा चुनावों में गठबंधन कर रही हैं.

इसके बाद शुक्रवार को खबर आई कि माया और अखिलेश शनिवार को दोपहर 12 बजे जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले हैं. इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि इस पीसी में गठबंधन का ऐलान हो सकता है.

वहीं ये भी कहा जा रहा है कि दोनों पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग पर बात बन गई है. खबर है कि दोनों पार्टियां 38-38 सीटों पर कैंडीडेट खड़ा करेंगी. खबर ये भी है कि वो राहुल गांधी और सोनिया गांधी के गढ़ अमेठी और रायबरेली पर अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारेंगी और न ही अपना दल के उम्मीदवार के खिलाफ अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगी.

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