शायद यह अंतिम शब्द नहीं है: चिदंबरम

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पी चिदंबरम ने कहा- शायद यह अंतिम शब्द नहीं है, चुनाव के दृष्टिकोण के अनुसार कुछ पुनर्विचार होगा

अखिलेश माया के 38-38 के फार्मूले पर जहां भाजपा खेमे में मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है वहीं कांग्रेस में तो बिलकुल हताशा वाली स्थिति है। एक के बाद एक कांग्रेस के दिग्गज नेता ब्यान दे रहे हैं की यह अंतिम वाक्य नहीं है। भाजपा और खासकर मोदी को सत्ता से दूर रखने के लिए जब सभी दलों का यही मत है तो चुनाव लड़ने को लेकर कोई कैसे अलग रह सकता है? कुछ को उम्मीद है की गठबंधन तो चुनावों के पश्चात भी तो किए जा सकते हैं तो फिर निराश क्यों हुआ जाये। परंतु प्रतक्ष्य: चेहरे उतरे हुए और वाणी धीमी है।

साल 1993 में एक साथ चुनाव लड़ने के 25 साल बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने शनिवार को एकबार फिर से आगामी लोकसभा चुनाव साथ में लड़ने का ऐलान कर दिया. एसपी मुखिया अखिलेश यादव और बीएसपी सुप्रीमो ने लखनऊ में सांझा प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर इस बात का ऐलान किया. एसपी और बीएसपी आगामी लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत उत्तर प्रदेश की 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. दो सीटें छोटी पार्टियों के लिए छोड़ी गई हैं जबकि अमेठी और रायबरेली की दो सीटें कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ना तय किया गया है. हालांकि कांग्रेस इस गठबंधन में शामिल नहीं है.

एसपी-बीएसपी गठबंधन पर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा- शायद यह अंतिम शब्द नहीं है, चुनाव के दृष्टिकोण के अनुसार कुछ पुनर्विचार होगा. सही मायने में यूपी में व्यापक आधार वाला गठबंधन बनाया जाएगा. अगर जरूरत पड़ी तो कांग्रेस पार्टी अपने बल पर चुनाव लड़ेगी.

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