लखनऊ : यूपी की राजनीति में शनिवार का दिन बड़ा अहम रहा. अब तक एक दूसरे की विरोधी रही बसपा और सपा ने अगले चुनावों में गठबंधन का निर्णय किया है. इसके लिए दोनों दलों के नेताओं ने लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की घोषणा की. दोनों पार्टियां यूपी में 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगीं. 4 सीटें उन्होंने अभी छोड़ रखी हैं. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों के निशाने पर बीजेपी और पीएम मोदी रहे. लेकिन मायावती ने एक समय इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव पर भी इशारों इशारों में हमला किया.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने साझा प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश के चाचा शिवपाल की पार्टी का मजाक उडाते हुये कहा कि ‘भाजपा का पैसा बेकार हो जायेगा क्योंकि वह ही शिवपाल की पार्टी चला रही है.’ दरअसल ये कहा जाता है कि शिवपाल की पार्टी को बीजेपी का समर्थन हासिल है. जब मायावती अपने अंदाज में शिवपाल पर चुटकी ले रही थीं, उस समय अखिलेश मंद मंद मुस्करा रहे थे.
प्रसपा ने भाजपा के आरोप को बताया निराधार
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने शनिवार को इस आरोप को ‘झूठा एवं निराधार’ बताया कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव को आर्थिक सहयोग दिया जा रहा है. प्रसपा के मुख्य प्रवक्ता सी पी राय ने एक बयान जारी कर कहा, ‘ मायावती द्वारा यह आरोप लगाया गया कि भाजपा द्वारा शिवपाल यादव को आर्थिक सहयोग दिया जा रहा है, यह आरोप झूठा एवं निराधार है.’
उन्होंने कहा, ‘यह सभी को पता है कि कौन लोग आर्थिक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और कौन सी पार्टी में टिकट बेचे जाते हैं.’ राय ने कहा कि प्रसपा पर भाजपा से मिले होने का आरोप लगाया गया है, यह आरोप पूर्णतया तथ्यहीन व बेबुनियाद हैं. आम जनमानस और मीडिया को यह पता है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के साथ मिलकर बार-बार किसने सरकार बनाई है.
उन्होंने कहा कि अखिलेश का जब जन्म भी नहीं हुआ था, उसके पहले से ही उत्तर प्रदेश में शिवपाल भाजपा और साम्प्रदायिक शक्तियों के खिलाफ सबसे मुखर रहे हैं. राय ने कहा कि अखिलेश को यह समझना चाहिए कि इसके पूर्व भी मायावती पिछड़ों, दलितों और मुसलमानों का वोट लेकर भाजपा की गोद में बैठ चुकी हैं. ऐसे में कहीं ऐसा न हो कि इतिहास फिर से स्वयं को दोहराए और मायावती चुनाव के बाद भाजपा से जा मिलें.