1993 में एक साथ चुनाव लड़ने के 25 साल बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने शनिवार को एकबार फिर से आगामी लोकसभा चुनाव साथ में लड़ने का ऐलान कर दिया. एसपी मुखिया अखिलेश यादव और बीएसपी सुप्रीमो ने लखनऊ में सांझा प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर इ बात का ऐलान किया. एसपी और बीएसपी आगामी लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत उत्तर प्रदेश की 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. दो सीटें छोटी पार्टियों के लिए छोड़ी गई हैं जबकि अमेठी और रायबरेली की दो सीटें कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ना तय किया गया है. हालांकि कांग्रेस इस गठबंधन में शामिल नहीं है.
बीएसपी सुप्रीमो मायावती के साथ एसपी मुखिया अखिलेश यादव ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. इस दौरान मायावती ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि एसपी-बीएसपी गठबंधन से गुरु-चेला (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह) की नींद उड़ जाएगी.
गठबंधन कितना लंबा चलेगा, इस सवाल पर मायावती ने कहा कि गठबंधन स्थायी है. यह सिर्फ लोकसभा चुनाव तक नहीं है बल्कि उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में भी चलेगा और उसके बाद भी चलेगा. मायावती ने कहा कि बीजेपी ने इस गठबंधन को तोड़ने के लिए एसपी प्रमुख अखिलेश यादव का नाम जानबूझकर खनन मामले से जोड़ा.
बीजेपी की घिनौनी हरकत से एसपी-बीएसपी गठबंधन होगा मजबूत
उन्होंने कहा, ‘बीजेपी को मालूम होना चाहिए कि उनकी इस घिनौनी हरकत से एसपी-बीएसपी गठबंधन को और ज्यादा मजबूती मिलेगी.’ गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं किए जाने के बारे में मायावती ने कहा कि कांग्रेस के वर्षों के शासन के दौरान गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई. उन्होंने कहा कि सरकार बदलती है लेकिन नीतियां नहीं बदलती. पहले भी रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार होता है और अब भी हो रहा है.
मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कम से कम दो बार जोर देकर 1995 गेस्ट हाउस कांड का जिक्र किया और कहा कि उनकी पार्टी ने जनहित और देशहित में उसे भूलाकर एसपी के साथ गठबंधन करने का फैसला लिया है. अखिलेश ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ने उत्तर प्रदेश को ‘जाति प्रदेश’ बना दिया है, और तो और बीजेपी ने भगवानों को भी जाति में बांट दिया. एसपी मुखिया ने यह आशंका भी जताई कि बीजेपी दंगा फसाद करा सकती है.
उन्होंने कहा कि एसपी-बीएसपी का गठबंधन केवल चुनावी गठबंधन नहीं है बल्कि यह गठबंधन बीजेपी के अत्याचार का अंत भी है. ‘बीजेपी के अहंकार का विनाश करने के लिए बीएसपी और एसपी का मिलना बहुत जरूरी था.’ अखिलेश ने कहा, ‘मायावती का सम्मान मेरा सम्मान है. अगर बीजेपी का कोई नेता मायावती का अपमान करता है तो एसपी कार्यकर्ता समझ लें कि वह मायावती का नहीं बल्कि मेरा अपमान है.’