हम किसी के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि हमें कानून के अनुसार चलना चाहिए: खड़गे

आज जब सीबीआई प्रमुख पद से हटाये गए आलोक वर्मा ने स्वयं ही इस्तीफा दे दिया है तब मलिकार्जुन खडगे जी का ब्यान संदेहास्पद है। कुछ बातें संदेह उपजातीं हैं। क्या आलोक वर्मा की बहाली कांग्रेस की सोची समझी चाल थी? कहीं नलिनी चिदम्बरम की गिरफ्तारी तो आलोक वर्मा के निलम्बन के आड़े नहीं आ रही थी? आज जब नलिनी को मद्रास हाई कोर्ट से बेल मिल गयी है तो खडगे जी के स्वर क्यों एक दम नर्म पड़ गए? कुछ तो गड़बड़ है

सेलेक्शन कमेटी की बैठक के बाद सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को उनके पद से हटा दिया गया. यह फैसला 2-1 से लिया गया. कमेटी में शामिल विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस फैसले पर असहमति जताई थी जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुप्रीम कोर्ट के जस्ट‍िस ए. के. सीकरी ने इसका समर्थन किया था. सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को बहाल करते हुए कहा था कि उन्हें हटाए जाने की प्रक्रिया गलत थी.

कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने पूर्व सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा पर कहा- बैठक बुलाए बिना, निदेशक को हटा दिया गया. बैठक बुलाने के बाद भी, सभी दस्तावेज समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं किए गए. सीवीसी की रिपोर्ट के आधार पर ही कार्रवाई की गई. इसमें जस्टिस पटनायक की रिपोर्ट शामिल नहीं थी.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- हम किसी के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि हमें कानून के अनुसार चलना चाहिए. हम आलोक वर्मा का बचाव नहीं कर रहे हैं. सवाल नियुक्ति और समाप्ति की प्रक्रिया के बारे में है. दोनों पक्षों को सुना जाना चाहिए. केवल एक रिपोर्ट देखी गई और निर्णय लिया गया.

सीवीसी को कोई अधिकारी नहीं चाहता था कि सीबीआई चीफ को हटाए. सि‍लेक्शन कमेटी सीबीआई चीफ का चुनाव करती है और सि‍लेक्शन कमेटी ही उन्हें हटा सकती है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आलोक वर्मा ने पद संभाल लिया था. कोर्ट ने आदेश दिया था कि वह कोई नीतिगत फैसले नहीं लेंगे, लेकिन उन्होंने आते ही कार्यवाहक सीबीआई चीफ के एम नागेश्वर राव के आदेश को पलटते हुए उनके किए ट्रांसफर रद्द कर दिए थे.

बताया गया कि नागेश्वर ने जिनके ट्रांसफर किए वे आलोक वर्मा से जुड़े लोग थे. बैठक के दौरान खड़गे ने कहा कि वर्मा को दंडित नहीं किया जाना चाहिए और उनका कार्यकाल 77 दिन के लिए बढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि इस अवधि के लिए वर्मा को छुट्टी पर भेजा गया था. यह दूसरा मौका था जब खड़गे ने वर्मा को पद से हटाने पर आपत्ति जताई. सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान जस्टिस सीकरी ने कहा कि वर्मा के खिलाफ कुछ आरोप हैं, इस पर खड़गे ने कहा था, ‘आरोप कहां हैं’?’

नलिनी चिदम्बरम को शारदा चिटफंड मामले में मद्रास उच्च न्यायालय से 4 हफ्तों की अग्रिम जमानत

न्यायमूर्ति जी. के. इलान्तिरैयन ने नलिनी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें चार हफ्ते की अंतरिम जमानत दी

मद्रास उच्च न्यायालय ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी को शारदा चिट फंट मामले में सीबीआई की गिरफ्तारी से शनिवार को अंतरिम सुरक्षा दे दी. उन्हें यह सुरक्षा तब तक दी गई है जब तक उन्हें पश्चिम बंगाल में एक अदालत से अग्रिम जमानत नहीं मिल जाती.

न्यायमूर्ति जी. के. इलान्तिरैयन ने नलिनी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया. उन्होंने नलिनी को चार हफ्ते की अंतरिम जमानत दी और उन्हें यहां एगमोर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष आत्मसमर्पण करने और जमानत देने के निर्देश दिए. इसके बाद उन्हें पश्चिम बंगाल में अदालत का रुख करने और नियमित अग्रिम जमानत हासिल करने के निर्देश दिए गए.

वहीं विशेष लोक अभियोजक (प्रवर्तन निदेशालय) जी. हेमा ने याचिका का विरोध किया और दलील दी कि अदालत को नलिनी की याचिका पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह मामला उसके अधिकार क्षेत्र का नहीं है. ईडी ने धन शोधन निरोधक कानून के तहत इस मामले में प्रवर्तन मामला प्राथमिकी रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की थी.

सरकार ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ के लिए केंद्रीय एजेंसियों का कर रही है दुरुपयोग

वरिष्ठ वकील नलिनी ने गिरफ्तारी की आशंका से यह याचिका दायर की. इससे एक दिन पहले सीबीआई ने कोलकाता की एक कोर्ट में उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर किया जिसमें कहा गया है कि उन्होंने शारदा समूह की कंपनियों से 1.4 करोड़ रुपए प्राप्त किए. ये कंपनियां चिटफंड घोटाले में शामिल हैं.

नलिनी ने अपनी याचिका में कहा कि यह राशि पॉजीटिव टीवी के संबंध में मनोरंजन सिंह की तरफ से शारदा रियलिटी लिमिटेड ने वैध भुगतान किया था. उन्होंने कहा कि कथित चिटफंड घोटाले के संबंध में शारदा समूह के मालिक सुदिप्तो सेन और उनकी कंपनियों के खिलाफ सीबीआई के पूर्व आरोपपत्रों में उनका नाम नहीं है.

नलिनी की ओर से पेश वकील ने कहा,‘पूर्ववर्ती आरोपपत्र के विपरीत 11 जनवरी को सीबीआई ने आईपीसी के तहत साजिश समेत अन्य अपराधों के लिए पश्चिम बंगाल के समक्ष छठा पूरक आरोपपत्र दायर किया जिसमें घोटाले में उनके शामिल होने का आरोप लगाया गया.’

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ के कारण उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ झूठ मामले दायर करके केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है. सीबीआई ने आरोप लगाया था कि नलिनी ने सेन और अन्य आरोपियों के साथ मिलकर शारदा समूह की कंपनियों के फंड का गबन करने और धोखाधड़ी करने की साजिश रची.

राष्ट्रपति की आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 फीसदी कोटा बिल को मंजूरी

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 फीसदी कोटा बिल को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही अब सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में सामान्य वर्ग के परिवार जिनकी आमदनी 8 लाख रुपए सालाना से कम है वो 10 फीसदी आरक्षण हासिल कर सकेंगे. आर्थिक तौर पर पिछड़े सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण दिए जाने वाले बिल पर राष्ट्रपति की मुहर लगते ही अब ये बिल कानून बन गया है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक एक हफ्ते में इसका लाभ भी उठाया जा सकेगा. इस दौरान सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के जरिए एक हफ्ते के भीतर कानून से जुड़े प्रावधानों को अंतिम रूप दिया जाएगा.

दरअसल, नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने 7 जनवरी को सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर मुहर लगाई थी. 8 जनवरी को लोकसभा में संविधान का 124वां संशोधन विधेयक 2019 पेश किया गया. उसी दिन इसे लोकसभा में पास करवा लिया गया. इसके समर्थन में 323 वोट पड़े.

अगले ही दिन 9 जनवरी को इस बिल को राज्यसभा में लाया गया. इसके लिए राज्यसभा की बैठक को एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया था. राज्यसभा में भी इस बिल को हरी झंडी मिल गई थी. राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 165 वोट पड़े थे, जबकि विरोध में 7 वोट रहे. दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद इसे आखिरकार राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई है.

शायरा बनो और एचएस फूलका राजनाथ सिंह द्वारा सम्मानित होंगे

फुलका को पिछले तीन दशक से अदालत में 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने के लिए सम्मानित किया जाएगा.

नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व नेता एच एस फुलका और कार्यकर्ता शायरा बानू को एक कार्यक्रम में सम्मानित करेंगे.
फुलका को पिछले तीन दशक से अदालत में 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने और बानू को तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए सम्मानित किया जाएगा. यह कार्यक्रम केंद्रीय मंत्री विजय गोयल के आवास अशोका रोड पर आयोजित होगा.

गोयल ने बताया, ‘सिख विरोधी दंगा मामले की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए फुलका को और तीन तलाक को अदालत में चुनौती देने वाली शायरा बानू को गृहमंत्री राजनाथ सिंह सम्मानित करेंगे.’ 

शायरा बानू ने उच्चतम न्यायालय से तीन तलाक को खत्म करने के लिए संपर्क किया था. अपने मौलिक अधिकारों का हवाला देते हुए वह इस पर्सनल कानून को चुनौती देने वाली पहली मुस्लिम महिला थी. 

फुलका ने इस महीने की शुरुआत में छोड़ दी थी आप 
फुलका ने इस महीने की शुरुआत में बिना कारण बताए आप से इस्तीफा दे दिया था. वह गोयल से उनके जन्मदिन पर चार जनवरी को भी शुभकामनाएं देने के लिए मिले थे. ऐसी संभावना जताई जा रही थी कि वह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. 

फुलका आप से इस्तीफा देने की वजहों के बारे में बात करने से इनकार करते रहे हैं. उन्होंने पंजाब में मादक पदार्थ के खतरों से लड़ने और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के राजनीतिकरण के खिलाफ गैर-राजनीतिक संगठन बनाने की इच्छा जाहिर की थी.

हालांकि फुलका आप और कांग्रेस के बीच किसी भी तरह के गठबंधन के विरुद्ध थे. हालांकि दोनों पार्टियों के बीच चुनाव से पूर्व गठबंधन की बात चल रही है जबकि दोनों ही आधिकारिक तौर पर इससे इंकार कर रहे हैं. 

सूत्रों का दावा है कि राजीव गांधी से भारत रत्न छीनने की मांग पर आम आदमी पार्टी के रुख से भी फुलका नाराज थे. फुलका ने अपने अगले राजनीतिक कदम की घोषणा नहीं की है. हालांकि उन्होंने साफ कहा है कि वह अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. 

3.5 करोड़ की कमाई के साथ द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर ने की अछि शुरुआत

नई दिल्ली: बॉलीवुड एक्टर अनुपम खेर और अक्षय खन्ना की फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ शुक्रवार (11 जनवरी) को सिनेमाघरों में रिलीज हो हुई. सच्‍ची घटना पर आधारित इस फिल्‍म को दर्शकों ने काफी पसंद किया है और यही वजह है कि इस ने पहले ही दिन बॉक्स ऑफिस पर हंगामा मचा दिया है. यह फिल्म भारतीय नीति विश्लेषक संजय बारू की किताब ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर, द मेकिंग एंड एनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह’ पर आधारित है. उन्होंने इसे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के जीवन में हुई घटनाओं के आधार पर लिखा था. संजय बारू उनके मीडिया सलाहकार भी रहे हैं. हंसल मेहता ने इस किताब पर फिल्म बनाई है और डायरेक्शन विजय रत्नाकर गुट्टे ने किया है

बॉक्स ऑफिस इंडिया के अनुसार इस फिल्म ने अपने रिलीज के पहले दिन लगभग 3.5 करोड़ रुपये की कमाई करने में सफलता हासिल की है. गौरतलब है कि अपने ट्रेलर के रिलीज के बाद से ही यह फिल्म विवादों में घिर चुकी थी. फिल्म को लेकर कई नेताओं के बयान भी सामने आए थे. यहां तक कि ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के ट्रेलर पर प्रतिबंध लगाने की याचिका भी दिल्ली हाइकोर्ट में दायर की गई थी, जिसे बाद में कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ की कहानी की बात की जाए तो यह फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और गांधी परिवार के बीच रिश्तों पर आधारित है या यह कह लें कि यह फिल्म न्यूक्लियर डील को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और गांधी परिवार के बीच जो विवाद थे उसी पर आधारित है. राजनीति में दिलचस्प रखने वालों लोगों के लिए ये एक जबरदस्त फिल्म है, लेकिन राजनीति से दूर रहने वालों को शायद ही यह फिल्म ज्यादा समक्ष में आए.

फिल्म में अभिनय की बात की जाए, तो सभी किरदारों ने जबरदस्त भूमिका निभाई है. डॉ. मनमोहन सिंह की भूमिका में अनुपम खेर और सोनिया गांधी की भूमिका में सुजैन बर्नर्ट के अलावा संजय बारू के किरदार में अक्षय खन्ना ने तो मानो फिल्म में जान फूंक दी हो. फिल्म में अक्षय खन्ना संजय बारू के किरदार में है, जो मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार थे. फिल्म में अक्षय आपको स्टोरी सुनाते नजर आएंगे. अक्षय खन्ना का किरदार फिल्म की जान है. 

मकर संक्रांति को प्रात: आदित्य ह्रदय स्तोत्र का करें पाठ

नई दिल्ली: हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक मकर संक्रांति पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है. हिंदू धर्म में सूर्य की पूजा की जाती है और उन्हें सूर्य देवता के रूप में पूजा जाता है, जो पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों का पोषण करते हैं. इस बार मकर मकर संक्रांति के पर्व पर एक खास योग बन रहा है. साल 2019 में मकर संक्रांति सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जायेगा.

खत्म होगा मलमास
सूर्य के मकर राशि में आने से मलमास समाप्त होगा, जिससे मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे. सूर्य जब मकर, कुंभ, मीन, मेष, वृष और मिथुन राशि में सूर्य रहता है, तब ये ग्रह उत्तरायण होता है. जब सूर्य शेष राशियों कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि में रहता है, तब दक्षिणायन होता है. 

ऐसे करें पूजा
मकर संक्रांति पर सुबह जल्दी उठें और स्नान करें.
संभव हो तो तीर्थ स्नान पर स्नान करें, इससे पुण्य की प्राप्ति होती है. 
स्नान के बाद तांबे के लोटे में लाल फूल और चावल डालकर सूर्य को जल चढ़ाएं. 
मंदिर में गुड़ और काले तिल का दान करें. ये शुभ होता है. 
भगवान को गुड़-तिल के लड्डू का भोग लगाएं और भक्तों को प्रसाद वितरित करें. 

आदित्य ह्रदय स्तोत्र का करें पाठ
ज्योतिष के अनुसार, सूर्य के मकर राशि में प्रवेश पर उसकी किरणों से अमृत की बरसात होने लगती है. इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं. इसलिए मकर संक्रांति पर सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है. ऐसे में अगर भाषा व उच्चारण शुद्ध हो तो आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ अवश्य करें क्योंकि यह एक बहुत ही फलदायक रहेगा. 

इस मंत्र का करें जाप
सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जाप 108 बार करें, लाभ होगा. 

बिष्णुपुर से लोक सभा प्रत्याशी होंगे सौमित्र खान

कोलकाता: तृणमूल को छोड़ बीजेपी में शामिह हुए पश्चिम बंगाल के बिष्णुपुर बाहुबली सांसद सौमित्र ख़ान की शर्त को बीजेपी द्वारा मान लिया गया है और उन्हें उन्हीं के गढ़ बिष्णुपुर से लोकसभा प्रत्याशी के रूप में उतारने का फैसला किया है. बीजेपी सूत्रों द्वारा ही इसका खुलासा हुआ है. बता दें, सौमित्र ख़ान बुधवार को ही बीजेपी में शामिल हुए हैं.

तृणमूल से निकलने के बाद बाहुबली सांसद सौमित्र ख़ान के राजनैतिक भविष्य को लेकर
राजनैतिक माहौल में सरगर्मियां तेज़ हो गईं थी. जिसके बाद बीजेपी में शामिल होने से पहले सौमित्र ने दो शर्ते रखी थीं. पहली शर्त ये थी की उन्हें बिष्णुपुर से लोकसभा का टिकट दिया जाए और दूसरी शर्त यह थी की युवा बीजेपी मोर्चा का अध्यक्ष उन्हें बनाया जाए. हालांकि, सौमित्र की दूसरी शर्त को बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने मानने से इंकार कर दिया है लेकिन उनकी पहली शर्त मान ली गई है. 

2019 के लोकसभा चुनाव में बिष्णुपुर से सौमित्र ख़ान का नाम तय हो गया है. बीजेपी ने ख़ान को अपने चुनावी क्षेत्र में संपर्क बढ़ाने के लिए कहा है जिसके चलते कहा जा सकता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सौमित्र ख़ान बिष्णुपुर से चुनाव लड़ने के लिए तत्पर हैं. अब सिर्फ घोषणा होने का इंतजार है. मंगलवार रात से सौमित्र खबरों में थे कि उनकी हत्या की साजिश रची जा रही है और उनके सहायक का अपहरण करने की कोशिश की जा रही है. जिसके चलते उन्होंने एक फेसबुक लाइव भी किया था और उसके बाद बुधवार को वह बीजेपी में शामिल हो गए. 

तृणमूल कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होते ही सौमित्र ने तृणमूल पर आरोपों की झड़ी लगा दी. बुधवार दोपहर को बीजेपी सदर दफ्तर में बैठकर उन्होंने आरोप लगाते हुए बंगाल में कहा, ‘अभी दीदी-भतीजे का राज चल रहा है. युवाओ के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है’ और इसके बाद से ही तृणमूल युवा कांग्रेस के अध्यक्ष तथा डायमंड हारबर से सांसद अभिषेक बनर्जी ने सौमित्र ख़ान को चैलेंज दे दिया और कहा अगर हिम्मत है तो चुनाव में जीत कर दिखाएं. इसके जवाब में सौमित्र ख़ान ने कहा की बिष्णुपुर की जनता ही इसका फैसला करेगी. 

ख़ान ने कांग्रेस से की थी राजनीतिक जीवन की शुरुआत
सौमित्र ख़ान ने अपने राजनितिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी जिसके बाद वो तृणमूल में शामिल हो गए और विधायक भी बने. फिर तृणमूल की तरफ से उन्हें लोकसभा की टिकट भी मिला और साल 2014 में बांकुड़ा के बिष्णुपुर लोकसभा से वह पहली बार सांसद बने लेकिन सूत्रों की माने तो पिछले कुछ दिनों से ही सौमित्र और तृणमूल के बीच सम्बन्धो में खटास आ गई थी. बीजेपी में शामिल होने के लिए चुपके चुपके बातचीत भी चल रही थी और अंत में बुधवार को उन्होंने तृणमूल को छोड़ BJP का हाथ थाम लिया.

चाचा यादव पर बोलो बुआ तो बअउआ मुसकुराते रहे

लखनऊ : यूपी की राजनीति में शनिवार का दिन बड़ा अहम रहा. अब तक एक दूसरे की विरोधी रही बसपा और सपा ने अगले चुनावों में गठबंधन का निर्णय किया है. इसके लिए दोनों दलों के नेताओं ने लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की घोषणा की. दोनों पार्टियां यूपी में 38-38 सीटों पर चुनाव  लड़ेंगीं. 4 सीटें उन्होंने अभी छोड़ रखी हैं. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों के निशाने पर बीजेपी और पीएम मोदी रहे. लेकिन मायावती ने एक समय इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव पर भी इशारों इशारों में हमला किया.

बसपा सुप्रीमो मायावती ने साझा प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश के चाचा शिवपाल की पार्टी का मजाक उडाते हुये कहा कि ‘भाजपा का पैसा बेकार हो जायेगा क्योंकि वह ही शिवपाल की पार्टी चला रही है.’ दरअसल ये कहा जाता है कि शिवपाल की पार्टी को बीजेपी का समर्थन हासिल है. जब मायावती अपने अंदाज में शिवपाल पर चुटकी ले रही थीं, उस समय अखिलेश मंद मंद मुस्करा रहे थे.

प्रसपा ने भाजपा के आरोप को बताया निराधार
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने शनिवार को इस आरोप को ‘झूठा एवं निराधार’ बताया कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव को आर्थिक सहयोग दिया जा रहा है. प्रसपा के मुख्य प्रवक्ता सी पी राय ने एक बयान जारी कर कहा, ‘ मायावती द्वारा यह आरोप लगाया गया कि भाजपा द्वारा शिवपाल यादव को आर्थिक सहयोग दिया जा रहा है, यह आरोप झूठा एवं निराधार है.’

उन्होंने कहा, ‘यह सभी को पता है कि कौन लोग आर्थिक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और कौन सी पार्टी में टिकट बेचे जाते हैं.’ राय ने कहा कि प्रसपा पर भाजपा से मिले होने का आरोप लगाया गया है, यह आरोप पूर्णतया तथ्यहीन व बेबुनियाद हैं. आम जनमानस और मीडिया को यह पता है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के साथ मिलकर बार-बार किसने सरकार बनाई है.

उन्होंने कहा कि अखिलेश का जब जन्म भी नहीं हुआ था, उसके पहले से ही उत्तर प्रदेश में शिवपाल भाजपा और साम्प्रदायिक शक्तियों के खिलाफ सबसे मुखर रहे हैं. राय ने कहा कि अखिलेश को यह समझना चाहिए कि इसके पूर्व भी मायावती पिछड़ों, दलितों और मुसलमानों का वोट लेकर भाजपा की गोद में बैठ चुकी हैं. ऐसे में कहीं ऐसा न हो कि इतिहास फिर से स्वयं को दोहराए और मायावती चुनाव के बाद भाजपा से जा मिलें.

बीएसपी और एसपी के नेताओं के प्रति मेरे मन में अगाध श्रद्धा है, वे जो करना चाहते हैं उन्हें करने का अधिकार है: राहुल गांधी

हालांकि एसपी-बीएसपी के इस गठबंधन में दो सीटें छोटी पार्टियों के लिए छोड़ी गई हैं. जबकि अमेठी और रायबरेली की दो सीटें कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ना तय किया गया है. हालांकि कांग्रेस इस गठबंधन में शामिल नहीं है.

बीएसपी-एसपी गठबंधन पर चहुं ओर से प्रतिक्रियाएँ आ रहीं हैं कांग्रेस की ओर से आने वाली प्रतिक्रियाएँ संभावित ही हैं। बसपा सुप्रीमो ने जहां अपनि पत्रकार वार्ता में कांग्रेस पर दोषारोपण करते हुए कई बातें कहीं और अपना विरोध जताया वहीं उन्होने अमेठी और रायबरेली की सीट पीआर गठबंधन द्वारा की भी प्रत्याशी न उतरे जाने की बात कह अपने गठबंधन के कुछ रोशदान खुले रखने की ओर संकेत दिया है। जहां आज कांग्रेस के दिग्गजों में भरी निराशा व्याप्त थी वहीं राहुल गांधी के शब्द बहुत नपे तुले और संजीदा थे।

एसपी और बीएसपी लोकसभा चुनाव 2019 में गठबंधन के तहत उत्तर प्रदेश की 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. दोनों पार्टियों ने लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन का ऐलान किया है. इस गठबंधन पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि एसपी और बीएसपी जो करना चाहते हैं, उन्हें वो करने का अधिकार है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यूएई के दौरे पर है. दुबई में उन्होंने कहा ‘कांग्रेस पार्टी के पास उत्तर प्रदेश के लोगों को देने के लिए बहुत कुछ है. बीएसपी और एसपी के नेताओं के प्रति मेरे मन में अगाध श्रद्धा है, वे जो करना चाहते हैं उन्हें करने का अधिकार है.’

राहुल गांधी ने कहा ‘बीएसपी और एसपी ने एक राजनीतिक निर्णय लिया है. यह हम पर है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को कैसे मजबूत किया जाए. हम अपनी पूरी क्षमता के साथ लड़ेंगे.’

दुबई में पाकिस्तान को लेकर राहुल गांधी ने कहा  ‘मैं पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण संबंध के समर्थन में हूं, लेकिन मैं पाकिस्तानी के जरिए निर्दोष भारतीयों पर की जा रही हिंसा को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करूंगा.’

दूसरी तरफ एसपी-बीएसपी के गठबंधन में दो सीटें छोटी पार्टियों के लिए छोड़ी गई हैं. जबकि अमेठी और रायबरेली की दो सीटें कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ना तय किया गया है. हालांकि कांग्रेस इस गठबंधन में शामिल नहीं है.

वहीं इस गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं किए जाने के बारे में मायावती ने कहा कि कांग्रेस के सालों के शासन के दौरान गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार में इजाफा हुआ. उन्होंने कहा कि सरकार बदलती है लेकिन नीतियां नहीं बदलती. पहले भी रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार होता था और अब भी हो रहा है.

शायद यह अंतिम शब्द नहीं है: चिदंबरम

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पी चिदंबरम ने कहा- शायद यह अंतिम शब्द नहीं है, चुनाव के दृष्टिकोण के अनुसार कुछ पुनर्विचार होगा

अखिलेश माया के 38-38 के फार्मूले पर जहां भाजपा खेमे में मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है वहीं कांग्रेस में तो बिलकुल हताशा वाली स्थिति है। एक के बाद एक कांग्रेस के दिग्गज नेता ब्यान दे रहे हैं की यह अंतिम वाक्य नहीं है। भाजपा और खासकर मोदी को सत्ता से दूर रखने के लिए जब सभी दलों का यही मत है तो चुनाव लड़ने को लेकर कोई कैसे अलग रह सकता है? कुछ को उम्मीद है की गठबंधन तो चुनावों के पश्चात भी तो किए जा सकते हैं तो फिर निराश क्यों हुआ जाये। परंतु प्रतक्ष्य: चेहरे उतरे हुए और वाणी धीमी है।

साल 1993 में एक साथ चुनाव लड़ने के 25 साल बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने शनिवार को एकबार फिर से आगामी लोकसभा चुनाव साथ में लड़ने का ऐलान कर दिया. एसपी मुखिया अखिलेश यादव और बीएसपी सुप्रीमो ने लखनऊ में सांझा प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर इस बात का ऐलान किया. एसपी और बीएसपी आगामी लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत उत्तर प्रदेश की 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. दो सीटें छोटी पार्टियों के लिए छोड़ी गई हैं जबकि अमेठी और रायबरेली की दो सीटें कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ना तय किया गया है. हालांकि कांग्रेस इस गठबंधन में शामिल नहीं है.

एसपी-बीएसपी गठबंधन पर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा- शायद यह अंतिम शब्द नहीं है, चुनाव के दृष्टिकोण के अनुसार कुछ पुनर्विचार होगा. सही मायने में यूपी में व्यापक आधार वाला गठबंधन बनाया जाएगा. अगर जरूरत पड़ी तो कांग्रेस पार्टी अपने बल पर चुनाव लड़ेगी.