छत्रपति मर्डर केस में चारों आरोपी दोषी करार दिये गए, यह है सुनवाई अपडेट जानें “पूरा सच”

ख़बर फोटो और वीडियो: सारिका तिवारी, कमल कलसी और राज कुमार

3:14 PM, उसके बाद arrest कर लिया जायेगा 3:13 PM, चारों आरोपियों का Medical चल रहा है
3:13 Sentence to be pronounced on 17th
3:12 Conviction बाद
3:11 चारों दोषी करार

2:49 pm पंचकूला की सीबीआई कोर्ट से फैसला दोपहर बाद आएगा

फिलहाल कोर्ट में बाबा गुरमीत राम रहीम वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए जबकि बाकी तीनो आरोपी प्रत्यक्ष तौर र हाजरी के लिए  पेश हुए है

कोर्ट लंच के बाद सुनवाई करते हुए आरोपियों को दोषी करार कर  दे सकती

एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर मोहम्मद अकील ने दी जानकारी

कोर्ट से दोपहर बाद मामले में फैसला आने की उम्मीद है

सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम पुख्ता है– अकील

1:16 pm police briefing
1:16 pm, Police briefing

1:24 pm : पिछली गलतियों से सबक लेते हुए पंचकुला प्रशासन को कोई भी कोताही न बरतते हुए शहर और इसके नागरिकों की सुरक्षा के सारे इंतेजाम चाक चौबन्द रखने चाहिये ताकि पिछले हादसों की पुनरावृति न हो। याद दिला दें कि पिछली बार जो शहर का हाल डेरा दंगाइयों ने किया था उसे याद कर आज भी शहर वासी सिहर उठते हैं।

12: 24 pm: फतेहाबाद, राम रहीम के लिये सीबीआई के गवाह फतेहाबाद निवासी पत्रकार आर.के. सेठी ने कोर्ट से मांगी फांसी की सजा, कहा-16 साल की लड़ाई और हर पल मौत को सामने देखने के बाद आया है इंसाफ का दिन, बोले- रामचन्द्र छत्रपति ने जब डेरा सच्चा-सौदा की करतूतों को छापा तो हमने भी अपने सांध्य दैनिक में डेरा की करतूतों की न्यूज़ आइटम छापीं, हमारा ऑफिस तहस-नहस किया गया, मेरे घर व परिवार को जिंदा जलाने के प्रयास किया गया, लेकिन रामचन्द्र छत्रपति की हत्या होने के बाद 21 साल की उम्र में रामचन्द्र छत्रपति जी के बेटे अंशुल छत्रपति के हौंसले से सच की लड़ाई लड़ने में आगे बढ़े, गवाह सेठी बोले- सीबीआई कोर्ट में गवाही के दौरान राम-रहीम के सामने मैं गया तो राम-रहीम ऐसे खड़ा था जैसे सच सामने देख कर कोई शख्स डर जाता है, अब गुंडे राम रहीम को फांसी हो, यही कोर्ट से उम्मीद है।

10: 11 am: छत्रपति मर्डर मामले में सी॰बी॰आई कोर्ट के स्पेशल जज जगदीप सिंह और आरोपी कोर्ट पहुंचे।पुलिस किसी को भी बिना जांच के परिसर में प्रवेश नहीं करने दे रही

घटनाक्रम जो छत्रपति की हत्या का कारण बना

समाचार पत्रों के संपादकों के पास पहुँचने के बाद डेरा सच्चा सौदा को अनाम चिट्ठी की चर्चा अभी कुछ खास लोगों तक ही सीमित थी की 30 मई 2002 को रोड़ी बाज़ार में घटित एक घटना के बाद ‘पूरा सच’ में छपी एक ख़बर से यह चर्चा आम जनता की ज़ुबान पर आ गई। पूरा सच ने डेरे की परतें उधेड़नी प्रारम्भ कर दीं। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख व प्रबंध समिति वास्तविकता सामने आने से बौखला गई ओर छात्रपाती को समाप्त करने के लिए डेरा प्रमुख के हुक्म पर प्रबन्धक किशन लाल ने दो कटीलों को भेज दिया, जिनहोने छत्रपती पर अंधाधुंध गोलीय चला कर अपने काम को अंजाम दिया।

सिलसिलेवार जानकारी:

      30 मई, 2002 को रोड़ी बाज़ार में डेरा सच्चा सौदा के कार चालक की एक पुलिस अधिकारी से कहासुनी के बाद उक्त अधिकारी ने साध्वी की चिट्ठी का राज़ आम लोगों के बीच खोल दिया। ‘पूरा सच’ ने इस ख़बर को ‘कार चालक के हाथ ने खोल दिया धार्मिक डेरे का कच्चा चिट्ठा’ के शीर्षक से छापा।

      30 मई को ही ‘पूरा सच’ ने ‘धर्म के नाम पर किए जा रहे साध्वियों के जीवन बर्बाद’ शीर्षक से बॉक्स कलाम में समाचार छाप कर अनाम साध्वी की चिट्ठी में लिखी बातों का उल्लेख किया।

      ‘पूरा सच’ को अगले ही दिन से फोन पर धमकियाँ मिलनी शुरू हो गईं।

      रोड़ी बाज़ार में किन्हीं लोगों ने साधवी के पत्र की फोटो प्रतियाँ बाँटीं। शक के आधार पर डेरा के अनुयायीओन ने चाय काफी की दुकान करने वाले प्यारे लाल सेठी को घेरा। उसकी पिटाई करने और प्र्टादित करने के बाद सेठी क छोड़ दिया गया।

      साध्वी की चिट्ठी की चर्चा रतिया में पहुंची तो डेरा अनुयायियों ने 3 जून को फोटोस्टेट का कारोबार करने वाले दो दूकानदारों को घेर लिया। बाला जी फ़ोटोस्टेट के मालिक सरमेश लाली और सेठी फ़ोटोस्टेट के मालिक सुरेन्द्र सेठी पर आरोप था की इनहोने चर्चित चिट्ठी को फ़ोटोस्टेट करके बेचा है। फलस्वरूप लठियाँ चलीं और पत्थरबाजी हुई। दोनों तरफ से लोग गिरफ्तार हुए। बाद में राजीनामा ही गया।

      फतेहाबाद के सांध्य दैनिक ‘लेखा जोखा’ के कार्यकारी संपादक आर॰के॰सेठी ने जून 6 को अपने समाचारपत्र में एक लेख लिख कर चिट्ठी में लिखी बातों की जांच किए जाने का प्रश्न उठाया तो बौखलाए डेरा प्रेमियों ने उसी रात ‘लेखा जोखा’ कार्यालय में तोड़ फोड़ कर दी। चार डेरा प्रेमियों की गिरफ्तारी के बाद हजारों डेरा प्रेमियों ने दबाव बनाने के लिए 7 जून को ठाणे का घेराव किया। पुलिस को दबाव में आ कर संपादक को गिरफ्तार करना पड़ा, नतीजा माफीनामा।

      पूरा सच में ‘लेखा जोखा’ प्रकरण को को 7 जून को विस्तार से छापा और ‘ कलाम के खिलाफ जुनूनी गुस्सा’ के शीर्षक से उक्त घटना का ब्योरा दिया।

      27 जून को डेरा प्रेमियों ने साध्वी की चिट्ठी को लेकर डबवाली में एक वकील के साथ दुरावयवहार किया गया और उसके चैंबर कर ताला तोड़ने का प्रयास किया गया। ‘पूरा सच’ ने इस घटना का भी पूरा ब्योरा अपने अखबार में दिया।

      14 जुलाई को डबवाली के डेरा प्रेमियों ने वहाँ के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में बैठक कर रहे तर्कशीलों को घेरा  और स्कूल के गेट बंद कर उन पर हमला किया। मामला ठाणे तक पहुंचा। बाद में राजीनामा हुआ। तर्कशीलों पर आरोप था की वह ‘साध्वी की चिट्ठी को ले कर सच्चा सौदा के खिलाफ कोई योजना तैयार करने के लिए बैठक कर रहे थे।

      ‘पूरा सच’ ने डेरा प्रेमियों और तर्कशीलों के संघर्ष को पूरे तथ्यों के अनुसार छापा।

      ‘पूरा सच’ मे डेरे के खिलाफ छापने वाली खबरों पर प्रतिबंध की मांग को लेकर डेरा सच्चा सौदा का प्रतिनिधि मण्डल उपायुक्त से मिला।

      ‘साध्वियों की चिट्ठी की जांच सी॰बी॰आई॰ को 6 मास में करनी होगी’ ‘डेरा सच्चा सौदा की स्कूली बस की टक्कर से दो घायल’, प्रशासन ‘पूरा सच’ में खबरें छापने पर पाबंदी नहीं लगा सकते।

      ‘टीम को स्क्रेच से बचाने हेतु सेमीफिनल में हरवाया। जाँच में शाह सत्नाम स्कूल के दो खिलाड़ी ओवर एज पाये गए।‘

      ‘डेरा सच्चा सौदा के सत्संगों में सी॰बी॰आई॰ जाँच की छाया देखी गयी

      ‘डेरा कैंटर और जीप की टक्कर में वकील की मौत, चार घायल। घायल जीप मेंपड़े कराहते रहे, डेरा प्रेमी भजन गाते रहे।

      डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालुओं की सूमों ने टक्कर मार कर बच्चे को घायल किया।

      सच्चा सौदा वाले कर रहे हैं उच्च नयायालय की अवमानना।

      डेरा सच्चा सौदा के आरोप सच पाये जाने पर सांसद बराड़ दे देंगे इस्तीफा, डेरा प्रेयोन द्वारा पत्रकारों से मार पीट और हमलों को झूठा बताया। बराड़ का साक्षात्कार: देहधारी को गुरु मानना क्या यह गुरुमत की अवमानना नहीं?

      डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालुओं ने छत्रपति को जान से मरने के लिए गोलियां चलाईं, छत्रपति गंभीर रूप से घायल। मौके से पकड़े गए हमलावरों ने डेरा प्रबन्धक किशन लाल द्वारा हथियार दिये जाने व छत्रपति को शोध देने की बात स्वीकार करते हुए षड्यंत्र से पर्दा उठाया।

स्थापना से लेकर विवादों तक देर सच्चा सौदा

      1948 में डेरा सच्चा सौदा की स्थापना शाह मस्तान ने की

      1990 में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह ने  गद्दी संभाली।

      1998 में गाँव बेगु का एक बच्चा डेरे की जीप तले कुचला गया। गाँव वालों के साथ डेरे का विवाद हो गया। इस घटना का समाचार प्रकाशित करने वाले समाचार पत्रों के नुमाइंदों को धमकाया गया। डेरा पप्रेमी गाडियाँ भर सिरसा के दैनिक सांध्य रामा टाइम्स के कार्यालय में आ धमके और पत्रकार विश्वजीत शर्मा को धम्की दी। डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति और मीडिया कर्मियों की पंचायत हुई जिसमें डेरा सच्चा सौदा की ओर से लिखित माफी मांगी गई और विवाद का पटाक्षेप हुआ।

      मई 2002 में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगाते हुए डेरे की एक साध्वी द्वारा गुमनाम पत्र प्रधानमंत्री को भेजा गया। जिसकी एक प्रति पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्ययायलय के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजी गयी।

      20 जुलाई 2002 को डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे कुरुक्षेत्र के रणजीत का कत्ल हुआ। आरोप डेरा प्रमुख पर लगे। पुलिस जाँच से असनातुष्ट रंजीत के पिता ने जनवरी 2003 में उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सी॰बी॰आई॰ जाँच की की मांग की।

      24 सितंबर 2002 को उच्च न्यायालय ने साध्वियों के पत्र का संगयान लेते हुए डेरा सचका सौदा की सी॰बी॰आई। की जाँच के आदेश दिए। सी॰बी॰आई ने मामला दर्ज़ कर जाँच शुरू कर दी।

      24 अक्तूबर 2002 को सिरसा सांध्य दैनिक ‘पूरा सच’ के संपादक पर डेरे के गुर्गों द्वारा कातिलाना हमला किया गया। छत्रपति को घर से बाहर बुला कर पाँच गोलियां मारीं गईं।

      25 अक्टोबर को छत्रपति पर हमले के विरोध स्वरूप शहर बंद। उत्तर भारत में पत्रकार पर हमले को ले कर डेरे का विरोध मुखर हुआ। मीडिया कर्मियों ने जगह जगह धरणे प्रदर्शन किए।

      16 एनवीएमबीआर को सिरसा में मीडिया की महापंचायत बुलाई और डेरा सच्चा सौदा का बाईकॉट करने का पीआरएन लिया गया।

      21 नवंबर, 2002 को सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की दिल्ली के अपोलो हस्पताल में मौत हुई।

      दिसंबर 2002 को छत्रपति परिवार ने पुलिस जाँच से असन्तुष्ट हो कर मुख्य मंत्री से मामले की जाँच सी॰बी॰आई से करवाए जाने की मांग की। परिवार का आरोप था की पुलिस हत्या के मुख्यारोपी एवं सजीशकर्ता को बचा रही है।

      जनवरी 2003 में पत्रकार छत्रपति के पुत्र अंशुल छत्रपति ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर छत्रपति प्रकरण में सी॰बी॰आई जाँच करवाए जाने की मांग की। याचिका में डेरा प्रमुख पर छत्रपति की हत्या का आरोप था।

      10 नवंबर, 2003 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने पत्रकार छत्रपति व रणजीत मर्डर केस में सी॰बी॰आई को एफ़॰ई॰आर॰ दर्ज़ कर जाँच के आदेश जारी किए।

      दिसंबर 2003 में सी॰बी॰आई ने छत्रपति और रंजीत हत्याकांड में जाँच शुरू कर दी।

      दिसंबर 2003 में डेरा प्रेमियों ने सर्वोच्च न्यायालय में में याचिका दायर कर सी॰बी॰आई जाँच पर रोक लगाने की मांग की। सर्वोच्च न्यायालय ने जाँच पर स्टे दे दिया।

      एनवीएमबीआर 2004 में दूसरे पक्ष की सुनवाई के बाद डेरा की याचिका को खारिज कर दिया और सी॰बी॰आई जाँच जारी रखने के आदेश दिये।

      सी॰बी॰आई ने पुन: मामले की जाँच शुरू करते हुए डेरा प्रमुख सहित कई आँय को आरोपी बनाया। बौखलाए डेरा प्रेमियों ने सी॰बी॰आई के खिलाफ हजारों की संख्या में आकार चंडीगढ़ में प्रदर्शन किया।

      मई 2007 में डेरा प्रमुख ने डेरा सलवातपुरा (भटिंडा पंजाब) में सीख गुरु गोबिन्द सिंह जैसी वेषभूषा धारण कर फटो खिंचवाए और उन्हे अखबारों में प्रदर्शित करवाया।

      13 मई, 2007 क सिखों ने गुरु गोबिन्द सिंह जी की नकल किए जाने के विरोध में डेरा प्रमुख का पतला फूंका। प्रदर्शनकारियों पर डेरा प्रेमियों ने हमला बोल दिया। जिसके फलस्वरूप 14 मई, 2007 को पूरे उत्तर भारत में हिंसक घटनाएँ हुईं। सिखों व डेरा प्रेमियों के बीच जगह जगह टकराव हुए।

      17 मई को प्रदर्शन कर रहे सिखों पर सुनाम में डेरा प्रेमी ने गोली चलाई, जिसमें सीख युवक कोमल सिंह की मौत हो गयी। इसके बाद सीख जत्थे बंदियों ने डेरा प्रमुख की गिरफ्तारी को ले कर आंदोलन किया। पंजाब में डेरा प्रमुख के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गयी, डेरा प्रेमी झुकने को तैयार नहीं थे। बिगड़ती स्थिति को देखते हुए पंजाब एवं हरियाणा मे सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया।

      18 जून, 2007 को भटिंडा की अदालत ने राजेन्द्र सिंह संधु की याचिका पर डेरा प्रमुख के गैर ज़मानती वारंट जारी कर दिये। इससे डेरा सच्चा सौदा मीन बौखलाहट बढ़ गयी और डेरा प्रेमियों ने पंजाब की बादल सरकार के खिलाफ जगह जगह हिंसक प्रदर्शन किया

      16 जुलाई, 2007 को सिरसा के गाँव घुक्कांवाली में प्रशासनिक पाबंदी के बावजूद नामचारचा राखी गयी, नाम चर्चा में डेरा प्रमुख काफिले सहित शामिल होने पहुंचा। सिखों ने काफिले को काले झंडे दिखाए, इस बात से दोनों पक्षों में टकराव शुरू हो गया। देखते ही देखते भीड़ ने उग्र रूप धरण कर लिया और हिंसक हो उठे। डेरा प्रमुख को नाम चर्च बीच ही में छोड़ कर भागना पड़ा।

      24 जुलाई, 2007 को गाँव मल्लेवाल में नामचारचा के दौरान एक डेरा प्रेमी ने अपनी बंदूक से फायर कर दिया जिससे तीन पुलिसकर्मियों सहित 8 सिख  घायल हो गए। माहौल फिर से तनावपूर्ण हो गया। सिखों ने डेरप्रेमियों पर लगाम कसने को ले कर जगह जगह प्रदर्शन किए। पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने घायलों का हाल चाल जाना और हरियाणा सरकार से सिक्खों की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता जताई।

      31 जुलाई, 2007 को सी॰बी॰आई ने हत्या और साध्वी यों शोषण मामले में जाँच पूरी कर न्यायालय में चालान पेश कर दिया। सी॰बी॰आई ने तीनों मामलों मीन डेरा प्रमुख को ही मुख्यारोपी बनाया। न्यायालय ने डेरा प्रमुख को 31 अगस्त 2007 तक अदालत में एष होने का आदेश जारी कर दिया। डेरे ने सी॰बी॰आई विशेष जज को भी धमकी भरा पत्र भेजा जिसके चलते जज को सुरक्षा मांगनी पड़ी। मामला अभी तक न्यायालय में विचारधीन है।

      वर्ष 2010 में डेरे के ही एक साधू फकीर चंद की र्हसायमाई गुमशुडगी को लेकर उच्च न्यायालय ने सी॰बी॰आई जाँच के आदेश दिये, बौखलाए डेरा प्रेमियों ने हरियाणा, पंजाब व राजस्थान में एक साथ सरकारी संपाती को नुकसान पहुंचाया और बसों में आगजनी की

दिसंबर 2012 में सिरसा में नाम चर्च को लेकर डेरा प्रेमियों और सिख आमने सामने हुए। यहाँ डेरा प्रेमियों ने गुंडई दिखाई और गुरुद्वारे पर हमला बोला। इसके अलावा चुन चुन कर सिक्खों के वाहनों को आग के हवाले किया गया और उन पर पत्थर बाज़ी भी की गयी। सिरसा में स्थिति को काबू करने के लिए कर्फ़्यू लगन पड़ा।

      2010 में डेरा के ही पूर्व साधु राम कुमार बिश्नोई ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर डेरा के पूर्व मैनेजर फ़कीर चंद की गुमशुदगी की सीबीआई जांच की मांग की. बिश्नोई का आरोप था कि डेरा प्रमुख के आदेश पर फ़कीरचंद की हत्या कर दी गई.

      इस मामले में भी उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच के आदेश दिए. हालांकि सीबीआई जांच के दौरान मामले में सुबूत नहीं जुटा पाई और क्लोज़र रिपोर्ट फाइल कर दी. बिश्नोई ने उच्च न्यायालय में क्लोज़र को चुनौती दे रखी है.

      फ़तेहाबाद ज़िले के कस्बा टोहाना के रहने वाले हंसराज चौहान (पूर्व डेरा साधू) ने जुलाई 2012 में उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख पर डेरा के 400 साधुओं को नपुंसक बनाए जाने का आरोप लगाया था.

      अदालत के सामने 166 साधुओं का नाम सहित विवरण प्रस्तुत किया गया. यह मामला भी अदालत में विचाराधीन है.

      26 अगस्त, 2017 को फैसला सुनाने का दिन तय किया गया। 24 अगस्त, 2017 से ही पंचकुला में डेरा प्रेमियों की आमद शुरू हो गयी। शहर के पार्क सड़कें और पार्किंग स्थल डेरा प्रेमियों द्वारा पाट दिये गए।

      26 अगस्त 2017 को डेरा प्रमुख को पंचकुला की विशेष सी॰बी॰आई॰ अदालत ने राम रहीम को दोषी करार दिया और 28 अगस्त को फैसला सुनाने की बात कही। 

      फैसला सुनाए जाने का तुरंत बाद देश भर में डेरा प्रेमियों का उत्पात शुरू हो गया। पंचकुला में तो स्थिति बहुत ही भयावह थी। डेरा प्रेमियों ने इतनी मार काट मचाई कि शहरवासियों कि सुरक्षा के लिए फौज कि सहायता लेनी पड़ी।

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