रविशंकर प्रसाद ने आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों को आरक्षण देने वाले बिल पर चर्चा के दौरान कहा किसी राज्य को अगर 8 लाख रुपए की सालाना इनकम पर आपत्ति है तो वो अपने राज्य के लिए इसे कम करके सालाना 5 लाख रुपए कर सकते हैं
राज्यसभा में आर्थिक रुप से पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिए जाने के बिल पर चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कई खास बिंदू सदन के समक्ष उठाए. उन्होंने कहा मंडल कमीशन आने के बाद नरसिम्हा राव ने सामान्य वर्ग के आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों को आरक्षण देने की बात की थी. तब इंदिरा साहनी ने यह मुद्दा उठाया और कहा, अभी के हालात में आप आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण नहीं दे सकते हैं. उन्होंने इसके पीछे संविधान में संशोधन न करने की बात का जिक्र भी किया.
कम कर सकते हैं सालाना इनकम की कैपिंग
इसके बाद उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा, ‘हम आरक्षण के लिए मौलिक अधिकार में बदलाव कर रहे हैं. हम धारा 15 में एक क्लॉज जोड़ रहे हैं. जिसमें सरकारी स्कूल, कॉलेज और नौकरियों में आरक्षण देंगे.’ उन्होंने कहा, ‘यह सिर्फ केंद्र सरकार में नहीं बल्कि प्रदेश की नौकरी और स्कूल-कॉलेजों पर भी लागू होगा. किसी राज्य को अगर 8 लाख रुपए की सालाना इनकम पर आपत्ति है तो वो अपने राज्य के लिए इसे कम करके सालाना 5 लाख रुपए कर सकते हैं.’
देरी के सवाल पर भी रविशंकर प्रसाद ने दिया जवाब
मौजूदा सरकार के कार्यकाल के आखिरी दौर में इस तरह का बिल लाने से संबंधित सवाल पर प्रसाद ने कहा, ‘हम देर से आए लेकिन दुरुस्त आए हैं. आज बदलाव का दिन है. हम बदलाव कर रहे हैं. अगर समर्थन करना है तो खुल कर कीजिए. लेकिन…का कोई मतलब नहीं है.’ इसी के साथ उन्होंने कहा, अगर आप यह पूछना चाहते हैं कि अभी क्यों लाए हो तो मैं बता दूं कि अगर आप समय से नहीं लाए. हम लेट से ही लाए. लेकिन हमने हिम्मत तो दिखाई.
अभी और छक्के लगेंगे
टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन के सवाल पर तंज कसते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी सरकार को सबका साथ सबका विकास की चिंता है. लेकिन डेरेक ओ ब्राएन को क्रिकेट की चिंता है. क्रिकेट में जब मैच खत्म होने वाले होते हैं तो छक्का लगता है. यह पहला छक्का नहीं है. अभी कई छक्के लगेंगे.’