10% कोटा बिल पर लालू के विरोध के क्या मायने

आरजेडी की तरफ से नेताओं के बयान के साथ-साथ आरजेडी की तरफ से आ रहे ट्वीट में भी गरीब सवर्णों को आरक्षण के मुद्दे पर तल्खी दिख रही है.

देर रात तक चली बहस और वोटिंग के बाद गरीब सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण देने वाला बिल लोकसभा से पारित हो गया. कई पार्टियों ने इस बिल के खिलाफ आवाज भी उठाई लेकिन इसके विरोध में सबसे ज्यादा खुलकर आई लालू यादव की पार्टी आरजेडी, जिसने लोकसभा में बिल का विरोध किया.

गरीब सवर्णों के लिए सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थाओं में दस फीसदी आरक्षण के मुद्दे पर आरजेडी का स्टैंड पहले ही ऐसा दिख रहा था, जब बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर अपने त्वरित बयान में कहा, ‘जब 15 फीसदी आबादी वालों को 10 फीसदी आरक्षण देने की बात की जा रही है तो 85 फीसदी आबादी वालों को 90 फीसदी आरक्षण दिया जाए.’

राज्यसभा में बिल पेश होने से पहले अपने नेता की उसी बात को आगे बढ़ाते हुए राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा, ‘यह मध्य रात्रि की डकैती है और यह संविधान की मूल ढांचे के साथ छेड़छाड़ हो रही है.’

आरजेडी का खुला विरोध!

आरजेडी की तरफ से नेताओं के बयान के साथ-साथ आरजेडी की तरफ से आ रहे ट्वीट में भी गरीब सवर्णों को आरक्षण के मुद्दे पर तल्खी दिख रही है. आरजेडी की तरफ से ट्वीट के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा गया. ट्वीट में लिखा गया कि ‘सवर्ण पैदा हुए मोदी ने पहले गुजरात में अपनी जाति को पिछड़ा बनाया फिर 2014 में खुद की जाति के नाम पर दलित-पिछड़ों को मूर्ख बना कर खूब वोट लूटा!’

इस ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अब असली मनुवादी रंग दिखाने का आरोप लगाया गया है. आरजेडी की तरफ से यह दिखाने की कोशिश की गई है कि सवर्ण तबके में महज 5 फीसदी ही गरीब हैं, लिहाजा, उन्हें 10 फीसदी आरक्षण का लाभ देकर बहुजन समाज के लोगों के साथ नाइंसाफी हुई है.

आरजेडी के दूसरे ट्वीट में केंद्र सरकार से जातीय जनगणना की रिपोर्ट को जल्द से जल्द सार्वजनिक करने की मांग की गई है जिसके बाद उनकी संख्या के हिसाब से आरक्षण में हिस्सेदारी तय की जा सके.

बिल का विरोध कर मिलेगा सियासी फायदा?

सवाल है कि आखिरकार आरजेडी इस तरह बिल का विरोध क्यों कर रही है. दरअसल, आरजेडी को लग रहा है कि इस बिल का विरोध करने पर उसे दलित और पिछड़े समुदाय के उन सभी लोगों की सहानुभूति मिल जाएगी, जो अबतक आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं. आरजेडी की रणनीति एक बार फिर से मंडल के दौर को याद कर उस पर आगे बढ़ने की है.

मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू होने के बाद जब पिछड़ी जातियों को भी आरक्षण के दायरे में लाया गया तो इसका जमकर विरोध हुआ था. उस वक्त दलित-पिछड़े और आरक्षण का लाभ मिलने वाली जातियों और सवर्ण जातियों के बीच जातीय गोलबंदी चरम पर थी. इसी गोलबंदी का फायदा उठाकर लालू यादव औऱ मुलायम सिंह यादव जैसे पिछड़े समुदाय से आने वाले नेताओं ने अपनी राजनीतिक जमीन काफी मजबूत कर ली, जिसकी फसल आजतक काट रहे हैं.

पुराने चश्मे से आज की सियासत देखना पड़ सकता है भारी!

नब्बे के दशक में बिहार में लालू यादव और उनकी पार्टी का जनाधार इतना मजबूत था कि उस वक्त लालू यादव की सरकार को हटाना काफी दूर की कौडी लग रहा था, लेकिन, अब गंगा में काफी पानी बह चुका है.

अपने पिता के जेल जाने के बाद पार्टी की कमान संभाल रहे तेजस्वी यादव को शायद इस बात का एहसास नहीं है कि उस वक्त भी जब आरजेडी का मजबूत जनाधार था, तो भी उनकी पार्टी में जगदानंद सिंह और रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे सवर्ण राजपूत समुदाय के नेता उनके साथ साए की तरह खड़े रहे. शिवानंद तिवारी भी उस वक्त पार्टी के साथ थे, एक बार फिर, तिवारी नीतीश कुमार का साथ छोड़ लालू के पाले में आ खड़े हैं.

जगदानंद सिंह और रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे नेताओं की पार्टी में मौजूदगी से लालू यादव के साथ कई क्षेत्रों में राजपूत समुदाय के वोटर भी जुड़े रहे. रघुवंश प्रसाद सिंह वैशाली से लोकसभा सांसद रहे हैं, जबकि, जगदानंद सिंह बक्सर से सांसद रहे हैं. इसके अलावा बिहार की महाराजगंज सीट से राजपूत जाति से आने वाले प्रभुनाथ सिंह भी लालू यादव के साथ कुछ साल पहले आ गए हैं. उस वक्त 85 बनाम 15 का नारा देकर अगड़े-पिछड़े के नाम पर वोट लेने वाले नेताओं की टोली में इन बड़े राजपूत नेताओं की मौजूदगी सियासी कुनबे में उस खालीपन को खत्म कर रही थी.

यहां तक कि सवर्ण समुदाय से आने वाले भूमिहार जाति के अखिलेश प्रसाद सिंह पहले विधायक बनने के बाद आरजेडी सरकार में मंत्री रहे और बाद में बिहार के मोतिहारी से लोकसभा चुनाव जीतकर यूपीए-1 सरकार में मंत्री बनाए गए. आज अखिलेश प्रसाद सिंह आरजेडी से बाहर होकर कांग्रेस के साथ खड़े हैं. फिर भी, लालू यादव की पार्टी में एक वक्त अखिलेश प्रसाद सिंह सवर्ण चेहरे के तौर पर सामने थे.

लेकिन, अब आरजेडी का गरीब सवर्णों के आरक्षण का विरोध करना यह दिखा रहा है कि वो फिर से नब्बे के दशक के हिसाब से पुराने ढर्रे पर ही राजनीति करना चाहती है. लेकिन, आरजेडी आलाकमान को यह समझन होगा कि उस वक्त और आज के वक्त में जमीन-आसमान का फर्क है.

हालांकि फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत में आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी कहते हैं, ‘हम इस बिल का समर्थन करते हैं लेकिन, हमारी मांग है कि जब 50 फीसदी की सीमा को बढ़ा रहे हैं तो फिर सबकी हिस्सेदारी उनकी आबादी के हिसाब से तय की जाए.’ उनकी मांग है कि ‘पहले जातीय जनगणना के आंकड़े को प्रकाशित किया जाए, फिर, उसके आधार पर आरक्षण लागू किया जाए. जब 15 फीसदी आबादी वालों को 10 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है तो 85 फीसदी वालों को 90 फीसदी कर देना चाहिए.’

आरजेडी के जनाधार में भी हुआ है बिखराव

85 बनाम 15 की उस वक्त बात करने वाले नेताओं में से आज बहुत सारे ऐसे हैं जिनका जनाधार उसी 85 फीसदी वोट बैंक से ही निकला है. नीतीश कुमार ने आरजेडी के पिछड़े वोट बैंक में सेंधमारी कर अपनी अलग राजनीतिक जमीन तैयार कर ली है, जबकि, रामविलास पासवान दलित वोट बैंक के सबसे बड़े दावेदार बन गए हैं. लिहाजा, लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव की रणनीति उनकी अपनी संभावनाओं पर पलीता लगा सकती है.

कांग्रेस गरीब सवर्णो के आरक्षण के मुद्दे पर विरोध नहीं कर पा रही है. मजबूर कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार का साथ दे दिया है. दूसरी तरफ, आरजेडी की सहयोगी आरएलएसपी की तरफ से भी बिल का समर्थन कर दिया गया है. भले ही आरएलएसपी न्यायपालिका और प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की मांग ही क्यों न कर रही हो.

मुसीबत में आरजेडी के सहयोगी

आरजेडी का खुलकर विरोध में उतर आना बिहार में महागठबंधन के उसके सहयोगियों पर भारी पड़ सकता है. कांग्रेस का वोट बैंक सवर्ण तबका ही रहा है. ऐसे में उसे परेशानी हो सकती है. गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव 2015 में कांग्रेस के 27 विधायक चुनकर आए थे, जिसमें 12 सवर्ण समुदाय के ही थे. ऐसे में मुश्किल कांग्रेस को हो सकती है.

हालांकि बिहार कांग्रेस के नेता आरजेडी के रुख से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत में बिहार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष समीर सिंह का कहना है, ‘जनता इस बात को समझती है, लिहाजा कोई परेशानी कांग्रेस को नहीं होगी.’ उनका कहना है, ‘जनता जानती है कि आरजेडी-कांग्रेस दोनों का चरित्र और संस्कार अलग है. केवल सेक्युलरिज्म के नाम पर हम एक हो जाते हैं. गरीब सवर्णों के आरक्षण का मुद्दा तो कांग्रेस ने ही सबसे पहले उठाया था, जिसकी बीजपी नकल कर रही है.’

2015 की कहानी दोहरा पाएगी आरजेडी?

आरजेडी की रणनीति को समझने के लिए पिछले विधानसभा चुनाव के गणित और समीकरण को समझना होगा. पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू और कांग्रेस की तरफ से सवर्ण तबके के उम्मीदवारों को तरजीह दी गई थी. लेकिन, आरजेडी की तरफ से उनको कम सीटें दी गई थी.

आरजेडी ने एक ब्राह्मण, एक कायस्थ और तीन राजपूत जाति के उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. जिनमें ब्राह्मण और दो राजपूत उम्मीदवारों की जीत हुई. लेकिन, एक खास रणनीति के तहत आरजेडी ने भूमिहार समुदाय के किसी भी व्यक्ति को उम्मीदवार नहीं बनाया था. चुनाव से ठीक पहले भूमिहार जाति से आने वाले बाहुबली अनंत सिंह की गिरफ्तारी को आरजेडी की तरफ से एक संकेत और संदेश के तौर पर प्रसारित किया गया. एक भी भूमिहार को टिकट न देकर लालू यादव ने फिर से पुराने दौर की याद दिलाकर अगड़ा बनाम पिछड़ा की राजनीति को ही धार देने की कोशिश की.

विधानसभा चुनाव में उस वक्त जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन में नीतीश कुमार का चेहरा सामने किया गया जिसका सीधा फायदा महागठबंधन को हुआ, महागठंबधन में नीतीश कुमार के साथ मिलकर लालू यादव ने जो सामाजिक समीकरण तैयार किया उसमें पिछड़ी-अतिपिछड़ी जातियों के अलावा दलित-महादलित भी काफी हद तक उनके साथ आ गए. विधानसभा चुनाव में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की तरफ से सवर्ण तबके के बजाए सभी पिछड़ों-दलितों की बात जोर-शोर से उठाई गई.

चुनाव के ठीक पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का आरक्षण पर दिया गया बयान और उसको प्रचारित करने की लालू यादव की कोशिश का ही कमाल रहा कि उस वक्त आरजेडी फिर से बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर गई. अब एक बार फिर कुछ उसी तरह की कोशिश आरजेडी कर रही है.

उसे यह कोशिश भारी पड़ सकती है, क्योंकि, इससे न केवल उसको वोट करने वाले सवर्ण वोटर नाराज होंगे बल्कि, सामान्य वर्ग के गरीब तबकों को मिलने वाले आरक्षण के दायरे में आने वाले मुस्लिम समुदाय के भी वोटर भी खफा हो सकते हैं.

165/172 स्वर्ण कोटा बिल पास

File Photo

इससे पहले सदन ने विपक्ष द्वारा लाए गए संशोधनों को मत विभाजन के बाद नामंजूर कर दिया. लोकसभा ने इस विधेयक को कल ही मंजूरी दी थी जहां मतदान में तीन सदस्यों ने इसके विरोध में मत दिया था.

नई दिल्ली : सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को संसद की मंजूरी मिल गई. राज्यसभा ने करीब 10 घंटे तक चली बैठक के बाद संविधान (124 वां संशोधन), 2019 विधेयक को सात के मुकाबले 165 मतों से मंजूरी दे दी. इससे पहले सदन ने विपक्ष द्वारा लाए गए संशोधनों को मत विभाजन के बाद नामंजूर कर दिया. लोकसभा ने इस विधेयक को कल ही मंजूरी दी थी जहां मतदान में तीन सदस्यों ने इसके विरोध में मत दिया था.

उच्च सदन में विपक्ष सहित लगभग सभी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया. कुछ विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लोकसभा चुनाव से कुछ पहले लाये जाने को लेकर सरकार की मंशा तथा इस विधेयक के न्यायिक समीक्षा में टिक पाने को लेकर आशंका जतायी। हालांकि सरकार ने दावा किया कि कानून बनने के बाद यह न्यायिक समीक्षा की अग्निपरीक्षा में भी खरा उतरेगा क्योंकि इसे संविधान संशोधन के जरिये लाया गया है.

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए इसे सरकार का एक ऐतिहासिक कदम बताया. उन्होंने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों से यह पूछा कि जब उन्होंने सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिये जाने का अपने घोषणापत्र में वादा किया था तो वह वादा किस आधार पर किया गया था. क्या उन्हें यह नहीं मालूम था कि ऐसे किसी कदम को अदालत में चुनौती दी जा सकती है.

उन्होंने कहा कि यह हमारी संस्कृति की विशेषता है कि जहां प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एससी और एसटी को आरक्षण दिया वहीं पिछड़े वर्ग से आने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सामान्य वर्ग को आरक्षण देने की यह पहल की है. उन्होंने एसटी, एससी एवं ओबीसी आरक्षण को लेकर कई दलों के सदस्यों की आशंकाओं को निराधार और असत्य बताते हुए कहा कि उनके 49.5 प्रतिशत से कोई छेड़छाड़ नहीं की जा रही है. वह बरकरार रहेगा. विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के द्रमुक सदस्य कनिमोई सहित कुछ विपक्षी दलों के प्रस्ताव को सदन ने 18 के मुकाबले 155 मतों से खारिज कर दिया.

आर्थि‍क आरक्षण बि‍ल पर रविशंकर प्रसाद ने कहा, ये पहला छक्‍का नहीं है ऐसे बहुत से छक्‍के आएंगे

इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा में कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा इस विधेयक का समर्थन करने के बावजूद न्यायिक समीक्षा में इसके टिक पाने की आशंका जतायी गयी और पूर्व में पी वी नरसिंह राव सरकार द्वारा इस संबंध में लाये गये कदम की मिसाल दी गयी. कई विपक्षी दलों का आरोप था कि सरकार इस विधेयक को लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर लायी है. अन्नाद्रमुक सदस्यों ने इस विधेयक को ‘‘असंवैधानिक’’ बताते हुये सदन से बहिर्गमन किया.

विधेयक पर हुयी चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने सवाल किया कि ऐसी क्या बात हुयी कि यह विधेयक अभी लाना पड़ा? उन्होंने कहा कि पिछले दिनों तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में हार के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है.  उन्होंने कहा कि इन विधानसभा चुनावों में हार के बाद संदेश मिला कि वे ठीक काम नहीं कर रहे हैं.

चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के मोदी सरकार के फैसले को मैच जिताने वाला छक्का बताते हुये कहा कि अभी इस मैच में विकास से जुड़े और भी छक्के देखने को मिलेंगे। प्रसाद ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुये कहा कि सरकार ने यह साहसिक फैसला समाज के सभी वर्गों को विकास की मुख्य धारा में समान रूप से शामिल करने के लिये किया है. उन्होंने इस विधेयक के न्यायिक समीक्षा में नहीं टिक पाने की विपक्ष की आशंकाओं को निर्मूल बताते हुए कहा कि आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा संविधान में नहीं लगायी गयी है. उच्चतम न्यायालय ने यह सीमा सिर्फ पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति एवं जनजाति समूहों के लिये तय की है.

‘क्रिकेट में जब मैच खत्म होने वाले होते हैं तो छक्का लगता है. यह पहला छक्का नहीं है. अभी कई छक्के लगेंगे.’ रविशंकर प्रसाद

रविशंकर प्रसाद ने आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों को आरक्षण देने वाले बिल पर चर्चा के दौरान कहा किसी राज्य को अगर 8 लाख रुपए की सालाना इनकम पर आपत्ति है तो वो अपने राज्य के लिए इसे कम करके सालाना 5 लाख रुपए कर सकते हैं

राज्यसभा में आर्थिक रुप से पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिए जाने के बिल पर चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कई खास बिंदू सदन के समक्ष उठाए. उन्होंने कहा मंडल कमीशन आने के बाद नरसिम्हा राव ने सामान्य वर्ग के आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों को आरक्षण देने की बात की थी. तब इंदिरा साहनी ने यह मुद्दा उठाया और कहा, अभी के हालात में आप आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण नहीं दे सकते हैं. उन्होंने इसके पीछे संविधान में संशोधन न करने की बात का जिक्र भी किया.

कम कर सकते हैं सालाना इनकम की कैपिंग

इसके बाद उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा, ‘हम आरक्षण के लिए मौलिक अधिकार में बदलाव कर रहे हैं. हम धारा 15 में एक क्लॉज जोड़ रहे हैं. जिसमें सरकारी स्कूल, कॉलेज और नौकरियों में आरक्षण देंगे.’ उन्होंने कहा, ‘यह सिर्फ केंद्र सरकार में नहीं बल्कि प्रदेश की नौकरी और स्कूल-कॉलेजों पर भी लागू होगा. किसी राज्य को अगर 8 लाख रुपए की सालाना इनकम पर आपत्ति है तो वो अपने राज्य के लिए इसे कम करके सालाना 5 लाख रुपए कर सकते हैं.’

देरी के सवाल पर भी रविशंकर प्रसाद ने दिया जवाब

मौजूदा सरकार के कार्यकाल के आखिरी दौर में इस तरह का बिल लाने से संबंधित सवाल पर प्रसाद ने कहा, ‘हम देर से आए लेकिन दुरुस्त आए हैं. आज बदलाव का दिन है. हम बदलाव कर रहे हैं. अगर समर्थन करना है तो खुल कर कीजिए. लेकिन…का कोई मतलब नहीं है.’ इसी के साथ उन्होंने कहा, अगर आप यह पूछना चाहते हैं कि अभी क्यों लाए हो तो मैं बता दूं कि अगर आप समय से नहीं लाए. हम लेट से ही लाए. लेकिन हमने हिम्मत तो दिखाई.

अभी और छक्के लगेंगे

टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन के सवाल पर तंज कसते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी सरकार को सबका साथ सबका विकास की चिंता है. लेकिन डेरेक ओ ब्राएन को क्रिकेट की चिंता है. क्रिकेट में जब मैच खत्म होने वाले होते हैं तो छक्का लगता है. यह पहला छक्का नहीं है. अभी कई छक्के लगेंगे.’

Roadies in Panchkula when Demokraticfront.com met few contestants

Today all roads were leading to Roadies at Indradhanush in Panchkula.

The day was shining with the hope from all around. Guys & Demsels from all around the northern region of India were in Panchkula. It was like as if who is not in Panchkula is not in North India.

The show was at its prime in side the ” Indradhanush” but a cub (Purnoor) was roaring outside looking wildly for her prey who on the other hand were having fire in their belly and ready to mingle at single tingle any where ‘That is Roadies’.

The first

Purnoor met Rekha Shikhawat
Roadies Don’t Lie
The Group of Fantastic Four
It was not our idea but It Rocks
Direct From the Heart
And the Song was Kishore Da’s “हम थे वो थी और समां रंगीन”
eye catching

Roadies in Panchkula

Photo Feature by Purnoor

Upcoming Roadies are all set to take up the challenges with a bang on MTV in more Bigger and Bolder reality show. The show is meant to awaken the real hero from within through real life stories of courage and bravery and earned honour, says Ranvijay the host of the show

Photo by Purnoor

Ranvijay while talking to scribes here said,” from being a contestant and winner to a host to a winning gang leader and a host again. Roadies has come for a full circle for me. Yet every season throws up a new challenge and intrigues me more. This time, i m hoping to meet the same dynamic contestants who have ability to tackle what comes their way and surge ahead.”

Neha Dhupia by Purnoor

Bold and beautiful poised and two times winner Neha Dhupia is in the township with her little fairy Mehar. This time also she is determined to clinch the title.

Real life warrior Sandeep Singh will lock horns with Prince Narula . Sandeep while talking to https://www.demokraticfront.com Sandeep said that he believes in tit for tat.

Sandeep Singh by Purnoor
Nikhil Chinnapa interacting with Purnoor

Singer Raftaar and seasoned Nikhil Chinnapa are here to spruce up the fight.

Rapper Raftaar coming in mood
Prince Narula posing for Purnoor

Roadies is too close to prince’s heart as it brings out the best physical and mental strenght this time he will emerge stronger than before.
Nikhil this time the idea is to level up the contest and see who crosses the line first.

बेहतर कालका से बेहतर हरियाणा से बेहतर होगा भारत : एनएसयूआई

बेहतर भारत केम्पेन को कालका में किया लांच

कालका। एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव व हरियाणा प्रभारी सन्नी मेहता,एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा,एनएसयूआई के आरटीआई सेल के राष्ट्रीय कोर्डिनेटर दीपांशु बंसल व जिलाअध्यक्ष प्रताप राणा ने कालका के निजी होटल में प्रेस वार्ता कर कांग्रेस के छात्र संगठन, एनएसयूआई के देश भर में चल रही बेहतर भारत केम्पेन के बारे बताया जिसमे कहा कि युवाओ व छात्रो की मांगों को कांग्रेस के एजंडे में डाला जाएगा।दीपांशु बंसल ने बुद्धिराजा,मेहता का कालका पहुंचने पर अभिनन्दन किया।इसके साथ ही दीपांशु ने कहा कि पहले भी एनएसयूआई की जवाब दो हिसाब दो मुहिम कालका से शुरू हुई थी जिसका नाम देशभर में हुआ,अब हरियाणा में बेहतर भारत केम्पेन भी कालका से शुरू करी गई है जोकि कालका के लिए गर्व की बात है।बुद्धिराजा ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि बेहतर भारत की हरियाणा में शुरुआत,महामाई काली माता के दरबार कालका से की गई है जहां एक सन्देश दिया गया है कि युवा और छात्र देश के राष्ट्र निर्माता है व युवा-छात्र ही राष्ट्रीय एजेंडे को तय करेंगे।बेहतर भारत केम्पेन प्रदेश के हर जिले के कॉलेज व विश्वविद्यालयो में चलाई जाएगी जिसमें युवा सोच को आगे लाया जाएगा।सन्नी मेहता ने बताया कि बेहतर भारत अभियान भाईचारा,अवसर समानता,न्याय और आजादी के लिए काम करेगा।इस केम्पेन का उद्देश्य , छात्रो के लिए बेहतर भारत बनाने का है।

बेहतर भारत का पोस्टर कालका से लांच किया गया जिसमें चार मुख्य बिंदुओं का संदेश दिया गया।एनएसयूआई नेताओ ने संयुक्त रूप से बयान दिया कि इसमें पहला उद्देश्य है कि न्याय संगत व्यवहार जिसमे भ्रष्टाचार मुक्त दाखिला व नियुक्ति , ग्रामीण व अंग्रेजी न बोल पाने वालों के बीच अंतर का व पिछडो के साथ भेदभाव को अंत करना तथा जो पीछे छूट गए उनके लिए मदद , मार्गदर्शन और ध्यान देना।दूसरा- शिक्षा का समान अवसर जिसमे शिक्षा के अधिकार से कोई वंचित न रहे व कोई भी शिक्षा से वंचित न रहे।तीसरा – मार्गदर्शन और ध्यान ,ग्रामीण व पहली पीढ़ी के छात्रो परामर्श और मार्गदर्शन।चौथा-खुद की पहचान व उद्ष्टि जिसमे अवसर और रोजगार की ओर ले जाने वाली शिक्षा तथा राष्ट्र निर्माण में युवा पीढ़ी की एहम भूमिका व जिम्मेवारी।एनएसयूआई नेताओ ने कहा कि इन मुद्दों को लेकर छात्रो व युवाओ को बेहतर भारत केम्पेन का हिस्सा बनाकर 2019 लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी जी को प्रधानमंत्री बनाया जाएगा।

प्रेस वार्ता में दीपांशु बंसल के साथ कालका कालेज प्रधान कुलविंद्र राजपूत,युवा किसान कांग्रेस जिला महासचिव महेश शर्मा टिंकू,सुनील सोनकर, एसएसओ जिलाध्यक्ष सागर सोनकर, कालका कालेज एनएसयूआई चेयरमेन रवि शर्मा,उदित कौशिक,सजल,सचिन,शुभम आदि मौजूद रहे।

घरेलू मैदान पर ममता दी को दोहरा झटका

नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस सांसद सौमित्र खान ने लोकसभा चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल में बीजेपी के अभियान को बल देते हुए बुधवार को भगवा पार्टी का दामन थाम लिया. खान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ मुलाकात करने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में पार्टी में शामिल हो गए. इस मौके पर केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान व पश्चिम बंगाल के नेता मुकुल रॉय भी मौजूद थे. सौमित्र खान 2014 में 16वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. वह विष्णुपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. विष्णुपुर से लोकसभा सांसद सौमित्र खान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ मुलाकात के बाद उनके पार्टी में शामिल होने की घोषणा संवाददाता सम्मेलन में की. सौमित्र ने कहा था कि वे पीएम मोदी के साथ काम करना चाहते हैं। वहीं पश्चिम बंगाल में टीएमसी के शकील अंसारी सहित सैकड़ों अल्पसंख्यक नेता कांग्रेस में शामिल हो गए। इससे बीजेपी को आगामी लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में अभियान में मजबूती मिली है. 


अनुपम हाजरा

तृणमूल कांग्रेस ने बोलापुर से सांसद अनुपम हाजरा को पार्टी से सस्पेंड कर दिया है। टीएमसी के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा है कि अनुपम हाजरा को ऐसी गतिविधियों में पाया गया है जो पार्टी की विचारधारा से मेल नहीं खाती है। इसलिए पार्टी ने उन्हें सस्पेंड करने का फैसला किया है।

बता दें कि हाजरा पश्चिम बंगला के शांति नेकतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। इसके बाद उन्होंने साल 2014 में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर बोलापुर से चुनाव लड़ा और सांसद बन गए। लेकिन अब पार्टी ने उन्हें निलंबति करने का फैसला किया है। ऐसे में लोकसभा चुनाव 2019 से पहले ममता बनर्जी के लिए यह किसी दोहरे झटके से कम नहीं है।

पश्चिम बंगाल में TMC के सामने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी के रूप में उभरी BJP
पश्चिम बंगाल में राजनीतिक तौर जबरदस्त गहमागहमी चल रही है. पंचायत चुनाव के समय हिंसा की व्यापक घटनाओं के साथ ही सांप्रदायिक झड़प के मामले भी सामने भी आए हैं. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस तथा माकपा की जगह बीजेपी ही हर जगह सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को चुनौती देती नजर आते दिख रही है.

इससे यह साबित हो गया है कि कांग्रेस और माकपा को पीछे छोड़ते हुए बीजेपी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को चुनौती देने में मुख्य प्रतिद्वंद्वी के तौर पर सामने खड़ी नजर आ रही है. तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी दोनों का मानना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में उन्हें अच्छी कामयाबी मिलेगी. राज्य में लोकसभा की कुल 42 सीटें हैं और दोनों पार्टियां अधिकतम सीटों पर जीत के दावे कर रही है.

प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने दावा किया था कि , ‘‘बंगाल से हम अधिकतम सीटें जीतेंगे. राज्य में हम कम से कम 26 सीटें जीतेंगे.’’ जवाब में, टीएमसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा था कि 2019 के चुनाव में उनकी पार्टी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

अमित शाह ने राज्य की 42 लोसकभा सीटों में कम से कम 22 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है
तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा भी कहा था कि, ‘‘बंगाल में हम अधिकतर सीटें जीतेंगे. बंगाल के लोग टीएमसी के साथ हैं और उपचुनाव तथा ग्रामीण चुनावों में भी यह साबित हो चुका है जहां पार्टी ने जबरदस्त जीत हासिल की.’’ ग्रामीण चुनावों में बीजेपी के प्रदर्शन से उत्साहित पार्टी प्रमुख अमित शाह ने राज्य की 42 लोसकभा सीटों में कम से कम 22 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है. पंचायत चुनाव के दौरान भगवा पार्टी को 7,000 से ज्यादा सीटों पर जीत मिली थी.

UBS student bags 53 lakh package

Photo: Rakesh Shah

Chandigarh January 9, 2019

        University Business School (UBS), Panjab University, Chandigarh released the Interim Final Placement Report of MBA/MBA(IB)/MBA(HR)-2nd Year students of 2017-2019  at UBS, here today.

Professor Deepak Kapur, Chairperson, UBS informed that the highest
salary of Rs 53 Lacs  to Mr Akash Rai  MBA-2nd Year student of UBS by
M/s Tolaram Group.  Average Salary of the students was Rs 11.78 lacs. 25% of the Batch (2017-2019) got placed in Research, Consultancy and Advisory roles in companies such as HSBC, Smartcube, EY, Kornferry etc., informed Prof. Kapur.

He further added that 17%  got placed in Banking, Finance Sector Institutions (BFSI) like HDFC Bank, HDFC Life, SBI Life, ICICI Prudential and  7.1 % placed in FMCG and FMCD companies like Tolaram Group, Volvo, Mahindra, TVS also.  Other 25.9% students were placed in IT firms like Infosys, IBM etc and 15.5% placed in manufacturing like Trident, SKF etc.

Mr Nandit Gupta, Student Placement Coordinator gave a brief power
point presentation on the Placement Report.  On this occasion, faculty
and students were present.

Haryana DGP agreed to start and fund a Chair in PU

Photo: rakesh Shah

Haryana Police is running 22 Public Schools with 16000 students studying there
DGP agreed to start and fund a Chair in Panjab University

Chandigarh January 9, 2019

                        Sh.B.S. Sandhu, IPS,DGP Haryana visited Panjab University, Chandigarh  for an interactive meeting with Professor Raj Kumar, Vice-Chancellor, Panjab University and other senior faculty members, here today .

                        PU VC and the DGP agreed that various Departments of PU like Defence Studies, Police Administration, Human Rights, Forensic Science, Woman Studies, UIET, Hotel and Management, Dental College   and Haryana Police can have collaboration in terms of cyber security, student internship and training, running short term programmes for police people, and conducting need based research studies. Possibilities for Tourist Police Station was also discussed apart from collaboration w.r.t patient care through Mobile Dental Van of PU Dental College for the 65 students in Panchkula school of Police line.

                        DGP shared that Haryana Police is running 22 Public Schools with 16000 students studying there. He discussed in details the issue related to women safety in the State of Haryana and requested Panjab University to do a special project for Haryana Police with respect to women protection. He also assured of stipend to research scholars for doing internship related to these projects. The DGP urged PU to enhance the professionalism in Police Forces and said that on the basis of various proposals from PU, MoU in this regard can be signed.

                        The Vice-Chancellor asked the DGP to start and fund a Chair in Panjab University, which DGP readily agreed.

                         Prof. Shankarji Jha, DUI, Prof. Karamjit Singh, Registrar, Prof. Ashwani Kaul, CUS,  Prof. Devinder Singh, SVC, Chairpersons and representatives from Departments of Defence Studies and National Security Studies, Police Administration, Forensic Science and Criminology, Human Rights and Duties, UIET, Women Studies,  Social Work and Laws.

पोलिस फाइल, पंचकुला

पंचकूला, 09 जनवरी :- 1. (हत्या की आरोपी महिला गिरफ्तार)

पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बतलाया कि पुलिस थाना चण्डीमंदिर की टीम द्वारा थाने के अभियोगांक संख्या 06 दिनांक 07.01.2019 मे महिला आरोपी शमां उर्फ भूरी पत्नी स्व0 इस्लाम वासी गांव सुभरी, थाना सदर करनाल, जिला करनाल हाल सरगोधा कलॉनी, नारायणगढ़, जिला अम्बाला को गांव बरवाला से विधी-पूर्वक गिरफ्तार करके पेश माननीय अदालत किया गया तथा न्यायिक हिरासत मे भेजा गया ।

2. (चोरी के तींन आरोपीयों को किया गिरफ्तार)

डिटेक्टिव स्टाफ सैक्टर-12, पंचकुला की टीम द्वरा पुलिस थाना पिंजौर के अभियोगांक संख्या-08 दिनांक 08.01.2019 को चोरी के मामले मे तींन महिलाओ कि गिरफ्तार किया गया । आरोपी महिलाओ मे ज्योति पत्नी सतीश वासी # 6594, सैक्टर-56, चण्डीगढ़ 2. सीमा पत्नी बब्लू वासी # 6505, सैक्टर-56, चण्डीगढ़ 3. सलीम खान पुत्र माखन खान वासी # 4400, वार्ड न0-13, किला कॉम्पलैक्स, खरड़, जिला मोहाली, पंजाब को इण्ड्रस्ट्रीज एरिया, फेस-2, पंचकुला से विधी-पूर्वक गिरफ्तार करके पेश माननीय अदालत किया गया जँहा से उसे न्यायिक हिरासत मे भेजा गया ।

3. पुलिस थाना रायपुर रानी के अभियोग संख्या 152/18 धारा 395, 397, 427 IPC के तहत आरोपी विक्रम उर्फ सन्टी पुत्र कृष्ण लाल वासी गांव गढ़ी कोटाहा, थाना रायपुर रानी, पंचकुला को बस-स्टैण्ड़ गढ़ी कोटाहा से विधी-पूर्वक गिरफ्तार करके पेश अदालत किया गया ।