बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अवैध खनन घोटाले के मामले में यूपी की तत्कालीन अखिलेश सरकार के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की थी कांग्रेस के समय मायावती पर NRHM और स्मारकों के हजारों करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगा था और उनसे पूछताछ भी हुई थी। आज अखिलेश और माया गठबंधन में है और कांग्रेस उनका समर्थन कर रही है इसीलिए खनन घोटाले (मायावती ने जिनका मुद्दा उठा कर सीबीआई जांच की मांग की थी) राजनीति से प्रेरित हैं और भाजपा राजनैतिक विद्वेष से सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है।
दरअसल, सीबीआई की कार्रवाई के पूर्व के इतिहास के चलते इस बार अखिलेश यादव भी सीबीआई को राजनीतिक हथियार बना कर मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन वो ये भूल रहे हैं कि आज जो राजनीतिक दल उनके साथ इसी मुद्दे पर समर्थन में खड़े हैं वही दल खुद पूर्व में सीबीआई जांच की मांग कर चुके थे. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अवैध खनन घोटाले के मामले में यूपी की तत्कालीन अखिलेश सरकार के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की थी. आज जो आरोप बीएसपी केंद्र सरकार पर लगा रही है ठीक वैसे ही आरोप मायावती भी पूर्व में कांग्रेस पर लगा चुकी हैं.
यूपी में साल 2007 से 2012 के समय मायावती सरकार पर राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) और स्मारकों के हजारों करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगा था. उस वक्त केंद्र में यूपीए की कांग्रेस नीत सरकार थी. NRHM घोटाले के मामले में सीबीआई ने मायावती से पूछताछ भी की थी.
क्या भ्रष्टाचार के दाग सिर्फ राजनीतिक कारणों से लगते हैं?
अब जब अखिलेश से सीबीआई पूछताछ की संभावना दिखाई दे रही है तो कांग्रेस भी अखिलेश के समर्थन में साथ खड़ी है. इसकी सियासी वजह ये भी हो सकती है कि यूपी में लोकसभा चुनाव को लेकर एसपी-बीएसपी गठबंधन ने अमेठी और रायबरेली की सीटें कांग्रेस के लिए सम्मान में छोड़ दीं.
बहरहाल, सीबीआई या ईडी या फिर दूसरी जांच एजेंसियों के घेरे में जब भी राजनीतिक चेहरे आए तो सरकारों पर राजनीति हित साधने के आरोप लगते रहे हैं. जिस वजह से सत्ता में राजनीतिक दलों की आवाजाही के दरम्यान मुकदमों की फाइलों की आंख-मिचौली होती रहती है. ऐसे में सिर्फ लोकसभा चुनाव के गठबंधन का हवाला देकर अखिलेश सीबीआई की पूछताछ पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो ये नई बात नहीं है.