जब संजय बारू की पुस्तक छपती है तब किसी प्रकार की मान हानी नहीं होती और न ही देश की सुरक्षा खतरे में पड़ती है। अब यही पुस्तक चलचित्र में परिवर्तित हो जाती है तो अचानक ही राष्ट्र सुरक्षा खतरे में पड़ती है साथ ही साथ पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान को ठेस लग जाती है।
पहले भी कई फिल्मों पर रोक लगाने की मांग की गयी है, हाल ही में पद्मावत में क्षत्रिय समाज ने अपनी पूजनीय रानी पद्मावती के किरदार के साथ कुछ छेड़ छाड़ की शिकायत को लेकर रोक की मांग राखी थी, खारिज हो गयी। अब मनमोहन सिंह की विवशताओं पर बनी फिल्म से क्या मनमोहन सिंह के चरित्र हनन की बात सामने आ रही है या फिर एक परिवार विशेष की मानसिकता को चोट पहुँच रही है? इस बार कलाकारों पर दर्ज़ हुए मुक़द्दमे की समझ नहीं आ रही।
मुजफ्फरपुर: द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर रिलीज के ठीक पहले मुश्किलों में फंसती नजर आ रही है. बिहार के मुजफ्फरपुर कोर्ट ने फिल्म के अभिनेता अनुपम खेर सहित 13 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है.
सभी के खिलाफ केस कांटी थाने में दर्ज किया जाएगा. दरअसल अधिवक्ता सुधीर ओझा ने कोर्ट में परिवाद दायर किया था और आरोप लगाया था कि फिल्म में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित अन्य नेताओं को अपमानित किया गया है. एसडीजेएम के कोर्ट में सुनवाई के बाद एफआईआर का आदेश दिया गया है.
इस परिवाद में फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की गई थी. साथ ही ये भी कहा गया था कि फिल्म में देश की सुरक्षा व्यवस्था से भी खिलवाड़ किया गया है. फिल्म में अनुपम खेर पूर्व प्रधानमंत्री का किरदार निभा रहे हैं.
फिल्म दरअसल संजय बारू की किताब द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर पर बनी है और यह किताब पिछले लोकसभा चुनाव के समय आई थी और 2019 लोकसभा चुनाव के समय फिल्म रिलीज की जा रही है. फिल्म को लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा है तो वहीं फिल्म से बीजेपी को जरूर चुनाव के वक्त फायदा हो सकता है.
देखने वाली बात होगी कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई की जाती है. साथ ही हर किसी को फिल्म के रिलीज का इंतजार है कि आखिर फिल्म में क्या दिखाया गया है और किस तरह से किस नेता का किरदार दिखाया गया है.