70 सालों से लंबित मामला अब 10 जनवरी तक लंबित
सर्वोच्च न्यायालय ने मानी कपिल सिब्बल की अपील यह मामला कैसी भी तरह 2019 के चुनावों के नतीजों तक ताला जाएगा सबरीमाला 6 महीने और अर्बन नक्सलईट 2 महीने पर राम जन्मभूमि 70 साल बाद फिर से तारीख
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में दायर अपीलों पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा. यह मामला प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है. इस पीठ द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई के लिये तीन सदस्यीय न्यायाधीशों की पीठ गठित किये जाने की उम्मीद है.
1. हाई कोर्ट ने इस विवाद में दायर चार दीवानी वाद पर अपने फैसले में 2.77 एकड़ भूमि का सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच समान रूप से बंटवारा करने का आदेश दिया था.
2. शीर्ष अदालत ने पिछले साल 29 अक्टूबर को कहा था कि यह मामला जनवरी के प्रथम सप्ताह में उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होगा जो इसकी सुनवाई का कार्यक्रम निर्धारित करेगी.
3. बाद में अखिल भारत हिन्दू महासभा ने एक अर्जी दायर कर सुनवाई की तारीख पहले करने का अनुरोध किया था परंतु न्यायालय ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था. न्यायालय ने कहा था कि 29 अक्टूबर को ही इस मामले की सुनवाई के बारे में आदेश पारित किया जा चुका है. हिन्दू महासभा इस मामले में मूल वादकारियों में से एक एम सिद्दीक के वारिसों द्वारा दायर अपील में एक प्रतिवादी है.
4. इससे पहले, 27 सितंबर, 2018 को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत से 1994 के एक फैसले में की गई टिप्पणी पांच न्यायाधीशों की पीठ के पास नये सिरे से विचार के लिये भेजने से इंकार कर दिया था. इस फैसले में टिप्पणी की गई थी कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है.
5. अयोध्या प्रकरण की सुनवाई के दौरान एक अपीलकर्ता के वकील ने 1994 के फैसले में की गयी इस टिप्पणी के मुद्दे को उठाया था. अनेक हिंदू संगठन विवादित स्थल पर राम मंदिर का यथाशीघ्र निर्माण करने के लिये अध्यादेश लाने की मांग कर रहे हैं. इस बीच, शीर्ष अदालत में शुक्रवार को होने वाली सुनवाई महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को ही कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के मामले में न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही अध्यादेश लाने के बारे में निर्णय का सवाल उठेगा.
इससे पहले केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राम मंदिर केस की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की मांग की है. उनका कहना है कि जब सबरीमाला मामले की सुनवाई 6 महीने में और अर्बन नक्सल का केस दो महीने में पूरा हो सकता है तो रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस 70 साल से क्यों अटका पड़ा है. उन्होंने इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह करने की अपील की. विधि एवं न्याय मंत्री ने पिछले दिनों अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के 15वें राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन अवसर पर कहा कि राम लला मामले में कोर्ट में सुनवाई क्यों नहीं हो रही इसका मेरे पास कोई उत्तर नहीं है. उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह हो ताकि जल्द से जल्द इसपर फैसला आ सके.
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