‘राफेल को लेकर पिछले छह महीनों में जो भी कहा गया है, अभी इस हाउस में जो कहा गया है, वो सब झूठ है.’

2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अब सभी दल पूरी तैयारी में लग गए हैं. राफेल के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सरकार को राहत मिलने के बाद विपक्ष के हाथ से बड़ा मुद्दा निकल गया है.

नए साल में पहले दिन अवकाश के बाद जब संसद की कार्यवाही शुरू हुई तो लोकसभा में एक बार फिर राफेल सौदे का मुद्दा उठ गया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल सौदे में गड़बड़ी की बात दोहराते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार को सवालों के घेरे में ला दिया. उन्होंने राफेल सौदे का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने डेढ़ घंटे के इंटरव्यू में पांच मिनट भी राफेल सौदे पर बात नहीं की.

कांग्रेस अध्यक्ष ने एक बार फिर से राफेल सौदे में अपने पुराने आरोपों की झड़ी लगा दी. राहुल गांधी ने अपनी तरफ से फिर सवाल खडा किया कि जब भारत को तत्काल इन विमानों की जरूरत है तो भी अभी तक एक भी विमान भारत की जमीन पर क्यों नहीं उतरा है.

राहुल के आरोपों के बाद अब बारी अरुण जेटली की. लोकसभा में तो रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद थीं, लेकिन, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देने के लिए मोर्चा संभाला वित्त मंत्री अरुण जेटली ने. जेटली ने एक-एक कर राहुल गांधी के सारे सवालों का जवाब भी दिया और कांग्रेस के साथ-साथ यूपीए सरकार के इतिहास के कार्यकाल में चर्चा में आए ‘घोटालों’ का जिक्र कर दिया.

जेटली ने राहुल की बातों का जवाब देते हुए लोकसभा में कहा, ‘राफेल को लेकर पिछले छह महीनों में जो भी कहा गया है, अभी इस हाउस में जो कहा गया है, वो सब झूठ है.’

जिस तथाकथित ऑडियो टेप का जिक्र कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा के भीतर कर रहे थे, उस पर भी जेटली ने कहा कि ‘गोवा के मंत्री विश्वजीत पी. राणे ने गोवा के सीएम को लेटर लिखकर कहा है कि राफेल पर कांग्रेस ने जो ऑडियो टेप जारी किया है, वह फर्जी है. इस मामले में जांच करनी चाहिए.’

राहुल गांधी की तरफ से एक बार फिर राफेल सौदे में विमान की कीमत को लेकर सवाल पूछा गया था. अरुण जेटली ने इस पर भी हमला बोलते हुए कहा कि ‘इस देश में कुछ परिवार हैं जिन्हें सिर्फ पैसे का तर्क समझ में आता है लेकिन देश की सुरक्षा का तर्क समझ में नहीं आता.’

जेटली ने जेम्स बॉन्ड फिल्म का जिक्र करते हुए कहा, ‘अगर कोई चीज एकबार होती है तो यह सामान्य है. दो बार कोई चीज होती है तो वह संयोग हो सकता है. लेकिन अगर कोई चीज तीन बार होती है तो यह षड्यंत्र है. कांग्रेस अपनी डील में बार-बार ऐसा करती है.’

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अरुण जेटली ने कहा कि करगिल युद्ध के दौरान हमारी सेना ने राफेल की मांग की थी. 2007 में जब राफेल के लिए बिड मंगाई गई तो दो लोगों को फाइनल किया गया. यह उनके कार्यकाल में हुआ. उस वक्त सबसे मिनिमम बिड राफेल की थी. राफेल की एयरक्राफ्ट 2012 में उस वक्त के डिफेंस मिनिस्टर की मेज पर गया. उन्होंने कहा, कांग्रेस डील को टालने के लिए मशहूर है. तब के रक्षा मंत्री को यह बात समझ में आई कि सेना इसकी मांग कर रही है.

वित्त मंत्री की तरफ से उस वक्त के एक कार्यक्रम का जिक्र करते हुए लोकसभा में जेटली ने कहा, बीबीसी पर एक कार्यक्रम आता था यस मिनिस्टर. इसमें कहा गया है कि सबसे नाकाबिल प्रशासन वह होता है जो फैसला ना ले पाए. तब के समय इकोनॉमिस्ट में लिखा था A prime minister in office but not in Power.

अरुण जेटली की तरफ से यूपीए सरकार के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रक्षा मंत्री ए के एंटनी पर तंज कसा गया. दरअसल, अरुण जेटली यह दिखाना चाह रहे थे कि कैसे तत्कालीन रक्षा मंत्री ए के एंटनी फाइल लेकर बैठे रह गए और राफेल सौदे में देरी हुई.

हालाकि जब जेटली लोकसभा में राहुल गांधी का जवाब दे रहे थे तो उस वक्त कांग्रेस के कुछ सांसदों की तरफ से सदन में कागज की प्लेन बनाकर उड़ा रहे थे. इसपर लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा, आप बच्चे हैं क्या जो ये कर रहे हैं. इस पर जेटली ने चुटकी लेते हुए कहा कि आपके कहने के बाद भी ये लोग प्लेन उड़ा रहे हैं. शायद ये बोफोर्स की याद में कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट के पैसले के बाद अब सरकार राहत की सांस ले रही है. एक बार फिर जेटली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी राफेल डील को ठीक ठहराया. 500 और 1600 की कोई तुलना नहीं है. एक दाम होता है एयरक्राफ्ट का. दूसरा दाम होता है हथियारों वाले एयरक्राफ्ट का. जेटली की तरफ से यह बताने की कोशिश की जा रही थी कि यूपीए सरकार के वक्त बिना हथियारों वाले सामान्य एयरक्राफ्ट का जिक्र था, लेकिन, एनडीए सरकार के वक्त हथियारों से लैस एयरक्राफ्ट का जिक्र है.

हालांकि एक बार फिर से उन्होंने साफ किया कि हथियारों वाले कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन होगा, अगर हम दाम बताएंगे. अरुण जेटली ने साफ किया कि बेसिक एयरक्राफ्ट का दाम 2016 में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान तय किए गए दाम से 9 प्रतिशत कम था और हथियारों से लैस एयरक्राफ्ट का दाम 20 प्रतिशत तक कम था.अरुण जेटली ने अपने जवाब के दौरान बोफोर्स तोप सौदे का भी जिक्र कर कांग्रेस को उसी के हथियार से घेरने की पूरी कोशिश की.

2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अब सभी दल पूरी तैयारी में लग गए हैं. राफेल के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सरकार को राहत मिलने के बाद विपक्ष के हाथ से बड़ा मुद्दा निकल गया है. फिर भी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस मुद्दे को बार-बार सदन के अंदर औऱ बाहर उठाकर सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. कोशिश इस मुद्दे को 2019 के महासमर तक जिंदा रखने की है.

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