क्या राजयपाल शासन ही एकमात्र विकल्प है??

जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का गठबंधन आखिरकार टूट गया है. बीजेपी ने आखिरकार महबूबा मुफ्ती की पार्टी से अपना नाता तोड़ लिया है. अब राज्य में नई सरकार बनेगी. लेकिन उसके पहले राज्यपाल शासन लागू हो सकता है.

राज्य में नई सरकार बनाने के लिए अब नए गठबंधन की जरूरत होगी, तभी बहुमत इकट्ठा हो सकता है. सबसे हालिया विकल्प पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच गठबंधन का हो सकता है लेकिन ये दोनों पार्टियां साथ आएं, ऐसा होना मुश्किल ही है. उमर अब्दुल्ला भी बोल चुके हैं कि उन्हें राज्यपाल शासन मंजूर है. यानी ये विकल्प खत्म है. इसलिए फिलहाल राज्य में राज्यपाल शासन लगाया जा सकता है.

लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि अगर ऐसा होता है तो ऐसा आठवीं बार होगा, जब जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगेगा. इसके पहले ये राज्य सात बार राज्यपाल शासन के हालात में आ चुका है.

नीचे लिस्ट में आप देख सकते हैं कि पिछली बार कब-कब राज्य में राज्यपाल शासन लागू हुआ है-

मार्च 26, 1977-जुलाई 9, 1977: शेख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाया था. कांग्रेस ने गठबंधन का साथ छोड़ दिया तो नेशनस कॉन्फ्रेंस अल्पमत में आ गई, जिसके चलते राज्य में 105 दिनों तक राज्यपाल शासन रहा.

मार्च 6, 1986-नवंबर 7, 1986: बहुमत न होने के चलते 246 दिनों के लिए राज्यपाल शासन रहा.

जनवरी 19, 1990-अक्टूबर 9, 1996: उग्रवाद और कानून व्यवस्था ध्वस्त होने के चलते छह सालों और 264 दिनों के लिए राज्यपाल शासन.

अक्टूबर 18, 2002-नवंबर 2, 2002: राज्य के चुनावों के कोई नतीजे न निकलने पर 15 दिनों तक राज्यपाल शासन.

जुलाई 11, 2008-जनवरी 5, 2009: तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने अमरनाथ यात्रा के लिए जमीन का स्थानांतरण किया था, जिसके चलते पीडीपी ने गठबंधन से हाथ खींच लिए थे. तब राज्य में 178 दिनों के लिए राज्यपाल शासन लागू रहा.

जनवरी 9, 2015-मार्च 1, 2015: विधानसभा चुनावों में अस्पष्ट बहुमत आने पर राज्य में 51 दिनों तक राज्यपाल शासन रहा, जो बीजेपी-पीडीपी के गठबंधन के समझौते पर पहुंचने के बाद खत्म हुआ.

जनवरी 8, 2016-अप्रैल 4, 2016: तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद राज्य में 87 दिनों के लिए राज्यपाल शासन लागू रहा.

राष्ट्रपति नहीं राज्यपाल शासन लगता है जम्मू कश्मीर में

 

जम्मू-कश्मीर में बीजेपी ने पीडीपी से गठबंधन तोड़ लिया है और सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी है. ऐसे में वहां की सरकार अल्पमत में आ गर्ई है और बीजेपी ने राज्य में राज्यपाल शासन लगाने की मांग की है. राज्यपाल की सिफारिश पर देश के राष्ट्रपति इस बात पर फैसला करेंगे कि राज्य में राज्यपाल शासन लगाने की जरूरत है या नहीं.

एक बात आपके दिमाग में जरूर आ रही होगी कि ऐसी स्थिति में देश के अन्य राज्यों में भारतीय संविधान की धारा 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है लेकिन जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन क्यों?, तो आइए हम आपको इसके पीछे कारण बताते हैं.

दरअसल, जम्मू-कश्मीर के संविधान के सेक्शन 92 के मुताबिक, राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के बाद भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी से 6 महीने के लिए राज्यपाल शासन लगाया जा सकता है. राज्यपाल शासन के दौरान या तो विधानसभा को निलंबित कर दिया जाता है या उसे भंग कर दिया जाता है.

राज्यपाल शासन लगने के 6 महीने के भीतर अगर राज्य में संवैधानिक तंत्र दोबारा बहाल नहीं हो पाता है तो भारत के संविधान की धारा 356 के तहत जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन के समय को बढ़ा दिया जाता है और यह राष्ट्रपति शासन में तब्दील हो जाता है. अब तक जम्मू-कश्मीर में 7 बार राज्यपाल शासन लगाया जा चुका है.

उप राज्यपाल के घर में केजरीवाल का धरना खत्म

 

उपराज्यपाल के कार्यालय में नौ दिन से चल रहा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का धरना मंगलवार को समाप्त हो गया है. मुख्यमंत्री के धरना समाप्त करने की घोषणा के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, अधिकारियों ने मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया.

 

चार बाग़ के 2 में होटलों में लगी आग, 6 की मौत

 

प्रदेश की राजधानी के भीड़ वाले क्षेत्र चारबाग में आज दो होटलों को भीषण आग ने अपने चपेट में ले लिया। जिससे पांच लोगों की मौत हो गई है जबकि आधा दर्जन से अधिक बुरी तरह झुलसे हैं।चारबाग के होटल में लगी आग में मृतकों के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2-2 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया है। साथ ही घायलों के लिए पचास हजार रुपये सहायता राशि की घोषणा की।

एसएसजे इंटरनेशनल होटल,चारबाग में सुबह शॉर्ट सर्किट से अचानक आग लग गई। थोड़ी ही देर में आग ने विकराल रूप ले लिया। आग के चपेट में बगल में होटल विराट भी आ गया। आग की लपटों के बीच होटल में अफरातफरी के बीच भगदड़ मच गई। जिस समय घटना हुई 50 से 60 लोग होटल में ही ठहरे थे। कुछ लोग खिड़की से कूद गए तो कुछ होटल में ही फंस गए। इसी बीच होटल विराट में एसी का कंप्रेशर फटने से तेज धमाके के साथ आग ने और विकराल रूप ले लिया।

हादसे में एक साल की बच्ची मेहर, एक महिला व तीन पुरुषों की जलकर मौत हो गई, जबकि अविनाश, सार्थक, इंद्रकुमार, आमिर, रानी समेत दर्जनभर लोग घायल हो गए। सीएफओ एबी पांडेय ने बताया कि आग की सूचना 6:05 पर मिली। पंद्रह मिनट के अंदर दमकल पहुंच गई। 14 दमकलों से 4 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग को पूरी तरह से काबू कर लिया गया। आग बुझाने में 40 फायरमैन, 5 एफएसओ के साथ स्थानीय पुलिस भी लगी थी। आग में फंसे लोगों को बचाने में फायरमैन शिव बाबू का हाथ जल गया।

इसके अतिरिक्त संदीप गुप्ता समेत आधा दर्जन फायरमैन घायल हो गए। सूचना पर मौके पर आइजी लखनऊ रेंज सुजीत कुमार पांडेय, एसएसपी दीपक कुमार, एएसपी पश्चिम विकास चंद्र त्रिपाठी, डायरेक्टर फायर सर्विस पीके राव, डिप्टी डायरेक्टर जेके सिंह, सीएफओ एबी पांडेय समेत अन्य अधिकारियों ने सर्च ऑपरेशन के साथ घटनास्थल का मुआयना किया। आइजी के मुताबिक प्रथम दृष्ट्या आग शॉर्ट सर्किट से लगी, हादसे के कारणों की जांच की जा रही है।

लपटें उठती देख होटल कर्मी और बाहर के लोगों ने शोर मचाना शुरू किया तो भगदड़ मच गई। पर्यटक और होटल कर्मचारी भागे लेकिन तब तक आग ने विकराल रूप धारण कर लिया और बगल में स्थित विराट होटल भी इसकी चपेट में आ गया। एसएसजे होटल के एक कमरे से टीम ने बुरी तरह झुलसे व्यक्ति को निकाला लेकिन तब तक वह दम तोड़ चुका था।

इसके बाद विराट होटल से भी शव निकाला गया। लपटें तेज होने के चलते कई लोग होटल से नहीं निकल पाए। होटल में फंसे लोगों को जब तक टीम निकालती तब तक कई लोग गंभीर रूप से झुलस गए। तत्काल उन्हें अलग-अलग अस्पताल में भर्ती कराया गया। रेस्क्यू टीम लोगों को निकालने में जुटी है।बताया जा रहा है कि एक धमाके के साथ होटल में आग लगी और देखते ही देखते पूरे होटल को चपेट में ले लिया। यह भी बात सामने आ रही है कि मानकों को दरकिनार कर अवैध रूप से होटल चल रहा था। आग की वजहों का अभी पता नहीं चला है। कहा जा रहा है कि शार्ट सर्किट की वजह से आग लगी है। जिस वक्त आग लगी उस वक्त होटल में कई लोग मौजूद थे। घायलों को ट्रामा सेंटर भेजा गया है।

एसएसपी दीपक कुमार भी मौके पर मौजूद पूरे ऑपरेशन की अगुवाई कर रहे हैं। दीपक कुमार ने बताया कि प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक करीब 5.30 बजे के करीब होटल से धुआं निकलने लगा। पुलिस को सूचना करीब 6.15 बजे दी गई। फिलहाल, सर्च ऑपरेशन जारी है। पहली मंजिल पर सर्च चल रहा है।आग की वजह शार्टसर्किट हो सकती है। एसएसपी ने बताया कि मामले की जांच की जाएगी। एसएसपी ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत हो रहा है कि बेसमेंट में आग लगी और ऊपर की तरफ बढ़ी। हादसे के वक्त 35 से 40 लोग मौजूद थे। सभी को निकाल लिया गया है। घटना के बाद से ही होटल प्रबंधन के लोग फरार हैं। जिसके बाद माना जा रहा है कि कहीं न कहीं लापरवाही हुई है।

एसपी पश्चिमी विकास चन्द्र त्रिपाठी ने पांच लोगों की मौत की पुष्टि की है। आग की सूचना पर आईजी जोन सुजीत पाण्डेय भी मौके पर पहुंचे हैं। गंभीर रूप से झुलसे लोगों का हाल लेने कैबिनेट मंत्री डॉ.रीता बहुगुणा जोशी लखनऊ के सिविल अस्पताल पहुंची।

उन्होंने सभी को उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश भी दिया है। होटल विराट में आग लगने की घटना के बाद मौके पर पहुंची रीता बहुगुणा जोशी ने कहा होटल में आग लगने की मैजिस्ट्रीयल जांच होगी। हादसे की जांच रिपोर्ट एक हफ्ते में तैयार होगी। चारबाग के सभी होटलों में सुरक्षा और अतिक्रमण की जांच होगी।

सीएफओ एबी पांडेय ने बताया कि दोनों होटलों में दमकल उपकरण नहीं थे। एसएसजे इंटरनेशनल को दमकल ने महीने भर पहले नोटिस भी दी थी।

एएसपी पश्चिम विकास चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि हादसे के बाद से एसएसजे इंटरनेशनल होटल के मालिक सुरेंद्र जायसवाल व विराट होटल के मालिक अर्पित जायसवाल और प्रतीक जायसवाल फरार हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के चारबाग में होटलों में लगी आग से लोगों की मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को अग्निकांड में घायल हुए लोगों का समुचित उपचार कराने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने मृतकों के शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी संवेदना भी व्यक्त की है।

लखनऊ में विराट होटल अग्निकांड व एसएसजे इंटरनेशनल में अग्निकांड पर एसएसपी दीपक कुमार ने बड़ा फैसला लिया है। दोनों होटल मालिकों के खिलाफ खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। अब एक महीने तक चारबाग के होटलों में फायर सेफ्टी का ऑडिट चलेगा।

लखनऊ में आज जिस होटल विराट तथा एसएसजे इंटरनेशनल में अग्निकांड हुआ है, इनका नक्शा भी पास नहीं है। होटल विराट का नक्शा तो आवास के नाम पर पास है जबकि एसएसजे इंटरनेशनल होटल का तो कोई नक्शा ही नहीं है। एसएसजे में 42 तथा होटल विराट में 27 कमरे हैं। सिपाही भर्ती परीक्षा के कारण दोनों होटल के सभी कमरे भरे थे। होटल प्रांगण में खड़े दो चार पहिया वाहन (यूपी 78 सीवी 4984 तथा डीएल3सी बीजे 2108) भी आग में भस्म हो गए। एसएसजे इंटरनेशनल होटल में तो एक बार भी है।

ओमर अब्दुल्लाह पंहुचे गवरनर हाउस

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी महबूबा को राज्यपाल को त्यागपत्र सौंपे कुछ ही देर हुई है कि ओमर अब्दुल्लाह राज भवन पंहुच भी गए.

जारी है…….

कांग्रेस भाग्य छींका टूटा 

बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से समर्थन वापस लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है. बीजेपी का आरोप है कि कश्मीर के मौजूदा हालातों को देखते हुए अब पीडीपी के साथ सरकार चलाना बहुत मुश्किल है.

इसी के साथ जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल  शासन की आशंका बढ़ने लगी है. समर्थन वापसी के बाद अब जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देखा जा रहा है.

राजनीतिक विश्लेषक और डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्वालय के प्रोफेसर मोहम्मद अरशद बताते हैं कि ‘अगर जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल  शासन लागू हो जाता है तो सीधे तौर पर न सही राजभवन से होते हुए सूबे की कमान बीजेपी के हाथों में आ जाएगी. जबकि नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ये कभी नहीं चाहेंगे कि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी का दखल बढ़े.

 

ये ही वजह है कि बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती को समर्थन दे सकती है. कांग्रेस के पास इस वक्त 12 सीट हैं. अगर 5 निर्दलीय उम्मीदवारों को मिला लिया जाए तो पीडीपी बहुमत के आंकड़े 44 को छू सकती है.

दूसरी ओर अगर महबूबा नेशनल कांफ्रेंस के साथ सीएम की कुर्सी को लेकर कोई डील कर लेती है तो भी सत्ता बची रहेगी. ऐसे में नेशनल कांफ्रेंस के लिए भी ये घाटे का सौदा नहीं रहेगा.

एक और जहाँ सेना को अपने ओपेराश्न्स चलाने में कठिनाई नहीं आएगी

वहीँ दूसरी और अलगाववादियों, पत्थाराबजों, मानवाधिकार(आतंकवादियों के अधिकारों) की आवाज़ उठाने वालों की तूती बोलेगी

क्योंकि पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस(कांग्रेस के साथ गठबंधन) के लिए उत्तरी कश्मीर का इलाका सियासी नजरिए से खासा अहम है. अभी सरकार चलाने के लिए 3 साल का वक्त बाकी है. एक रास्ता ये भी है कि सूबे में राज्यपाल शासन लागू न करके चुनाव करा दिए जाएं.’

 

अवैध पार्किंग पर कमिश्नर सख्त

 

निगम कमिश्नर आईएएस के.के. यादव ने शहर के विभिन्न मार्केटों से अवैध रूप में पार्क किये आधा दर्जन वाहन उठवा कर उनके चालान किये। निगम के अतिक्रमण विरोधी विशेष दस्ते द्वारा आज दोपहर बाद स्पेशल ड्राइव चलाकर वाहनों के चालान किये गये। इसके अलावा विज्ञापन वाले सैकड़ों होर्डिंग भी हटाए गए।  के.के.यादव ने बताया कि यह विशेष अभियान शहर में ‘सड़क सुरक्षा’ अभियान के अंतर्गत चलाया गया।

उन्होंने शहरवासियों से निर्धारित एवं वैध रूप से संचालित पार्किंग में ही पार्क करने की अपील की।उन्होंने कहा कि अवैध रूप से लगाये गये विज्ञापन होर्डिंग्स एवं पार्किंग यदि शीघ्र नहीं हटाए गए तो नगर निगम के अतिक्रमण विरोधी विशेष दल द्वारा पुलिस बल की सहायता से तथाकथित पार्किंग संचालकों पर सख्त कार्रवाई कर उन पर जुर्माना भी लगाया जाएगा।आज की कार्रवाई में सैकड़ों होर्डिंग्स एवं छह कारें हटायी गयीं। इसके अलावा डॉ. लालपथ लैब, सेक्टर  16 में लगे अवैध बोर्ड भी हटाए गए।

सीज़ फायर ने तोड़ी जम्मू कश्मीर में भाजपा-पीडीपी जोड़ी

अमित शाह ने आज ही बीजेपी नेताओं की बैठक बुलाई थी (फाइल फोटो)

भाजपा ने जम्मू कश्मीर की गठबंधन वाली सरकार में राष्ट्रिय हितों को ले कर टकराव के चलते पड़ी दरार.

अब गठबंधन धर्म से मुक्त भाजप क्या अपने पुराने एजेंडा पर लौटेगी?

जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ मिलकर सरकार में शामिल बीजेपी ने गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया है. सीजफायर सहित कई मुद्दों पर दोनों ही पार्टियों में काफी दिनों से टकराव चल रहा था. आज ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने महबूबा मुफ्ती सरकार में शामिल बीजेपी कोटे के सभी मंत्रियों और राज्य के सभी बड़े नेताओं को दिल्ली में आपात बैठक के लिये बुलाया था. इसी बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी अमित शाह से मुलाकात की है. इसके बाद बीजेपी ने समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया.

– हम खंडित जनादेश में साथ आए थे. लेकिन इस मौजूदा समय के आकलन के बाद इस सरकार को चलाना मुश्किल हो गया था.
– हम एक एजेंडे के तहत सरकार बनाई थी. केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर सरकार की हर संभव मदद की.
– गृहमंत्री समय पर राज्य का दौरा करते रहे. सीमा पार से जो भी पाकिस्तान की सभी गतिविधियों को रोकने के लिये सरकार और सेना करती रही.
– हाल ही में वरिष्ठ पत्रकार की हत्या कर दी गई. राज्य में बोलने की आजादी पर खतरा हो गया है.
– राज्य सरकार की किसी भी मदद के लिये केंद्र सरकार करती रही. लेकिन राज्य सरकार पूरी तरह से असफल रही. जम्मू और लद्दाख में विकास का काम भी नहीं हुआ. कई विभागों ने काम की दृष्टि से अच्छा काम नहीं किया.
– बीजेपी के लिये जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है लेकिन आज जो स्थिति है उस पर नियंत्रण करने के लिये हमने फैसला किया है कि हम शासन को राज्यपाल का शासन लाये.

जैन से कानूनी सलाह लेंगे मनोनीत पार्षद

 

नगर निगम में विभिन्न कमेटियों में नॉमिनेटिड पार्षदों की नियुक्ति को लेकर जारी विवाद के बीच सोमवार को मेयर देवेश मोदगिल के नेतृत्व में नॉमिनेटिड पार्षदों ने पूर्व सांसद एवं एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया सत्यपाल जैन से मुलाकात कर मामले को लेकर कानूनी पहलुओं पर चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल में सतप्रकाश अग्रवाल, चरनजीव सिंह, डॉ. ज्योत्सना विज, शिप्रा बंसल, कमला शर्मा व अजय दत्ता शामिल थे। जैन ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि नॉमिनेटिड पार्षद निगम की विभिन्न कमेटियों में चेयरर्सन एवं वाइस चेयरपर्सन हो सकते हैं क्योंकि वे भी अन्य पार्षदों की तरह ही निगम के सदस्य होते हैं। लेकिन हाई कोर्ट की जजमेंट के अनुसार नॉमिनेटिड पार्षदों को वोट देने का अधिकार नहीं है।

जम्मू कश्मीर के भाजपा विधायकों के साथ अमित शाह की बैठक जारी

 

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष शाह ने जम्मू-कश्मीर के मामले पर बड़ी बैठक बुलाई है। अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर सरकार में शामिल पार्टी के सभी मंत्रियों और कुछ शीर्ष नेताओं को इस बैठक में बुलाया है। यह मुलाकात अमित शाह और जम्मू-कश्मीर कैबिनेट में शामिल बीजेपी के मंत्रियों के बीच होने वाली बैठक से ठीक पहले हुई।

दिल्ली में अमित शाह और मंत्रियों की मीटिंग शुरू हो चुकी है। शाह के 23 जून के कश्मीर दौरे से पहले राज्य कैबिनेट मंत्रियों से मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है। जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता के भी इस मीटिंग में हिस्सा लेने की उम्मीद है।

माना जा रहा है कि सरकार की तरफ से सीजफायर रोकने के बाद सत्ताधारी दल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता नाराज हैं। ऐसा हो सकता है कि इस मसले पर अपनी पार्टी का रुख स्पष्ट करने के लिए यह बैठक बुलाई गई है।