हरियाणा के निकाय चुनावों ने विधानसभा का रंज धो डाला
मात्र 8 दिन में ही उतरा कांग्रेस की जीत का खुमार, BJP ने की दमदार वापसी
हरियाणा नगर निगम चुनावों में जीत हासिल करने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कार्यकर्ताओं को बधाई दी है
हरियाणा के निकाय चुनाव में बीजेपी की जीत ने पार्टी में फिर से जोश भर दिया है. तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद हरियाणा के बेहतर प्रदर्शन ने पार्टी के लिए संजीवनी का काम किया है. निकाय चुनाव की गिनती के बाद तय हो गया है कि सभी पांच जिलों में बीजेपी का मेयर बनना तय है. निकाय चुनाव में. बीजेपी के बेहतर प्रदर्शन के पांच कारण रहे.
कांग्रेस ने सिंबल पर नहीं लड़ा चुनाव
इस बार के निकाय चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन का सबसे बड़ा कारण यह रहा कि उसका कोई भी उम्मीदवार कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ा. नेशनल लोकदल को बाहर से समर्थन देने की बात कह चुकी कांग्रेस ने अपने किसी भी उम्मीदवार को हाथ के पंजे पर चुनाव नहीं लड़ने दिया. इसका सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को मिला.
नेशनल लोकदल में टूट बड़ा कारण
नेशनल लोकदल में दुष्यंत चौटाला और अभय चौटाला के बीच की लड़ाई का असर चुनाव में साफ देखने को मिला. दोनों ही नेताओं ने चुनाव में अपनी ताकत नहीं दिखाई. नेशनल लोकदल ने चुनाव में अपनी ताकत नहीं डाली, जिसका फायदा बीजेपी के उम्मीदवारों को मिला.
चुनाव में नेशनल लोकदल के नेताओं ने नहीं किया प्रचार
निकाय चुनाव में नेशनल लोकदल के नेताओं ने चुनाव प्रचार नहीं किया. इसका सबसे बड़ा कारण रहा दुष्यंत चौटाला और अभय चौटाला की लड़ाई. दोनों ही नेताओं ने अपने उम्मीदवारों के लिए कोई भी प्रचार प्रसार नहीं किया.
बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंकी
तीनों राज्यों के विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद बीजेपी और झटका नहीं लेना चाहती थी. यही कारण है कि बीजेपी हरियाणा के सभी प्रमुख नेताओं ने चुनाव में खड़े उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार किया था. इसका फायदा उन्हें मिला है.
करनाल सीट रही सबसे अहम
करनाल सीट पर नेशनल लोकदल और कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार ही नहीं उतारा. करनाल सीएम मनोहर लाल खट्टर की सीट मानी जाती है. बीजेपी ने इस सीट से रेनु बाला को खड़ा किया था. नेशनल लोकदल और कांग्रेस ने निर्दलीय प्रत्याशी आशा वधवा को अपना समर्थन दिया था.
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