राजस्थान में ‘कौन बनेगा मुख्यमंत्री’ पर पेंच फंसा हुआ है।
राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के 2 दावेदार हैं सचिन पाइलट और अशोक गहलोत दोनों ही का अपना अपना जनाधार और अपना अपना समर्थक दल है, वह दल अपने अपने कुनबे के ही पात्र को मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहते हैं। कांग्रेस में मुख्य मंत्री पद पर कौन सुशोभित होगा यह विधायक दल से प्रमुख परिवार द्वारा कहलवा दिया जाएगा।
आज दोपहर ही से मुख्यमंत्री पद के लिए माथापच्ची हो रही है। कांग्रेस का मुख्य परिवार अपने अपने विचारों को आस में बाँट रहे हैं। सभी हैरान हो रहे हैं की सोनिया राहुल का आपस में विचार विमर्श करना तो ठीक और समझ में आने वाला है प्रतु प्रियंका वाडरा के आने के बाद सुगबुगाहट बढ़ गयी है। अब तो वहाँ उपसिथित लोग भी प्रियंका के आने का औचित्य समझने में लग गए हैं।
जहां राहुल गांधी सचिन पाइलट को राजस्थान का मुख्य मंत्री देखना चाहते हैं और वहीं दूसरी ओर सोनिया गांधी गहलोत को राजस्थान का मुख्य मंत्री पद देना चाहते हैं। प्रियंका का आगमन भी यही संदेश देता है कि श्रीमती रोबर्ट वाड्रा वहाँ अपने निजी स्वार्थ हेतु उपस्थित हुईं हैं।
असल में तीन राज्यों के चुनाव परिणाम के साथ ही आल कमान जागृत हो उठा था, कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता हों या फिर साधारण कार्यकर्ता उन्हे आला कमान कि बात को ही ब्रहम वाक्य मानना होता है। यही परंपरा है ।
अब बात करें मुख्यमंत्री पद कि, तो गहलोत कांग्रेस के प्रथम परिवार के मुख्य मंत्री के रूप में पहली पसंद हैं राहुल को छोड़ कर। श्रीमति वाड्रा को यकीन है कि उनके परिवार पर छाए ईडी के बादल छांट सकते हैं। सनद रहे कि वाड्रा पर कई करोड़ के जमीनी घोटाले में फंसे हुए ईडी कि गिद्ध दृष्टि पद रही है। उसके बचाव का एक ही उपाय है कि अहमद पटेल गुट के व्यक्ति को ही मुख्य मंत्री पद सौंपा जाये।