Thursday, December 26


चुनावी जीत के साथ ही जो राजनीतिक हालात बने हैं वे भी बयां कर रहे हैं कि कमलनाथ के साथ सिंह को भी समानांतर पावर के साथ देखा जा रहा है


अब इस बात के राजनीतिक कयास शुरू हो गए हैं कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के चाणक्य साबित हुए दिग्विजय सिंह क्या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बन सकते हैं. कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही ये पद खाली होगा. 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए सिंह इस पद के लिए सबसे प्रबल दावेदार दिखाई दे रहे हैं.

पिछले तीन दिन का घटनाक्रम भी इस बात के साफ संकेत दे रहा है कि दिग्विजय सिंह किसी पद पर नहीं रहते हुए भी एक समानांतर पावर में आ गए हैं. भावी मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ उनका समन्वय और मध्यप्रदेश में दस साल मुख्यमंत्री रहने के कारण वो प्रशासनिक जमावट से लेकर कई मामलों में अहम रोल निभा रहे हैं.

टकराहट नहीं

राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर जितनी टकराहट है वैसा माहौल मध्यप्रदेश में नहीं है. इसका एकमात्र कारण कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का एक होना है. 90 से ज्यादा विधायक इन दोनों के समर्थक हैं.

कांग्रेस के स्टार कैंपेनर ज्योतिरादित्य सिंधिया इस दौड़ में पीछे रह गए हैं. कांग्रेस हलकों में चर्चा है कि कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही पहला फैसला प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर करना होगा. मुख्यमंत्री रहते हुए वे एक साथ दो पद पर काबिज नहीं हो सकते.

2019 की चुनौती

चार महीने बाद ही लोकसभा का चुनाव है. जो कांग्रेस के लिए सबसे ज्यादा चुनौती वाला है. फिलहाल यहां की 29 में से 26 सीट बीजेपी के पास हैं. विधानसभा चुनाव का रिजल्ट बता रहा है कि कांग्रेस ने करीब 14 सीट को कवर कर लिया है.

2019 में भी कांग्रेस इतनी ताकत झोंकती है तो बीजेपी का किला ढहाना उसके लिए मुश्किल नहीं है. हालात बता रहे हैं कि ऐसे में कमलनाथ किसी रबर स्टेंप अध्यक्ष के साथ संगठन चलाने का जोख़िम नहीं ले सकते

रबर स्टेंप नहीं चल सकता

अरुण यादव, अजय सिंह, सुरेश पचौरी के नाम भी अध्यक्ष पद की दौड़ में हो सकते हैं. लेकिन इनकी संभावना कम नज़र आती है.

2019 के मद्देनजर कांग्रेस को ऐसे अध्यक्ष की ज़रूरत होगी जो सभी गुटों पर अपना प्रभाव और दमखम रखता हो. वहां दिग्विजय सिंह जैसे कद्दावर नेता का नाम ही सामने आ रहा है.

सिंह की राय खास

चुनावी जीत के साथ ही जो राजनीतिक हालात बने हैं वे भी बयां कर रहे हैं कि कमलनाथ के साथ सिंह को भी समानांतर पावर के साथ देखा जा रहा है. कई मुद्दों पर कमलनाथ स्वयं सिंह से राय लेने या मिलने के लिए कह रहे हैं.

खास तौर पर प्रशासनिक मामलों में सिंह की राय को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. टीम कमलनाथ में कौन अधिकारी होंगे इसका फैसला सिंह की सहमति के साथ होता दिखाई दे रहा है.

प्रदेश से दूर रहे

कमलनाथ मध्यप्रदेश से सांसद रहे, केंद्र में मंत्री रहे लेकिन मध्यप्रदेश में उनकी इस तरह मौजूदगी या दखल कभी नहीं रहा. दिग्विजय सिंह का दस साल तक मुख्यमंत्री रहते हुए संपर्क और कई पुराने अधिकारियों के साथ उनके अनुभव को देखते हुए वे उनके साथ हर बात साझा कर रहे हैं.