महिला अध्यापक जाती सूचक शब्द कहने पर अदालत का दरवाजा खटखटाया
पंचकूला के रामगढ के बिला गांव में एक सरकारी स्कूल के महिला टीचर ने महिला टीचर को जातिसूचक शब्द कहे महिला टीचर ने मानयोग अदालत का दरवाजा खट खटाया।
पंचकूला के रामगढ के बिला गांव में एक सरकारी स्कूल के महिला टीचर ने महिला टीचर को जातिसूचक शब्द कहे महिला टीचर ने मानयोग अदालत का दरवाजा खट खटाया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगे से संबंधित मामले में दोषी यशपाल सिंह की याचिका पर पुलिस से मंगलवार को जवाब मांगा है. यशपाल सिंह ने सिख विरोधी दंगा मामले में उसे सुनाई गई मौत की सजा को चुनौती दी है.
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति संगीता धींगरा सहगल की पीठ ने दोषी की मौत की सजा की पुष्टि करने के लिए पेश मामले में भी सिंह को नोटिस जारी किया. पीठ ने सिंह को पेशी के लिए वारंट जारी किया.
अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी. निचली अदालत ने सिंह को 14 नवंबर को दोषी ठहराया था. इस फैसले के बाद से वह तिहाड़ जेल में बंद है. अदालत ने उसे 20 नवंबर को मौत की सजा सुनाई थी.
निचली अदालत ने 1984 दंगों के दौरान नई दिल्ली में दो लोगों की हत्या के मामले में अपराध में सहायता करने वाले नरेश सहरावत को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
गौरतलब है कि भारतीय सिखों के खिलाफ 1984 में जो दंगे हुए, उन्हें सिख विरोधी दंगे कहा जाता है. इसकी वजह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या थी. उनकी हत्या करने वाले बॉडीगार्ड सिख थे. इस घटना के बाद ही देश में सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे.
जब इस मामले में इंदिरा के बेटे राजीव गांधी से पूछा गया था तो उन्होंने हैरान करने वाला बयान दिया था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा था..जब बड़े पेड़ गिरते हैं तो धरती हिलती है.
पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के नतीजें लगभग आ चुके हैं. मध्यप्रदेश के अलावा बाकी चारो राज्यों में तस्वीर साफ हो चुकी है. इसमें से छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनाने वाली है.
जनता के इस आदेश को स्वीकार करते हुए पीएम मोदी ने आभार व्यक्त किया है. पीएम ने कहा- ‘हम जनता के आदेश को स्वीकार करते हैं. मैं छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान की जनता को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने हमें राज्य की सेवा का अवसर दिया. इन राज्यों में बीजेपी सरकार ने पूरे जोश से लोगों के विकास के लिए काम किया है.’
I thank the people of Chhattisgarh, Madhya Pradesh and Rajasthan for giving us the opportunity to serve these states. The BJP Governments in these states worked tirelessly for the welfare of the people.
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने जीत के लिए कांग्रेस और के चंद्रशेखर राव को भी बधाई दी. पीएम ने ट्वीट किया- ‘कांग्रेस को जीत के लिए बधाई. केसीआर गारु को तेलंगाना में शानदार जीत के लिए बधाई और मिजो नेशनल फ्रंट को भी मिजोरम में जीत के लिए बधाई.’
Congratulations to KCR Garu for the thumping win in Telangana and to the Mizo National Front (MNF) for their impressive victory in Mizoram.
पंचकूला:
पंचकूला के पूर्व विधायक स्वर्गीय डीके बंसल की बेटी एवं युवा कांग्रेसी पूजा बंसल ने बरवाला में जीत की रैली निकाली। पूजा बंसल ने कहा कि युवाओं ने राहुल गांधी के नाम पर वोट दिया है और अब भाजपा को अपना बोरिया बिस्तर बांधकर घर बैठने की तैयारी कर लेनी चाहिए।
पूजा बंसल ने कहा कि लोकसभा व हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस केंद्र व हरियाणा में सरकार बनाकर अपना परचम लहराएगी। केंद्र व प्रदेश सरकार की गलत नीतियों से व्यापारी, उद्योगपति, किसान, कर्मचारी, मजदूर व आम जनता बड़ी भारी दुखी है। क्योंकि सरकार ने नोटबंदी व जीएसटी के तहत अनाप-शनाप टैक्सों में बढ़ोतरी करके गरीबों के मुंह का निवाला छिन्ने का काम किया है। जिसके कारण देश की आम जनता सरकार की कारगुजारी से बहुत दुखी है और केंद्र व हरियाणा सरकार को चलता करने का पूरा मन बना चुकी है और जनता लोकसभा व हरियाणा के विधानसभा चुनाव का इंतजार कर रही है। इस चुनाव में जनता भाजपा को घर बैठाने का काम करेगी।
इस अवसर पर पुष्पिंद्र राणा, बंबूल राणा, राजेंद्र बतौड़, सुशील चंद, रामेश्वर चंद, नच्छतर सिंह, प्रिंस रिहौड़, ओमवीर, मुकेश, ज्ञान चंद शर्मा कामी, लाभ सिंह, नरेंद्र सिंह, पवन सिंह टोका, पवन राणा, रणदीप सिंह भी उपस्थित थे।
जयपुर:
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया है. राज्य विधानसभा चुनाव में हुई बीजेपी के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया.
कांग्रेस को जीत की बधाई देते हुए वसुंधरा राजे ने कहा 5 साल में बीजेपी ने अच्छे काम किए हैं.मुख्यमंत्री ने कहा कि हम प्रदेश की जनता की आवाज को सदन में उठाएंगे. मैं समस्त पार्टी कार्यकर्ताओं, पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को धन्यवाद देना चाहती हूं. जब पत्रकारों ने उनसे हार का कारण जानना चाहा तो वसुंधरा ने सवाल को टाल दिया.
वसुंधरा के कई मंत्री चुनाव हारे
बता दें राजस्थान में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. वसुंधरा राजे सरकार में कद्दावर रहे कई मंत्री विधानसभा चुनाव हार गए हैं. इनमें परिवहन मंत्री युनुस खान, खान मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी, यूडीएच मंत्री श्रीचंद कृपलानी शामिल हैं. जीतने वाले मंत्रियों में गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया व शिक्षा मंत्री किरण महेश्वरी का नाम प्रमुख है. वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले युनुस खान टोंक विधानसभा सीट से 54,179 मतों से हार गए. इस सीट पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे सचिन पायलट जीते हैं.
वहीं जल संसाधन मंत्री डॉ. रामप्रताप हनुमानगढ़ सीट पर 15522 मतों से तो पशुपालन मंत्री रहे ओटाराम देवासी सिरोही सीट पर 10253 मतों से पराजित हुए. इसी तरह राजे सरकार के कृषि मंत्री प्रभु लाल सैनी अंता सीट पर 34059 मतों से हारे. उन्हें कांग्रेस के प्रमोद भाया ने हराया. खान मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी करणपुर सीट पर हारे और वह मुकाबले में तीसरे स्थान पर रहे.
खाद्य व आपूर्ति मंत्री बाबू लाल वर्मा बारां अटरू सीट पर 12248 मतों से हार गए. पर्यटन मंत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा नदबई सीट पर बसपा के जोगिंदर सिंह से 4094 मतों से हारीं जबकि यूडीएच मंत्री श्रीचंद कृपलानी निंबाहेडा सीट पर 11908 मतों से हारे हैं.
सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री अरूण चतुर्वेदी सिविल लाइंस सीट पर 18078 मतों से हार गए. उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत झोटवाड़ा सीट पर 10747 मतों से हार गए. वहीं गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने उदयपुर सीट पर कांग्रेस की गिरिजा व्यास को 9307 मतों से पराजित किया.
इन मंत्रियों को मिली सफलता
वसुंधरा राजे के जिन प्रमुख मंत्रियों ने जीत दर्ज करने में सफलता पाई है उनमें चिकित्सा मंत्री कालीचरण सर्राफ मालवीयनगर सीट पर 1704 मतों से, महिला व बाल विकास मंत्री अनिता भदेल अजमेर (दक्षिण) सीट पर 5700 मतों से व शिक्षामंत्री वासुदेव देवनानी अजमेर (उत्तर) सीट पर 8630 मतों से जीते हैं. बाली सीट पर ऊर्जा मंत्री पुष्पेंद्र सिंह 28081 मतों व शिक्षा मंत्री किरण महेश्वरी ने राजसमंद सीट पर 24532 मतों से जीत दर्ज की है
2014 लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन पहली बार काबिलेतारीफ रहा है. राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ‘पंजे’ के द्वारा ‘कमल’ को उखाड़ फेंका जाना दोनों राज्यों में उसके बेहतरीन प्रदर्शन की मिसाल है. वहीं मध्य प्रदेश में कांटे की टक्कर कांग्रेस द्वारा एक और राज्य में बेहतर प्रदर्शन को दर्शाती है. हिन्दीभाषी बीजेपी के गढ़ में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन से कांग्रेस की बांछें खिल गई हैं और साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी का आत्मविश्वास पूरी तरह उफान पर है.
वैसे 2014 लोकसभा चुनाव के बाद साल 2017 तक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है. एक-एक कर 14 राज्यों में सत्ता गंवा चुकी कांग्रेस के लिए लगातार मिल रही हार को छिपाना मुश्किल हो रहा था. पार्टी के अंदर और बाहर पार्टी में जान फूंके जाने के लिए लीडरशिप क्राइसिस की बात उठने लगी थी और बीजेपी के ‘कांग्रेस मुक्त’ भारत के नारे को लोग सच्चाई की कसौटी पर देखने लगे थे.
पिछले चार सालों में पंजाब की जीत ही एक ऐसी जीत थी, जिसको लेकर कांग्रेस अपनी पीठ थपथपा सकती थी लेकिन उस जीत में भी जीत का सेहरा कैप्टन अमरिंदर सिंह को दिया गया. ध्यान रहे पंजाब में भी कांग्रेस की सीधी लड़ाई शिरोमणी अकाली दल से थी और बीजेपी शिरोमणी अकाली दल के सहयोगी तौर पर चुनाव मैदान में थी.
महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बीजेपी की लगातार जीत से कांग्रेस की कमर टूट चुकी थी वहीं बिहार में महागठबंधन को मिली जीत के बावजूद कांग्रेस को सत्ता से बाहर होना पड़ा. यहां महागठबंधन के नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आरजेडी और कांग्रेस से नाता तोड़कर बीजेपी की तरफ रुखसत कर गए और फिर से वहां एनडीए की सरकार बनाने में कामयाब हुए.
कुलमिलाकर कहा जाए तो 2014 लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी से सीधी लड़ाई में कांग्रेस कहीं भी कामयाब नहीं हुई थी. गोवा और मणिपुर में बीजेपी द्वारा हार का सामना करने के बाद भी राजनीतिक सूझबूझ से सरकार बना लेने से कांग्रेस का मनोबल पूरी तरह टूट चुका था. इन राज्यों में बीजेपी की सरकार बन जाने के बाद कांग्रेस को सेल्फ गोल करने वाली पार्टी की संज्ञा दी जाने लगी. जाहिर है बीजेपी से एक के बाद दूसरी मिल रही हार से कांग्रेस के हौसले पस्त हो चुके थे.
ऐसे में तीन राज्यों में कांग्रेस का जोरदार प्रदर्शन 2019 लोकसभा चुनाव में संजीवनी बूटी की तरह है, जो उसे नया जीवन देने और उसके हौसले को पंख लगाने में काफी मददगार साबित होगा. कांग्रेस के नेता मानने लगे हैं कि इन तीनों राज्यों के नतीजों से बीजेपी विरोधी पार्टियों में राहुल गांधी नेता के रूप में पदस्थापित हो सकेंगे और बीजेपी विरोधी पार्टियों में कांग्रेस और उसके नेतृत्व को लेकर विश्वास बढ़ेगा.
दरअसल पिछले चार सालों में बीजेपी के साथ सीधी लड़ाई में पहली बार ऐसा हुआ है कि कांग्रेस बीजेपी को पछाड़ पाने में कामयाब हो सकी है. 90 सीटों वाले राज्य छत्तीसगढ़ में बीजेपी को कांग्रेस ने पूरी तरह उखाड़ फेंका है. वहां बीजेपी को 20 से कम सीटें मिली हैं वहीं कांग्रेस 70 सीटें पाकर पंद्रह साल बाद सत्ता पर काबिज हो रही है. रमण सिंह के अभेद्य किले में कांग्रेस की सेंध से पार्टी आत्म विश्वास से लवरेज है. पार्टी के नेता और कार्यकर्ता इस चुनाव को 2019 लोकसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल करार दे रहे हैं.
राजस्थान में भी ‘हाथ’ के करिश्मे के आगे कमल खिल नहीं सका. बीजेपी की मजबूत जड़ को हिला कांग्रेस अपना परचम लहराने में कामयाब रही है. कांग्रेस शतक पार कर बहुमत के आंकड़े को छू चुकी है वहीं बीजेपी 72 के आसपास सिमट कर रह गई है. सूबे के दिग्गज कांग्रेस नेता अशोक गेहलोत और सचिन पायलट पर्दे के पीछे मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं. जाहिर है दोनों जीत का सेहरा राहुल गांधी के सिर बांध रहे हैं और जनता की अदालत के इस फैसले को साल 2019 की लोकसभा के रिजल्ट की झांकी करार दे रहे हैं. वैसे राजस्थान का रिकॉर्ड ये बताता है कि हर पांच साल में यहां सरकार बदलती है और ये सिलसिला पिछले 25 सालों से बरकरार हैं.
वहीं मध्य प्रदेश में भी शिवराज सिंह चौहान के पंद्रह साल के शासन को चुनौती देकर कांग्रेस सीधे तौर पर विजय के मार्ग पर आगे बढ़ रही है. जाहिर है राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की ये पहली ऐसी विजय है जिसको लेकर पार्टी का हौसला बुलंदियों पर है. कांग्रेस में उम्मीद जगी है कि लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी विरोधी पार्टियों को लामबंद करने में कांग्रेस को कामयाबी मिल सकेगी और बीजेपी विरोधी तमाम पार्टियों के बीच कांग्रेस नेतृत्व को लेकर विश्वास बढ़ेगा. ऐसी तमाम क्षेत्रीय पार्टियां जो कांग्रेस के नेतृत्व को लेकर असमंजस की स्थिति में थी और राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार कर पाने में असहज हो रही थी उनके बीच राहुल गांधी की स्वीकार्यता को लेकर भरोसा बढ़ेगा.
वैसे राहुल गांधी कई बार इस बात को दोहरा चुके हैं कि 2019 का चुनाव बीजेपी बनाम विपक्षी पार्टियां होंगी लेकिन विपक्ष को गोलबंद कर पाने में वो अब तक कामयाब नहीं हो पाए थे. छ्त्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में एसपी, बीएसपी का कांग्रेस से अलग चुनाव लड़ना कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल खड़े करता रहा है. ऐसे में कांग्रेस की ये जीत बीजेपी विरोधी पार्टियों को आगामी चुनाव तक गोलबंद करने में मददगार साबित होगी जिससे बीजेपी के समक्ष मजबूत चुनौती पेश की जा सके.
मंगलवार से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका है. इस बीच लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है. संसद के एनेक्सी भवन में चल रही इस बैठक में सभी पार्टियों के नेता शामिल हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स की माने सुमित्रा महाजन ने ये बैठक इसलिए बुलाई है ताकि शीतकालीन सत्र को शातिंपूर्ण तरीके से चलाने पर चर्चा की जा सके. संसद का शीतकालीन सत्र 11 दिसंबर से शुरू होकर आठ जनवरी तक चलेगा.
शीतकालीन सत्र पर क्या बोले पीएम मोदी ?
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को शीतकालीन सत्र को लोकहित और देशहित में सार्थक बनाने की अपील करते हुए कहा कि लंबित विधायी एजेंडा पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे और सारे अहम विषयों को नतीजे तक पहुंचाएंगे.
सत्र के पहले दिन संसद भवन परिसर में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि सत्र काफी सार्थक रहेगा. यह सत्र महत्वपूर्ण है. सरकार की तरफ से कई महत्वपूर्ण विषय रहेंगे, जो जनहित के हैं, देशहित के हैं और सभी का यह प्रयास रहे कि हम अधिक से अधिक काम जनहित, लोकहित का और देशहित का कर पाएं.’
मोदी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि सदन के सभी सदस्य इस भावना का आदर करते हुए आगे बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि ‘हमारा निरंतर प्रयास रहा है कि सभी विषयों पर चर्चा हो. खुल करके चर्चा हो, तेज-तर्रार चर्चा हो, तीखी तमतमाती चर्चा हो… लेकिन चर्चा तो हो! वाद हो, विवाद हो, संवाद तो होना ही चाहिए.’
पीएम ने कहा, ‘इसलिए हमारी यह गुजारिश रहेगी, हमारा आग्रह रहेगा कि यह सदन निर्धारित समय से भी अधिक समय काम करे. सारे महत्वपूर्ण विषयों को नतीजे तक पहुंचाए.’ उन्होंने कहा कि चर्चा करके उसे और अधिक सार्थक बनाने के लिए, और अधिक मजबूत बनाने के लिए प्रयास हो.’
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे आने शुरु हो गए हैं. मतगणना अभी जारी है लेकिन राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में तस्वीर साफ हो गई है. राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बना रही है. वहीं तेलंगाना में टीआरएस सत्ता पर काबिज हो गई.
पूर्वोत्तर राज्य में कांग्रेस का आखिरी किला भी ढह गया है. मिजोरम में कांग्रेस के 10 साल से मुख्यमंत्री ललथनहवला दो सीटों पर चुनाव लड़े थे और उन्हें दोनों ही सीटों पर करारी हार का सामना करना पड़ा. मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट सरकार बना रही है.
चुनावों में दिलचस्प आंकड़े सामने आ रहे हैं. दिल्ली में सरकार में बैठी और आंदोलन से उपजी आम आदमी पार्टी ने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अपने उम्मीदवार खड़े किए थे. तीनों ही राज्यों में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को जनता ने सिरे से नकार दिया. हालांकि मध्यप्रदेश के सिंगरौली में आप नेता रानी अग्रवाल शुरुआत में बढ़त बनाए हुए थीं, लेकिन अब वो भी पिछड़ गई हैं.
आलम ये है कि आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों से ज्यादा वोट नोटा (इनमें से कोई नहीं) को मिले हैं.
मध्यप्रदेश में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को 1,17,968 वोट मिले. वहीं 2,63,835 लोगों ने नोटा का विकल्प चुना.
छत्तीसगढ़ में नेताओं को 44020 वोट मिले वहीं नोटा पर 1,05,919 वोट पड़े.
राजस्थान में मिले 99,266 वोट मिले और नोटा पर 3,56,185 वोट पड़े.
40 विधानसभा सीटों वाले मिजोरम में विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं. राज्य में 26 सीटें एमएनएफ जीत चुकी हैं और इसी के साथ राज्य में इस बार एमएनएफ की सरकार बनने जा रही है. वहीं कांग्रेस मिजोरम में बुरी तरह से हार चुकी है. इसके साथ ही पूर्वोत्तर में कांग्रेस का आखिरी किला मिजोरम भी बुरी तरह से ढह गया है. या यूं कहें कि पूर्वोत्तर कांग्रेस मुक्त हो चुका है.
साल 2013 में मिजोरम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जहां 34 विधानसभा सीटें जीती थीं तो वहीं इस बार आलम ये हो चुका है कि कांग्रेस से ज्यादा सीटें अन्य ने जीत ली है. साल 2013 के बाद अब कांग्रेस सिर्फ 5 सीटों पर ही सिमट गई है. वहीं राज्य में मिजो नेशनल फ्रंट सबसे ज्यादा सीटों के साथ बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई है. एमएनएफ 26 सीटें जीत चुकी हैं. इसके साथ ही एनएमएफ ने पूर्ण बहुमत भी हासिल कर लिया है.
वहीं राज्य में इस बार कांग्रेस का बुरा हाल देखने को मिला है. लोगों ने सिरे से कांग्रेस को नकार दिया है. कांग्रेस से ज्यादा इस बार राज्य में अन्य ने सीटें जीती हैं. अन्य के खाते में इस बार 9 सीटे आई हैं. इन 9 सीटों में से 1 सीट बीजेपी के खाते में भी गई है. नॉर्थ ईस्ट में असम, त्रिपुरा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और अब मिजोरम में कांग्रेस हार चुकी हैं.
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