कड़े मुक़ाबले के बावजूद भाजपा का पलड़ा भारी
*एक विश्लेषण :-
राजस्थान के विधानसभा 2013 चुनाव में 74 प्रतिशत मतदान हुआ था जहाँ भाजपा को लगभग 45 प्रतिशत मत मिले थे और कॉंग्रेस को 33 प्रतिशत , मतलब लगभग 12 प्रतिशत का अंतर !!!
यह मोदीलहर थी , निसंदेह ! भाजपा ने स्वयं के प्रदर्शन में भी 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी जिसमे से साढ़े तीन प्रतिशत उसने कॉंग्रेस से खिंचा था 4-5 प्रतिशत निर्दलीयों व अन्य पार्टियों से और लगभग 2 प्रतिशत विंडफॉल गेन मतलब नए वोटरों का 90 प्रतिशत समर्थन जो कुल वोट का 2 प्रतिशत के करीब था।
मतदान प्रतिशत ही सीधे 9.5 प्रतिशत बढ़कर 74 प्रतिशत हो गया था , जहाँ भाजपा को सीधे सीधे 37 लाख मतों की बढ़त थी कॉंग्रेस पर !!
चलिए अब मान लेते है कि भाजपा ने जो कॉंग्रेस के साढ़े तीन प्रतिशत लुटे थे वे इस बार कांग्रेस ने reclaim कर लिए तो मत प्रतिशत पहुंचा भाजपा 41.5 और कॉंग्रेस 36.5 प्रतिशत !
चलिए मान लेते है कि एन्टी इनकंबेंसी है तो 2 प्रतिशत और वोट भाजपा से सीधे कॉंग्रेस ने झटक लिए तब भी टैली पहुंची 39.5 भाजपा और 38.5 कॉंग्रेस
यहाँ एक बात नोट कर लीजिये की चाहे कुछ भी हो इन पांच साल में नए जुड़े वोटर जो कि 20 लाख के करीब है उनका 90 ना सही 75 प्रतिशत अब भी मोदी का मुरीद है जो भाजपा को मिलेगा विंडफॉल के रूप में जो प्रतिशत मे जाकर हुआ 4.85 प्रतिशत (वोट पड़े 3.5 करोड़ (74 % turnout 4.75 करोड़ का , नवयुवा वोटर 20 लाख जिसका 85 प्रतिशत मतदान होता हैं है मतलब 17 लाख हुआ 4.85 प्रतिशत )
ये मानकर चलिए की सभी सीटों पर फैले इस गेमचेंजर 4.85 नए वोटरों का 75 फीसदी कम से कम हुआ 3.7 प्रतिशत !!
लिखकर लें लीजिये की एन्टी एन्टीइनकम्बेंसी की लहर “मोदीलहर” के बराबर भी हो तो भी उंसके नकारात्मक असर को केवल ये नवयुवा वोटर ही ठिकाने लगा देगा और भाजपा कम से कम 2-3 प्रतिशत आगे ही रहेगी कांग्रेस से फिर भी क्लोज टैली के चलते 5-7 सीट कम ज्यादा हो सकती है , कम से कम भी मानकर चले तो भाजपा- कांग्रेस 95- 90 या 90-95 से नीचे नही जाएगी लिख कर ले लीजिए , ज्ञातव्य है कि 2008 की भाजपा के विरुद्ध की भयंकर एन्टीनकंबेंसी लहर तक मे भाजपा 78 सीट लाई थी जबकि मोदी फैक्टर जैसा कुछ नही था जो कि अब हर चुनाव में महत्वपूर्ण होता है ।
सबसे अंत मे वह जनसमर्थन जो मोदीजी /योगीजी की रैलियों में दिखा वह है, स्मरण रखिये की राजस्थान में युही कोई केवल चेहरा देखने/दिखाने नही आ जाता दिन बिगाड़ के या चुटुकुले सुनने राहुल के दर्शकों की तरह !
इसे अज्ञात बोनस मानकर चलिये कम से कम !
मोदी जी की झोली में कम हो या ज्यादा डालेंगे जरूर, राजस्थानी उन्हें खाली नही भेजेंगे कभी !
बाकी एग्जिट पोल मात्र वो पॉपकॉर्न है जो फ़िल्म चालू होने से पहले टाइमपास के लिए है कमर्शियल ads देखते देखते ।
भाजपा टक्कर में है और सरकार बनाएगी फिर से ……
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