बीबी जागीर कौर बेटी के अपहरण और गर्भपात मामले में बरी

 

चंडीगढ, 4दिसम्बर:

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाले शिरोमणि अकाली दल की नेता बीबी जागीर कौर को मंगलवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने बेटी हरप्रीत कौर के अपहरण और गर्भपात मामले में बरी कर दिया। विशेष सीबीआई अदालत ने इस मामले में जागीर कौर को 30 मार्च 2012 को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई थी। बीबी जागीर कौर ने इस सजा के खिलाफ अपील की थी। हाईकोर्ट ने अपील पर सुनवाई पूरी कर पिछले अक्टूबर में फैसला सुरक्षित रख लिया था।

अपहरण और गर्भपात के घटनाक्रम में हरप्रीत कौर की मृत्यु हो गई थी। जस्टिस एबी चौधरी और जस्टिस कुलदीप सिंह की पीठ ने मंगलवार सुबह बीबी
जागीर कौर की अपील स्वीकार करते हुए पटियाला स्थित सीबीआई अदालत के पांच वर्ष कारावास और पांच हजार रूपए जुर्माने की सजा रद्द कर दी। बेटी
हरप्रीत कौर की मृत्यु मामले में बीबी जागीर कौर सह अभियुक्त थी। जागीर कौर के अलावा सीबीआई ने भी निचली अदालत के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी।

निचली अदालत ने अपने फैसले में यह माना था कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में कामयाब रहा है कि अभियुक्त दलविंदर कौर ढेसी,परमजीत सिंह रायपुर और निशान सिंह ने हरप्रीत कौर का अपहरण किया था। दलविंदर कौर ढेसी बीबी जागीर कौर की भरोसेमंद मित्र थी और बीबी जागीर कौर के राजनीतिक सहयोगी परमजीत सिंह रायपुर से सम्बन्धित थीं। निचली अदालत ने यह भी माना कि हरप्रीत कौर का गर्भपात कराने की साजिश बीबी जागीर कौर के साथ रची गई थी। बीबी जागीरकौर ने अपनी राजनीतिक और सामाजिक हैसियत से स्वयं को इस वारदात के मामले में सुरक्षित कर लिया। अभियुक्त दलविंदर कौर ढेसी,परमजीत सिंह रायपुर,निशान सिंह और अभियुक्त से सरकारी गवाह बने डॉ बलविंदर सिंह सोहल ने साजिश को अंजाम दिया। अभियुक्त वारदात के बारे में समय-समय पर बीबी जागीरकौर को सूचना दे रहे थे।

सीबीआई ने अपनी अपील में इस बात पर जोर दिया था कि निचली अदालत यह आकलन करने में नाकाम रही कि हरप्रीत कौर की मृत्यु हत्या का मामला है। हत्या और सबूत नष्ट करने के आरोप से बीबी जागीरकौर को मुक्त करना रिकॉर्ड के अनुसार सही नहीं था। सीबीआई ने अपनी अपील में कहा कि 18 मार्च 2000 को चंडीगढ से हरप्रीत कौर का अपहरण किया गया था। इसके बाद उसे फगवाडा में दलविंदर कौर ढेसी के निवास जसदिल मेनसन में रखा गया था। दलविंदर कौर ढेसी,परमजीत सिंह रायपुर और डॉ बलविंदर सिंह सोहल ने 20 मार्च 2000 को हरप्रीत की इच्छा के विरूद्ध उसका गर्भपात कराया था।

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