अशोक जैन, सिटीजेन रिपोर्टर, डेमोक्रेटिक फ्रंट:
भीलवाड़ा/सिक्योर को लेकर नाराज सांगानेर और जिंदल से त्रस्त उपनगरीय कस्बे पुर के मतदाता ही भीलवाड़ा सीट के विधाता साबित होंगे।बाकी रहे भीलवाड़ा शहर के वोटर तो वे, दोनों स्थानीय निकाय यूआईटी और नगरपरिषद के कामकाज को अगर नहीं भूलेंगे तो फिर चुनाव नतीजा क्या मतगणना से पहले सामने नहीं है ?
पांच साल तक शहर के लोगों को जिस तरह तला भूना गया उसे देखते चुनाव परिणाम तो कतई चौंकाने वाला नहीं होगा ।आज बढ चढ कर लोगों के दर्द को दूर करने का दम भरने की घोषणा करने वालों के नकाबपोश चेहरों को देख मतदात ने जज्बाती फैसला ले लिया तो पछतावा हाथ लगेगा और फिर पांच बरस के लम्बे इंतजार के अलावा कुछ बचने वाला नहीं है।मतदान से पहले भेड़ की खाल में छिपे भेड़ियों को जाति,धर्म,पैसों की चमक के प्रलोभन से कहीं ऊपर उठ कर पहचानना जरुरी है तभी इस लोकतंत्र के महापर्व और जागरूक मतदाता होने के धर्म का निर्वहन होगा।
यह बताने की जरुरत नहीं कि असली जनसेवक को कैसे पहचाना जाए?जिसे चुनने जा रहे हैं उसके अतीत को जरूर खंगालें,यदि लगे कि सब एक जैसे हैं तो’नन ऑफ देम’ यानि नोटा का विकल्प तो सामने है।इससे गलत चुनाव के पाप के बोझ से बचा जा सकता है। ये आपका कानूनी अधिकार है। इस चुनाव में उम्मीदवारों के द्वारा दिए गए धन सम्पत्ति के ब्यौरे को जांचिए,आपराधिक मामलों के बारे में जारी किए गए घोषणा पत्र को परखिए। आपकी सतर्कता,सजगता से राजनीति में अपराधियों,चोरों, बदमाशों और धोखेबाजों का प्रवेश बंद होगा।आपके वोट से चुन कर आने वाले को आपकी जागरूकता का पता चलते ही पांच बरस तक आप विधायक के आका और उसे निश्चित तौर पर गुलाम बनना होगा नहीं तो चुनाव में वो आपके चरणों में और अगले पांच वर्ष तक आप उसके चरणों में मिलेंगे।अच्छा यही है कि मतदाता को अपनी क्षमता का अहसास मतदान से पहले हो जाए वरना आजादी बाद से सांप निकलने के बाद लाठी पीटने का जो सिलसिला चलता रहा है वो आगे भी ऐसे ही चलता रहेगा। अपना फर्ज था आपको जगाने का सो पूरा किया। बाकी आप जानें और आपका राम जाने।वैसे पिछले दिनों की सटीक खबरों ने कुछ लोगों का जायका बिगाड़ दिया है। ग्यारह तारीख को संभव है वे दिमागी संतुलन भी खो दें। तब वो एक और एक ग्यारह व नौ दो ग्यारह की गणित समझ जाएंगे।…. जय राम जी की।