मामा शिवराज सिंह चौहान को पार लगा रही हैं महिला वोटर?
पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत तीन फीसदी बढ़ा है.
पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत तीन फीसदी बढ़ा है. राज्य के लगभग 47 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत ज्यादा है. महिलाओं के वोटिंग प्रतिशत में हुई वृद्धि से बीजेपी अपने पक्ष में चुनाव नतीजे आने की उम्मीद लगाए बैठी है.
विंध्य क्षेत्र की विधानसभा सीटों पर महिलाओं ने की है ज्यादा वोटिंग
विधानसभा के इस चुनाव में महिलाओं ने सबसे ज्यादा वोटिंग विंध्य इलाके में की है. विंध्य में विधानसभा की कुल तीस सीटें हैं. वर्तमान में कांग्रेस के कब्जे में सिर्फ बारह सीटें हैं. बसपा दो सीटों पर चुनाव जीती थी. बीजेपी के खाते में सोलह सीटें आईं थीं. पिछले विधानसभा चुनाव में भी विंध्य क्षेत्र में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत पुरुषों की तुलना में ज्यादा रहा था.
इस बार इलाके की दो दर्जन से अधिक सीटों पर महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत आश्चर्यजनक रूप से बढ़ा है. खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्र की विधानसभा सीटों पर पिछले चुनाव की तुलना में इस बार दस प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है. बसपा के कब्जे वाली रैगांव सीट पर इस चुनाव में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 74.97 फीसदी रहा है. जबकि पिछले चुनाव में 64.62 फीसदी महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.
इस विधानसभा क्षेत्र में पिछले चुनाव की तुलना में 8 प्रतिशत ज्यादा डाला गया है. जबकि पिछले चुनाव में बसपा लगभग तीन प्रतिशत वोट ज्यादा लाकर चुनाव जीत गई थी. मनगंवा की सीट बसपा ने मात्र 275 वोटों से जीती थी. इस सीट पर पिछली बार महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 59.05 था जो इस चुनाव में बढ़कर 61.81 प्रतिशत हुआ है.
ब्यौहारी की सीट कांग्रेस ने लगभग दस प्रतिशत वोटों के अंतर से जीती थी. ब्यौहारी में इस बार महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में दो फीसदी कम हुआ है. महिला और पुरुषों के वोटिंग में भी मामूली अंतर है. पिछले विधानसभा चुनाव में जहां भी महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत बढ़ा था, वहां ज्यादा फायदा भारतीय जनता पार्टी को हुआ था.
विधानसभा के इस चुनाव में कांग्रेस को विंध्य क्षेत्र से बड़ी उम्मीदें हैं. कांग्रेस 18 सीट जीतने की उम्मीद लगाए हुए है. विंध्य कभी कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता था. अर्जुन सिंह जैसे दिग्गज नेता इसी क्षेत्र से आते थे. वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव के बाद इस क्षेत्र में कांग्रेस कमजोर हुई है. बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का भी असर इस क्षेत्र में बढ़ने से कांग्रेस को नुकसान हुआ है. इस बार भी कांग्रेस की राह में मुश्किल इन दोनों दलों के कारण खड़ी दिखाई दे रही है.
महाकौशल के आदिवासी इलाकों में भी ज्यादा है महिला पोलिंग परसेंट
विंध्य की तुलना में ग्वालियर एवं चंबल क्षेत्र की 34 विधानसभा सीटों पर महिलाओं का पोलिंग परसेंट में खास बड़ा अंतर दिखाई नहीं दे रहा है. यह कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाला क्षेत्र है. इलाके की पांच सीटें ऐसी हैं जहां महिलाओं का पोलिंग परसेंट पुरुषों की तुलना में ज्यादा है.
ये विधानसभा क्षेत्र विजयपुर, सबलगढ़,जौरा, अटेर और भिंड हैं. इनमें दो सीट विजयपुर और अटेर पर कांग्रेस का कब्जा है. इस इलाके में भी बसपा और सपा की मौजूदगी चुनावी समीकरण को बिगाड़ रही है. इसके विपरीत महाकौशल के कई आदिवासी इलाकों में भी महिलाओं का वोटिंग परसेंट बढ़ा है.
कांग्रेस की कब्जे वाली मंडला विधानसभा सीट पर पुरुषों की तुलना में लगभग एक परसेंट ज्यादा महिलाओं ने वोट डाले हैं. पिछले चुनाव की तुलना में इस विधानसभा क्षेत्र में महिलाओं का वोट परसेंट चार से भी ज्यादा बढ़ा है. बालाघाट जिले की बैहर, लांजी, परसवाड़ा वारासिवनी, कटंगी में भी महिलाओं का पोलिंग परसेंट ज्यादा रहा है.
सिवनी और छिंदवाड़ा जिले की भी कुछ विधानसभा सीटों पर महिलाओं के वोट ज्यादा पड़े हैं. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ छिंदवाड़ा संसदीय सीट से चुनाव लड़ते हैं. यह उनके प्रभाव वाला इलाका है. राज्य के सबसे समृद्ध माने जाने वाले मालवा-निमाड़ इलाके में इस तरह का वोटिंग पैटर्न दिखाई नहीं दिया है. पुलिस फायरिंग में किसानों की मौत के बाद चर्चा में आया मंदसौर इसी मालवा का हिस्सा है.
सरकार के पक्ष में पॉजेटिव वोट मान रही है बीजेपी
पिछले चुनाव की तुलना में महिला पोलिंग परसेंट बढ़ने से भारतीय जनता पार्टी उत्साहित है. पार्टी के मीडिया प्रभारी दीपक विजयवर्गीय कहते हैं कि शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं से जो भाई का रिश्ता बनाया है उसके कारण यह वोट परसेंट बढ़ा है. विजयवर्गीय ने दावा किया कि सरकार की महिला हितेषी नीतियों से भी बीजेपी को पॉजिटिव वोट मिल रहा है.
कांग्रेस प्रवक्ता जगदीप धनोपिया का दावा है कि बढ़ती महंगाई से नाराज होकर महिलाओं ने अधिक संख्या में घर से निकलकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया है.
चुनिंदा सीटों पर महिलाओं का वोटिंग परसेंट बढ़ने से राजीतिक प्रेक्षक भी हैरान हैं. लगभग सैंतालीस सीटों पर महिलाओं का पोलिंग परसेंट बढ़ने से सबसे ज्यादा चिंता कांग्रेस में दिखाई दे रही है.
कांग्रेस के एक नेता ने आकंडे़ सामने आने के बाद आशंका जाहिर की है कि विंध्य और महाकौशल क्षेत्र की सीटों पर महिलाओं का पोलिंग परसेंट बीजेपी के इलेक्शन मेनेजमेंट का हिस्सा हो सकता है. राज्य में सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की जरूरत होती है.
बीजेपी को पिछले चुनाव में 165 सीटें मिलीं थीं. कांग्रेस को 58 सीटों से संतोष करना पड़ा था. कांग्रेस और बीजेपी के बीच वोटों का अंतर आठ प्रतिशत से भी अधिक रहा था. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य में लगातार चौथी बार बीजेपी की सरकार बनाने के लिए पिछले एक साल से महिला वोटरों को फोकस कर रहे थे.
चुनाव के ठीक पहले लागू की गई संबल योजना में महिलाओं के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने वाली कई योजनाएं लागू की हैं. वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव को जीतने में शिवराज सिंह चौहान की मदद लाडली लक्ष्मी योजना ने की थी. वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में कन्यादान योजना की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी गई थी.
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