Sunday, January 5


हर साल की तरह इस साल भी टीपू सुल्तान की जयंती मनाई गई. बीजेपी के लगातार विरोध के बावजूद इस साल विधानसभा में इसका आयोजन हुआ


कर्नाटक सरकार ने टीपू सुल्तान जयंती समारोह का आयोजन किया. इसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस- जेडीएस गठबंधन के बीच ठन गई है. एक तरफ जहां बीजेपी राष्ट्रविरोधी होने का आरोप लगा रही है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस बीजेपी पर देशभक्तों के प्रति बेरुखी का आरोप लगा रही है. कर्नाटक विधानसभा में आज टीपू सुल्तान की जयंती मनाई गई. लेकिन खुद सीएम कुमारस्वामी इस समारोह में मौजूद नहीं थे. इसे लेकर भी विवाद हो गया है.

सीएम की गैरमौजूदगी को लेकर कांग्रेस के एमएलए तनवीर सैत ने कहा कि- ‘मुझे जानकारी दी गई है कि कर्नाटक सीएम एचडी कुमारस्वामी स्वास्थ्य कारणों से कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके. उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वरा भी समारोह में शामिल नहीं हो पाए. इसमें कोई शक नहीं कि यह समुदाय का अपमान है.’

सैत की इस प्रतिक्रिया पर कर्नाटक के मंत्री डी शिवकुमार ने सफाई दी कि- ‘यह अपमान नहीं है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री दोनों ही दूसरे कामों में व्यस्त हैं. हम भी सरकार का हिस्सा हैं. मैं अपने दोस्त तनवीर सैत की बात से सहमत नहीं हूं.’

वहीं कार्यक्रम के आयोजन पर बीजेपी ने राज्य सरकार पर हमला बोला है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा- टीपू सुल्तान नफरत का प्रतीक था. उसकी जयंती मनाना आश्चर्य की बात है. हम कांग्रेस से पूछना चाहते हैं कि चर्च और मंदिरों को गिराने वाला और हजारों ईसाईयों और हिंदूओं की हत्या करने वाले की प्रशंसा राज्य सरकार एक सरकारी आयोजन कर उसकी प्रशंसा कैसे कर रही है?

कर्नाटक सरकार ने 2015 में ही टीपू सुल्तान जयंती को राज्य स्तर पर मनाने का फैसला किया था. 5 बार के लोकसभा सांसद हेगड़े सत्ताधारी कांग्रेस सरकार के आलोचक रहे हैं. वह 2015 से ही टीपू जयंती कार्यक्रम की आलोचना करते रहे हैं. बीजेपी ने राज्य सरकार पर मुसलमानों के तुष्टिकरण आरोप लगाया. राज्य सरकार ने बीजेपी को सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने से बाज आने की सलाह दी थी.हर साल टीपू सुल्तान की जयंती मनाने को लेकर कांग्रेस बीजेपी के बीच राजनीति अपने चरम पर होती है. तीखी नोंकझोंक और आरोपों प्रत्यारोपों का सिलसिला भी लगातार चलता है. बीजेपी टीपू कन्नड भाषा और हिंदू विरोधी बताकर उनका विरोध करती है.