Sunday, December 22

चंडीगढ़:

नगर निगम की 263वीं सदन बैठक के दौरान आज हंगामा ही हंगामा देखने को मिला। हैरानी की बात यह है कि निगम सदन में कभी सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष में बहसबाजी होती थी। किन्तु आज का मंजर देख कर यही आभास हो रहा था कि भाजपा में स्पष्ट रूप से दो धड़े खुलकर आमने-सामने आ गए है। आज सुबह मीटिंग की कार्रवाई शुरू होते ही भाजपा पार्षद राजेश कालिया ने यह सवाल किया कि डोर टू डोर कूड़ा कलेक्टर्स के लिए वाहनों की खरीद का विस्तृत मामला सदन पटल पर विस्तार पूर्वक बताया जाए। क्योंकि एजेंडे में मामले की डीटेल नहीं दी गई है।

इनके कुछ देर बाद पूर्व मेयर एवं भाजपा पार्षद अरुण सूद ने इस मामले को और ज्यादा तूल देते हुए इस पर बार-बार बहस करते रहे। उन्होंने मेयर और कमिश्नर को शक के दायरे में लेते हुए आरोप लगाया कि वाहनों की खरीद-फरोख्त का विस्तृत ब्यौरा दिए बगैर इनकी खरीद के लिए एजेंडे कैसे तैयार कर दिया गया। इसके साथ ही उनकी हां में हां मिलाते हुए रविकांत शर्मा भी मैदान में कूद पड़े। बाद में सीनियर डिप्टी मेयर गुरप्रीत ढिल्लो भी मैदान में कूद पड़े।

अभी इनकी बहस चल ही रही थी कि भाजपा की ही पार्षद श्रीमती चन्द्रावती शुक्ला ने गंदे पानी की भरी कुछ बोतलें सदन में लहराते हुए कहा कि उनके वार्ड में विगत ३ माह से गन्दे पानी की सप्लाई हो रही है। किन्तु निगम की तरफ से इसके लिए कुछ भी नहीं किया गया।
मेयर और कमिश्नर बार-बार स्पष्टीकरण देना चाहते थे, किन्तु उनकी एक भी नहीं सुनी गयी। सदन में ऐसा दृश्य प्रस्तुत किया जा रहा था, मानो निगम सदन की बैठक न होकर किसी लड़ाई का मैदान हो। जवाब में भाजपा के ही मेयर समर्थक गुट के अनिल कुमार दुबे, श्रीमती हीरा नेगी, कंवरजीत राणा, सतीश कुमार कैंथ ने भी इनकी काट करने की कोशिश की। किन्तु मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा था। विवश होकर मेयर और कमिश्नर को चुप रहना पड़ा। पूरे सदन में अव्यवस्था का वातावरण पैदा हो गया था।

इस दौरान विरोध करने वाले पार्षदों ने वेल में खड़े होकर जोर-जोर शोर करने लगे। इसी बीच चन्द्रावती शुक्ला ने भी अपनी बोतलों का गंदा पानी लहराते हुए सभी का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया। अंत में उन्होंने रोष स्वरूप गंदे पानी को सदन के फर्श पर फैंक दिया। इस पर सभी लोग हैरान रह गए। इसके बाद कमिश्नर ने निगम कानून का हवाला देकर चन्द्रावती शुक्ला के इस कृत्य को गंभीरता से लिया। उनका कहना था कि निगम की कोई भी चीज किसी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है। यह पब्लिक और निगम की संपत्ति है। इसलिए इसे क्षति पहुंचाने का अधिकार किसी को नहीं है। तब जाकर चन्द्रावती ने अपना आसन ग्रहण किया।

मामले पर निगम के एसई संजय अरोड़ा ने कहा कि चन्द्रावती के वार्ड के ऊपर-नीचे के सभी फ्लैटों में पानी के मोटर चलाते रहते हैं। इसी के चलते इस वार्ड में पीने के पानी की सप्लाई की साथ गन्दा पानी शक होकर आ जाता है। यह मोटर अवैध् हैं। कमिश्नर ने इन मोटरों को अवैध करार देते हुए इन्हें शीघ्र हटाने के आदेश दिए। बैठक में पूर्व मेयर अरुण सूद ने उनके वार्ड के एजेंडों को रोकने का आरोप लगाया। मेयर ने स्पष्ट किया कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। सूद ने कमिश्नर से एजेंडे की बात पर चर्चा की।

उन्होंने कहा कि कमिश्नर से उन्होंने एजेंडों पर चर्चा की थी। जवाब में कमिश्नर ने कहा कि वह देश के बाहर थे। दिल्ली लैंड करने के बाद उन्होंने सूदको कहा कि कुछ एजेंडा तो उन्होंने ओ.के. कर दिया था, जो नितांत आवश्यक थे। किन्तु कुछ रोक लिया था। इस दौरान मनोनीत पार्षद अजय दत्ता ने वेल में खड़े सभी पार्षदों को अपनी सीट पर बैठ जाने का आग्रह किया। इसके बाद कार्यवाही शांतपूर्ण ढंग से चलती रही। खबर छापे जाने तक सदन की कार्रवाई जारी थी।