सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की छुट्टी जारी रहेगी: सर्वोच्च नयायालय

 

कांग्रेस के आरोप निराधार साबित हुए।

सर्वोच्च नयायालय ने एक अभूतपूर्व फैसला लेते हुए कहा की सीवीसी की अनुशंसा पर निदेशक को अनिश्चितकालीन छुट्टी पर भेजना संवैधानिक है ओर सरकार ने कुछ गलत नहीं किया है।

 

  • अपने फैसले में सर्वोच्च नयायालय ने आगे कहा की सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जबतक इस मामले में दोबारा सुनवाई नहीं कर लेता तबतक सीबीआई के नए डायरेक्टर एम नागेश्वर राव एक भी नीतिगत फैसला नहीं लेंगे.

 

  • चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि सीवीसी सुप्रीम कोर्ट के एक जस्टिस की देखरेख में 10 दिनों में जांच जारी रखेगी. एम नागेश्वर राव केवल नियमित कार्य करेंगे. उन्होंने कहा कि सीबीआई द्वारा जांच अधिकारिओं के तबादले की सूचि सुप्रीम कोर्ट को सील बंद लिफाफे में 12 नवंबर को दी जाए.

 

  • सीजेआई रंजन गोगोई ने अपने फैसले में कहा कि सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच सीवीसी आज से दो सप्ताह के भीतर पूरा करे. जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके पटनायक मामले की जांच करेंगे.

पत्रकार सुरक्षा, पेंशन-आवास योजना को भाजपा घोषणा पत्र में शामिल करवाने के लिए जार राजस्थान के पदाधिकारी व पत्रकार मिले भाजपा नेताओं से


  • राजस्थान में न्यूज वेबसाइट, न्यूज वेबपोर्टल और यू-ट्यूब चैनल को विज्ञापन मान्यता देने के लिए नीति बनाई और सरकार बनने के छह महीने में इसे लागू किया जाए

  • सभी समाचार पत्रों, मीडिया संस्थानों के कार्यालयों को एक ही छत के नीचे लाने के लिए बहुमंजिला मीडिया सेंटर बनाकर उन्हें कार्यालय आवंटित किए जाए


जयपुर:

जर्नलिस्टस एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) ने चुनाव घोषणा पत्र में पत्रकार हितों से जुड़े मुद्दों को शामिल करने के लिए आज जार पदाधिकारियों ने भाजपा मुख्यालय में भाजपा नेताओं से मिलकर ज्ञापन दिए। जार के प्रदेश अध्यक्ष राकेश कुमार शर्मा, महासचिव संजय सैनी, वरिष्ठ पत्रकरा ऐश्वर्य प्रधान, जितेन्द्र सिंह राजावत, जयराम शर्मा, मजीठिया वेजबोर्ड आंदोलन में सक्रिय दैनिक भास्कर के शीलेन्द्र उपाध्याय, रीतेश गौत्तम, पिंकसिटी प्रेस क्लब के पूर्व सदस्य रवीन्द्र शर्मा शेखर आदि पत्रकार भाजपा घोषणा कमेटी के अध्यक्ष व पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री राजेन्द्र राठौड़, कमेटी के सदस्य ओंकार सिंह लखावत से मिले और इन्हें पत्रकारों के हितों से जुड़े मुद्दों को घोषणा पत्र में शामिल करने के लिए ज्ञापन सौंपा। जार प्रतिनिधियों ने राठौड़ व लखावत को पत्रकार आवास योजना, बुजुर्ग पत्रकार पेंशन योजना को लागू करने, पत्रकार सुरक्षा कानून, लघु-मझौले समाचार पत्रों को मासिक विज्ञापन तय करने, डिजिटल पॉलिसी लागू करने समेत अन्य मुद्दों के बारे में बताया। इन सभी मुद्दों को पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल करने का आग्रह किया गया। राठौड़ व लखावत ने पत्रकार हितों के मुद्दों पर गंभीरता से विचार करके इन्हें घोषणा पत्र में शामिल करवाने का आश्वासन दिया है।

जर्नलिस्टस एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) की ओर से निम्न सुझाव दिए गए।

– देश और प्रदेश में पत्रकारों पर जानलेवा हमले और हत्याएं की घटनाएं काफी होने लगी है। ऐसे में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाया जाए। पत्रकारों पर हमले, धमकियों को गैर जमानती अपराध घोषित किया जाए। पत्रकारिता कार्य के दौरान हमले में हताहत और घायल पत्रकारों को सरकार की तरफ से उचित मुआवजा दे और चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराएं।

-राजस्थान में वयोवृद्ध पत्रकारों की पेंशन योजना बंद है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने बुजुर्ग पत्रकारों को पेंशन देने की व्यवस्था कर रखी थी। हरियाणा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे भाजपा शासित राज्यों में भी पत्रकारों को पेंशन दी जा रही है। ऐसे में राजस्थान के पत्रकारों की पेंशन योजना फिर से शुरु की जाए और कम से कम दस हजार पेंशन रखी जाए, जिससे अपनी लेखनी से समाज व देश हित में कार्य करने वाले पत्रकारों का सम्मान व स्वाभिमान बना रहे।

-प्रदेश में पत्रकार आवास योजना के नियम सरल किए जाए। पत्रकार समाज के लिए जिलों में भूखण्ड और फ्लैट हाऊसिंग प्रोजेक्ट को अमल में लाया जाए। जयपुर की नायला पत्रकार आवासीय योजना के सभी सफल आवंटियों को पट्दे देने में आ रही बाधाओं को दूर करके आवंटियों को पट्टे दिलवाए जाए।

-बड़े समाचार पत्रों की तर्ज पर लघु व मझौले समाचार पत्रों (दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक व मासिक) को भी मुद्रणालय यंत्र व कार्यालय स्थापित करने के लिए प्रदेश भर में रियायती दर पर जमीन आवंटन किया जाए। रीको क्षेत्र में डीएलसी दर की बीस फीसदी दर पर जमीन आवंटन के नियम बनाए जाए।

-लघु व मझौले समाचार पत्रों (दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक व मासिक) को रोस्टर प्रणाली से मासिक विज्ञापनों का आवंटन सुनिश्चित किया जाए। साथ ही उक्त समाचार पत्रों के स्थापना दिवस और सरकार-पार्टी के विशेष आयोजनों पर अलग से विज्ञापन दिया जाए।

-वर्तमान युग डिजिटल है। सरकार ने प्रिंट और इलेक्टोनिक मीडिया को विज्ञापन के लिए मान्यता दे रखी है, लेकिन देश और प्रदेश में तेजी से बढ़ते व पसंद किए जा रहे न्यूज वेबसाइट, न्यूज वेबपोर्टल को राजस्थान में मान्यता नहीं है। राजस्थान में न्यूज वेबसाइट, न्यूज वेबपोर्टल और यू-ट्यूब चैनल को विज्ञापन मान्यता देने के लिए नीति बनाई और सरकार बनने के छह महीने में इसे लागू किया जाए।

– सभी समाचार पत्रों, मीडिया संस्थानों के कार्यालयों को एक ही छत के नीचे लाने के लिए बहुमंजिला मीडिया सेंटर बनाकर उन्हें कार्यालय आवंटित किए जाए।

-समाचार पत्रों को पहले रियायती दर पर सरकार न्यूज प्रिंट उपलब्ध कराती थी। इस व्यवस्था को फिर से बहाल किया जाए। क्योंकि न्यूज प्रिंट की लागत बढऩे से अखबार मालिकों के सामने आर्थिक संकट गहराने लगा है।

– पीआईबी कार्ड की तर्ज पर राजस्थान में भी पत्रकारों को एक ही कार्ड बनाकर शासन सचिवालय, मुख्यमंत्री कार्यालय, राजस्थान विधानसभा, पुलिस मुख्यालय, राजभवन व दूसरे सरकारी कार्यालयों में आने-जाने की सुविधा प्रदान की जाए।

-राज्य और राज्य के बाहर सर्किट हाउस व स्टेट गेस्ट हाउस में पत्रकारों के लिए रियायती दरों पर ठहराव की व्यवस्था करना।

-पत्रकार अधिस्वीकरण कार्ड योजना में अधिकाधिक श्रमजीवी पत्रकारों को लाभ मिल सके, इसके लिए अखबारों के तय कोटे को बढ़ाया जाए। डिजिटल मीडिया के पत्रकारों का भी अधिस्वीकरण किया जाए और इसके लिए नियम बनाए जाए।

– मेडिकल क्लेम योजना में अधिस्वीकृत पत्रकारों के साथ गैर अधिस्वीकृत श्रमजीवी पत्रकारों को शामिल करके इन्हें भी लाभांवित किया जाए।

-जेडीए, राजस्थान आवासन मण्डल, नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद की आवासीय योजना में अधिस्वीकृत पत्रकारों के लिए तय कोटे को दुगुना किया जाए।