Sunday, December 22

मन्दिरों की व्यवस्था के नाम पर अव्यवस्था आज हिन्दू समाज के लिए बहुत ही दुर्भाग्य की बात है। सरकार द्वारा अधिकृत मन्दिरों को हिन्दू समाज को सौंपा जाए जिससे कि आस्था और संस्कृति को ठेस लगने से बचाया जाए। ऐसे ही विचार आज विश्व हिंदू परिषद के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेंद्र जैन ने एक प्रेसवार्ता में रखे।

डॉ जैन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल आज परिषद के दूसरे चरण के कार्यक्रम के तहत हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य से मिले और राम मंदिर निर्माण को लेकर हरियाणा की जनता की भावनाओं से अवगत करवाया।

प्रयागराज में 31 जनवरी और 1 फरवरी को धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा जिसमें मन्दिर निर्माण पर विचार विमर्श किया जाएगा । इस संसद में सन्तों द्वारा लिया गया निर्णय सर्वमान्य होगा।

भाजपा द्वारा राम मन्दिर को चुनावी मुद्दा बनाये जाने पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए द सुरेंद्र जैन ने कहा कि इस सामाजिक और धार्मिक मुद्दे को कांग्रेस ने ही सर्वप्रथम राजनैतिक रंग दिया है।

उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद ही नहीं बल्कि भरोसा है कि मौजूदा केंद्रीय सरकार और संसद में विधेयक लाएगी और राम मन्दिर का निर्माण कार्य आरम्भ करवाए गी ।

क्योंकि सरकार में शामिल लोग वही है जो कि राम मन्दिर निर्माण पर कन्धे से कन्धा मिला कर परिषद के साथ रहे
हालांकि न्यायपालिका से उन्हे उम्मीद थी कि इस केस की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अपनी सेवानिवृति से पहले इस मामले में निर्णय लेते परन्तु किसी कारण ऐसा नहीं हो सका।

परन्तु हिन्दू अनन्तकाल तक निर्णय की प्रतीक्षा नहीं कर सकता। इसलिए जल्दी ही निर्णय लिया जाएगा । वर्ष 1950 से न्यायपालिका के माध्यम से भी संघर्ष जारी है। इतना ही नहीं हिन्दू समाज ने 1528 से 76 बार राम जन्मभूमि को मुक्त करवाने हेतु संघर्ष किया 77वें संघर्ष में 1992 में राम जन्म भूमि को मुक्त करवाया गया इसके बावजूद राम लला अभी तक टेण्ट में विराजमान हैं जिससे कि जनता की भावनाएं विद्वेलित होती हैं।

समय समय पर देश के प्रधानमंत्रियों से भी बातचीत चलती रही हर बार केवल आश्वासन ही मिल।

भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने वाले मुस्लिमों को डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम की बजाए बाबर के साथ जोड़ते हैं जो कि एक विदेशी हमलावर था। किसी भी विदेशी हमलावर द्वारा किये गए निर्माण को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा नहीं दिया जा सकता

राम मन्दिर निर्माण के समर्थन में नवम्बर और दिसम्बर के महीनों में परिषद के प्रतिनिधि मंडल हर क्षेत्र के स्थानीय सांसद से मिलकर उनसे आग्रह करेंगे कि संसद में इस मामले में कानून बनाने में आगे बढ़ें । इसके अतिरिक्त सभी मतों के साधुसंतों से भी आग्रह किया जाएगा कि वे अपने सम्बन्धित धर्म स्थलों पर अपनी पद्धति के अनुसार मन्दिर निर्माण कार्य की सफलता के लिए अनुष्ठान करें।

विहिप के पूर्व अध्यक्ष डॉ प्रवीण तोगड़िया के विषय मे बात करते हुए उन्होंने बताया कि संगठन से अलग होने का उनका व्यक्तिगत निर्णय था इसमें संगठन की कोई भूमिका नहीं।

प्रेसवार्ता में सन्त समाज से महामंडलेश्वर शाश्वतनन्द , महामंडलेश्वर दिव्यानन्द , साध्वी अमृता, सन्त रवि शाह, आदि भी उपस्थित रहे