पंचकूला, 25 अक्तूबर:
कृषि विज्ञान केन्द्र, पंचकूला द्वारा जिला के अंतर्गत पडऩे वाले गांव रिहोड़ में किसान प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस आयोजन में गांव के सरपंच सहित प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया। कृषि विज्ञान केन्द्र इस प्रकार के आयोजन समय-समय पर करता रहता है ताकि कृषि विश्वविद्यालय हिसार द्वारा अनुमोदित कृषि प्रौद्यौगिकी को किसानो तक पहुंचाया जा सके। यह समय रबी फसलों की बिजाई का है तथा इस समय यदि किसानों को गेहूं, सरसों व अन्य फसलों के बारे में उचित जानकारी होगी तो निश्चित ही फसल उत्पादन में वृद्धि होगी।
प्रशिक्षण शिविर में केन्द्र की वैज्ञानिक डॉ0 वंदना ने गेहूं की नवीनतम किस्मों जैसे ए.डी. व एच.डी. 2967, डब्ल्यू.यू. 1105, एच.डी. 3086 आदि की बिजाई करने की सलाह दी। इसके साथ-साथ इस बात पर भी बल दिया गया कि गेहूं की एक ही किस्म की बिजाई न करके दो या तीन किस्मों का चुनाव करना चाहिए। उन्होंने बताया कि किसान खादों का अंधाधुंध प्रयोग न करके भूमि जांच के आधार पर करें। जमीन में जैविक कार्बन की मात्रा में सुधार के लिए फसल अवशेषों को जमीन में ही मिलाएं तथा जमीन की कार्बन:नाईट्रोजन अनुपात को सही रखने के लिए यूरिया की सिफारिशशुदा मात्रा की एक तिहाई मात्रा बिजाई के समय डालें। खरपतवार नियंत्रण करना भी एक महत्वपूर्ण पहलु है। गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के लिए जमाव से पहले प्र्रयोग करने वाले खरपतवार नाशकों का प्रयोग करने की सलाह दी। इसके लिए स्टा प नामक दवा की 1500 मि0ली0 दवा को 200-250 लीटर पानी में मिलाकर बिलाई के तुरंत बाद फलैट कैन नोजल छिडक़ाव करें। इस छिडक़ाव से लगभग 70 प्रतिशत खरपतवारों का नियंत्रण हो जाता है।
केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ0 राजेश लाठर ने फसल विविधिकरण को अपनाने का आह्वान किया तथा फल-फूल एवं सब्जियों की काश्त करने की सलाह दी ताकि किसानों की आय में बढोतरी हो सके। डॉ0 गुरनाम सिंह ने फसलों पर होने वाले आय-व्यय का ब्यौरा रखने व सरकार द्वारा वित संबंधी सहायता की जानकारी रखने की आवश्यकता बताई। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ0 गजराज ने फसल अवशेष प्रबंधन पर जोर देते हुए कहा कि मृदा स्वास्थ्य अत्यंत आवश्यक है और अवशेष मिट्टी में मिलाने से इसमें सुधार होता है।