Sunday, December 22

राम जन्मभूमि न्यास समिति के वरिष्ठ सदस्य और पूर्व सांसद रामविलास वेदांती ने शुक्रवार को दावा किया कि अयोध्या मे विवादित भूमि पर इसी साल छह दिसम्बर से भव्य राममंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के राममंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने जाने की पहल का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि पांच अक्टूबर को साधु संतों के ऐलान के बाद आरएसएस प्रमुख का बयान स्वागत योग्य है। कभी दो सीटों वाली भारतीय जनता पार्टी आज देश की सबसे अधिक सांसदों वाली पार्टी तो है ही, साथ ही दुनिया मे सबसे लोकप्रिय पार्टी होने का तमगा भाजपा के पास ही है। देश मे आज 20 राज्यों में भाजपा की सरकार है।

शिवसेना प्रमुख उद्वव ठाकरे के नंबवर मे अयोध्या मे राममंदिर निर्माण की दिशा में शिलान्यास करने के ऐलान पर वेदांती ने कहा कि भाजपा के अलावा कोई भी दल राममंदिर का निर्माण करने का पक्षधर नहीं है।

उन्होंने कहा कि देश का मुसलमान चाहता है कि अयोध्या में भव्य रामलला इन मंदिर बने। सुन्नी वक्फ बोर्ड के लोग चाहते हैं, शिया वक्फ बोर्ड के लोग चाहते हैं, केवल 20 प्रतिशत लोग नहीं चाहते और वह ऐसे लोग हैं जो पाकिस्तान से सम्मानित किए जाते हैं। पाकिस्तान की मंशा है कि भारत का हिंदू और मुसलमान आपस में इसी तरह से लड़ता और भिडता रहे।

फैजाबाद के पूर्व सांसद ने कहा कि भारत के हिंदू और मुसलमानों को आपस में लडाने के लिए पाकिस्तान पैसा भेजता है। अरबों डालर रुपया भारत में इसी बाबत भेजा जाता है ताकि देश का मुसलमान और हिंदू आपस में लड़ते रहे।

उन्होंने कहा कि 2018 के आखिर मे अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का शुभारंभ किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रहते श्रीराम मंदिर का निर्माण नहीं होगा तो फिर कब होगा।

आज देश मे प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, देश के 20 राज्यों में भाजपा की सरकार होना इस बात का सबूत है कि हर कोई राममंदिर निर्माण मे अपनी अपनी हिस्सेदारी रखना चाहता है। हमारे पक्ष ने साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए धार्मिक ग्रंथों तथा पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट प्रस्तुत की तो वाल्मीकि रामायण के अनुरूप मंदिर माना।

वेदांती ने बाबर के वंशज प्रिंस के दावे को खारिज करते हुए कहा कि प्रिंस झूठ बोलते हैं। उन्होंने जमीन का मालिकाना हक पर सवाल उठाते हुए कहा कि अयोध्या की जमीन सरकारी दस्तावेज में दशरथ के नाम पर दर्ज हुआ करती थी जो आज राजाराम के नाम पर दर्ज है। इस बात का सबूत अदालत मे प्रस्तुत किए जा चुके हैं।