अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की जयंती के अवसर पर लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए आजाद ने कहा, अब हिंदू उन्हें प्रचार के लिए नहीं बुलाते
आज़ाद शायद हिन्दू कांग्रेसी बोलना चाहते थे, क्योंकि भाजपा, शिवसेना, बसपा, आआपा, या दक्षिण भारतीय राजनैतिक दलों के हिन्दू तो उन्हे बुलाएँगे ही क्यूँ कर।
दूसरे आज़ाद का मुस्लिम यूनिवरसिटि में दिया यह बयान उनकी धार्मिक संलिप्तता को भी दर्शाता है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के एक बयान पर विवाद खड़ा हो गया है. आजाद ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि अब उन्हें हिंदू भाई प्रचार के लिए नहीं बुलाते. पहले उन्हें चुनाव प्रचार करने का खूब निमंत्रण मिलता था. उन्होंने कहा, ऐसा इसलिए हो रहा है कि उनके मन में डर बैठ गया है कि मेरे आने से हिंदू वोट कट जाएंगे.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की जयंती के अवसर पर लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए आजाद ने कहा कि अब वक्त बदल गया है. लोग बंट रहे हैं, परिवार आपस में बंट रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैंने पाया है कि बीते चार सालों में अपने कार्यक्रमों में बुलाने वाले 95 प्रतिशत हिंदू भाई और नेता अब घटकर मात्र 20 फीसदी ही रह गए हैं.
आजाद ने कहा, जब युवा कांग्रेस में थे तब से ही अंडमान-निकोबार से लेकर लक्षद्वीप तक, देशभर के कोने में प्रचार के लिए जाते थे. तब उन्हें अपने कार्यक्रम में बुलाने वाले 95 फीसदी हिंदू भाई हुआ करते थे जबकि मुसलमानों की संख्या सिर्फ 5 फीसदी ही रहती थी. अपने बयान के जरिए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के समय में हिंदू-मुसलमानों के बीच दूरियां बढ़ी हैं और माहौल खराब हुआ है.
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के बयान पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि यह हिंदुओं को कम कर आंकने की कांग्रेस की साजिश है. कांग्रेस के बुरे दिन आ गए हैं, उन्हें अब कोई नहीं बुला रहा है.