#Me too काफी हद तक सही परंतु इसके राजनैतिक पहलुओं से भी इंकार नहीं

दिनेश पाठक अधिवक्ता, राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर। विधि प्रमुख विश्व हिन्दु परिषद

आजकल सोशल मिडिया पर टीवी चैनलो पर #Me too अभियान ने धूम मचा रखी है आखिर ये #Me too अभियान है क्या? कहां से आया ? क्यो आया ? इसका मकसद क्या है? किसी भी पुरुष सहकर्मी के द्वारा महिला सहकर्मी के साथ किये जाने वाला दुर्व्यवहार जिसमे महिला सहकर्मी अपने आपको असहज महसूस करे या उसका शोषण हो इससे आज से दस पन्द्रह साल पहले पीडित रही महिलाओ द्वारा चलाया गया अभियान ही आजकल #Me too कहलाता है! कुछ समय पहले कुछ हिन्दू बाबाओ के द्वारा किये कुक्रत्य को सोशल मिडिया टी वी चैनलो द्वारा खूब प्रसारित किया गया पूरा पूरा दिन न्यूज चैनल महीनो तक दिखाते रहे खैर जो कुक्रत्य उन्होने किया उसको दिखाया भी जाना चाहिये लेकिन हाल ही में आपने के घटना एक पादरी द्वारा ननो के साथ किये बलात्कार के बारे मे चर्चा मे आई ! पादरी को गिरफ्तार किया गया गया कुछ न्यूज चैनलो द्वारा दिखाया जाने लगा जिससे ईसाई समाज की पोल खुलने लगी ठीक उसी समय अमेरिका मे रह रही एक अभिनेत्री एक एक करके सारे टीवी चैनल पर आती है और अपने साथ दस साल पहले वाकये से नाना पाटेकर सहित क ई लोगो पर एक फिल्म की शूटिंग के दौरान शोषण की बात करती है उसके समर्थन मे एक महिला पत्रकार ट्वीट करती है चैनलो, सोशल मिडिया पर खबर बनती है प्रसारित होती है और गुमनामी मे जी रही अभिनेत्री रातोंरात चर्चा मे आ जाती है! इसी प्रकार अन्य पिडिता भी सामने आती है और एक प्रसिद्ध व्यक्ति ना सोशल मिडिया पर शोषण के लिये जाहिर किया और चर्चा का बिषय बन गया ! इसी दौरान केरल के पादरी का बलात्कार कांड मिडिया,सोशल मिडिया से गायब हो गया ईसाई समाज जो पादरी कांड के बाद बदनाम हो रहा था उनको राहत मिली आज किसी को नही पता बेचारी ननो का क्या हुआ उनके साथ जो कुछ हुआ जो पीडा वो सह रही थी उनकी बात करने वाला आज कोई नही रहा ! अब चर्चा सिर्फ # Me too पर एक सोशल मिडिया पर किसी भी एक ख्याति नाम व्यक्ति पर आरोप लगाना है और सुर्खियो मे आना है ! खास बात यह है कि इस अभियान मे कुछ महिला पत्रकार भी शामिल हुयी और अपने वरिष्ठ पत्रकार और वर्तमान मे केन्द्रीय मन्त्री पर आरोप लगाया और सुर्खियों मे आ गयी मै ये नही कहता कि उनके साथ कोई घटना नही हुयी न मै ऐसे किसी दुष्कर्म करने वाले की वकालत कर रहा ! हो सकता है इनके सहकर्मी द्वारा ऐसी घटना कारित की हो लेकिन सवाल ये है कि दूसरो के लिये बढ चढ करक आवाज बुलन्द करने वाली ये पिडिता दस पन्द्रह साल तक अपने ही साथ हुये शोषण को लेकर चुप क्यो रही चलो वो भी मान लेते है कि बदनामी के डर से अब तक चुप रहीं लेकिन क्या वो बदनामी का डर उस समय था क्या आज नही? वो भी स्वयं टीवी चैनल या सोशल मिडिया पर आकर सबकुछ स्वीकार करना बजाये देश की न्याय प्रणाली पर भरोसा किये बिना ? क्या इनको देश की न्याय प्रणाली पर यकीन नही जो अपने विरुद्ध हुये शोषण की पुलिस मे शिकायत दर्ज करवा पाती?#Me too की पीडिताओ को शायद देश की न्याय प्रणाली से ज्यादा मीडिया प्रणाली पर भरोसा किया आखिर क्यों ? कितनी पीडिताओ ने अब तक पुलिस मे शिकायत दर्ज करवायी नही करवायी तो क्यो नही करवायी इस बिषय पर भी जांच होनी चाहिये ! इस अभियान की एक बात और है कि इसप्रकार की घटनाओ को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने विशाखा गसिडलाइन जारी की हुयी है कि ऐसे मामलों किसी पीडिता का नाम उजागर न किया जाये लेकिन यहां तो पीडिता खुद ही विशाखा गाइडलान की अवहेलना कर रही है! इस अभियान के तहत एक खास विचारधारा के लोगो को शिकार बनाया जा रहा है कुछ समय पहले एक अभियान और चला था अवार्ड वापसी अभियान क्या यह अभियान उसी का विस्तारित रुप तो नही ?क्या जैसे अवार्ड वापसी अभियान की हवा निकली उसी तरह इस अभियान की भी हवा निकल जायेगी या इस अभियान मे शोषित पुलिस मे शिकायत दर्ज करवाकर न्याय के लिये लडेगी? ये देश लगातार नजर रखे हुये है कि यह अभियान सच मे न्याय पाने के लिये है या 2019 के चुनावो को ध्यान मे रखकर सरकार को बदनाम करने की साजिश? सभी पहलूओं की जांच उच्च स्तर पर की जानी चाहिये !

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