Sunday, December 22


बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने साफ कर दिया है, ‘कांग्रेस पार्टी के रवैये को देखते हुए अब हमारी पार्टी कांग्रेस पार्टी के साथ किसी भी कीमत पर मिलकर चुनाव नहीं लड़ेगी.’


बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने साफ कर दिया है, ‘कांग्रेस पार्टी के रवैये को देखते हुए अब हमारी पार्टी कांग्रेस पार्टी के साथ किसी भी कीमत पर मिलकर चुनाव नहीं लड़ेगी.’ पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले बीएसपी सुप्रीमो मायावती का यह ऐलान सियासी हलचल मचाने वाला है. हलचल विपक्षी खेमे में कहीं ज्यादा है, क्योंकि इस ऐलान के बाद बीएसपी ने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में कांग्रेस के साथ किसी भी सहमति की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया है.

लेकिन, इस ऐलान का मतलब सिर्फ विधानसभा चुनावों तक ही नहीं है. मायावती के इस ऐलान में दिख रही तल्खी से साफ है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भी वो कांग्रेस को पटखनी देने की पूरी कोशिश करेंगी यानी यूपी में भी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावना भी अब खत्म हो गई है.

मायावती की गुगली से कांग्रेस चित

 

मायावती ने कांग्रेस पर उनकी पार्टी बीएसपी को खत्म करने का आरोप लगाया है. उनके मुताबिक, कांग्रेस पार्टी के नेताओं के रवैये से लगता है कि वे लोग बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए गंभीर होने के बजाए, बीएसपी को ही खत्म करने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं. मायावती का आरोप है कि बदनामी मोल लेने के बावजूद भी बीएसपी ने बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस का साथ दिया लेकिन, बदले में कांग्रेस ने बीजेपी की तरह ही हमेशा दगा दिया है और पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है.

मायावती के हमले में कांग्रेस को चारों खाने चित करने की तैयारी है क्योंकि जो कांग्रेस बीजेपी पर जातिवादी और साम्प्रदायिक होने का आरोप लगाती रही है, अब मायावती ने सीधे कांग्रेस पर भी वही आरोप लगा दिए हैं.

बीएसपी सुप्रीमो मायावती की तरफ से किया गया कांग्रेस पर वार बीजेपी के लिए राहत है, कांग्रेस के लिए बाधक है, जबकि, खुद बीएसपी सुप्रीमो मायावती के लिए एक अगले लोकसभा चुनाव से पहले खुल कर खेलने का मौका है, यानी बंधन मुक्त मायावती जो कि आने वाले दिनों में अपने हिसाब से सौदा भी कर सकें और हालात के हिसाब से सियासी गोटी भी फिट कर सकें.

बीजेपी के लिए राहत

बात पहले बीजेपी की करें तो पार्टी मायावती के इस कदम से राहत की सांस ले रही है. कम-से-कम उन प्रदेशों में बीजेपी के लिए फिलहाल राहत है जहां कांग्रेस के साथ उसकी सीधी टक्कर है. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी सत्ता में है और विधानसभा चुनाव में उसे एक साथ कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

एंटीइंकंबेंसी फैक्टर के अलावा एससी-एसटी एक्ट के विरोध में बीजेपी के परंपरागत वोटर रहे सवर्ण समाज के विरोध ने पार्टी को परेशान कर दिया है. ऐसे वक्त में कांग्रेस के साथ बीएसपी के गठबंधन से पूरा का पूरा माहौल बदल सकता था. लेकिन, ऐसा हो न सका. बीजेपी के लिए यह राहत भरी बात है. तीसरी ताकत के तौर पर मायावती का मैदान में उतरना इन राज्यों में बीजेपी को फायदा पहुंचाने वाला रहेगा.

2013 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में बीएसपी को 6.29 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 4.30 फीसदी जबकि राजस्थान में 3.40 फीसदी था. ऐसे में कांग्रेस के साथ बीएसपी का वोट प्रतिशत जुड़ जाने पर यह आंकड़ा बीजेपी के लिए परेशान कर सकता था. खासतौर से छत्तीसगढ़ में और भी ज्यादा परेशानी हो सकती थी जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच वोट प्रतिशत का अंतर महज एक से डेढ़ फीसदी का ही रहा था.

महागठबंधन की कोशिशों को झटका

बात अगर कांग्रेस की करें तो कांग्रेस के लिए अब मायावती का रुख बड़ा बाधक बन सकता है. खासतौर से कांग्रेस ने जिस तरह महागठबंधन बनाने के लिए विपक्षी एकता की बात की थी, उससे देश भर में एक माहौल बनाने की कोशिश हो रही थी. यह कोशिश बीजेपी विरोधी सभी दलों को साथ रखकर चलने की थी. लेकिन, मायावती ने कांग्रेस की इन सभी उम्मीदों पर फिलहाल पानी फेर दिया है.

कांग्रेस के लिहाज से यूपी में एसपी-बीएसपी के साथ गठबंधन करना ज्यादा जरूरी था. लेकिन, न ही मायावती और न ही अखिलेश यादव की तरफ से कांग्रेस को लेकर उत्साह दिखाया जा रहा है. कांग्रेस अगर यूपी में महागठबंधन नहीं बना पाई तो फिर लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता की उसकी कोशिश परवान नहीं चढ़ पाएगी. मायावती की गुगली से कांग्रेस इस वक्त बुरी तरह से फंस गई है, क्योंकि कांग्रेस के ही जातिवादी-साम्प्रदायिक तीर से मायावती ने उसे घेर दिया है.

मायावती 

अब, बात मायावती की करें तो वो कांग्रेस पर पूरी तरह से ठीकरा फोड़ रही हैं. मायावती को पता है कि उनपर सीबीआई और ईडी जैसी जांच एजेंसियों के डर से कांग्रेस से दूर रहने के का आरोप लगेगा. कांग्रेस इन आरोपों को लगाकर बीजेपी के साथ मायावती की मिली-भगत का आरोप लगाएगी, लिहाजा, पहले से ही कांग्रेस पर उनका प्रहार शुरू हो गया है.

लेकिन, हकीकत यही है कि मायावती ने बड़ा सियासी दांव खेला है. मायावती ने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव में अपनी उपेक्षा के बहाने कांग्रेस को कायदे से किनारे लगा दिया है. मायावती को इन राज्यों के विधानसभा चुनावों से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. लेकिन, यूपी में लोकसभा चुनाव से पहले उनकी तरफ से जो दांव खेला गया है, उससे कांग्रेस खेमे में हड़कंप है. अगर एसपी के साथ बीएसपी का गठबंधन बन भी जाता है तो उस हालात में चुनाव बाद भी मायावती अलग अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होगी. लेकिन, चुनाव से पहले गठबंधन बनने से मायावती के लिए गठबंधन का ठप्पा लगा रहेगा जिससे बीएसपी के मुकाबले फायदा कांग्रेस को ही होगा.