गांव गोरखपुर के लगभग सभी परिवारों ने आआपा का दामन थामा: योगेश्वर शर्मा
/0 Comments/in HARYANA, PANCHKULA, STATES, TRICITY/by Demokratic Front Bureauकालका,16 सितंबर:
आम आदमी पार्टी का कहना है कि हरियाणा सरकार ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की नकल कर लोगों को सस्ती बिजली देने की नकल तो कर ली,मगर इसमें भी वे स्कूली बच्चों की तर्ज पर नकल में अकल नहीं लगा पाए। पार्टी का कहना है कि सरकार की इस सस्ती बिजली देने की योजना का लाभ आम आदमी को नहीं मिल पाएगा,क्योंकि सरकार ने इसके लिए जो पैरामीटर तय किए हैं,उसमें आम आदमी फिट नहीं बैठता। सरकार के बिजली विभाग की ओर से लोगों के घरों पर लगाये गये बिजली के मीटर इतनी तेजी से भागते हैं कि न न करते हुए भी हजारों रुपये के बिल एक गरीब परिवारों के घरों में आ जाते हैं जो शायद एक बल्ब ही जलाते हैं। फिर उसे ठीक करवाने जोने पर विभाग उनसे लड़ता है। इतना ही नहीं ज्यादातर इलाकों में तो बिजली की आपूर्ति ही नहीं होती। फिर यह सब लाभ भी एक जुमले से ज्यादा नहीं है।
यह बात आम आदमी पार्टी के अंबाला लोकसभा एवं पंचकूला जिला के अध्यक्ष योगेश्वर शर्मा ने गांव गोरखपुर में कही। वह आज यहां आआपा की कालका इकाई की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इसका आयोजन पार्टी के कालका विधानसभा के संगठन मंत्री प्रवीन हुड्डा ने किया था। उनकी मौजूदगी में अमर विर्थ, सुखदेव व प्रेम कुमार के नेतृत्व में लगभग पूरे गांव ने ही आआपा का दामन थामते हुए उसकी सदस्यता गृहण कर पार्टी के साथ चलने का उनसे वायदा किया। योगेश्वर शर्मा ने आगे कहा कि दिल्ली में आआपा की सरकार की ओर से 200 युनिट बिजली के 444 रुपये लिए जाते हैं,फिर चाहे कोई भी हो और लगभग 24 घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है। मगर हरियाणा में बिजली के दाम आज भी दिल्ली से ज्यादा हैं। फिर यहां पूरी बिजली भी नहीं मिलती। आप का दामने थामने के साथ साथ गांववालों ने योगेश्वर शर्मा को बताया कि उनके गांव में सालों से अनेकों समस्याएं जस की तस हैं। विभिन्न पार्टियों के नेता उनके पास सिर्फ चुनावों के वक्त ही आते हैं, उनकी इन समस्याओं का समाधान करवाने का वायदा कर वोट लेते हैं और फिर गायब हो जाते हैं। गांववालों ने उन्हें बताया कि उनके गांव में बिजली की समस्या सब से जटिल है,क्योंकि सारी रात गांव में बिजली नहीं आती और दिन में भी कुछ घंटों के लिए ही बिजली आती है। लोगों को सारा सारा दिन और सारी रात गर्मी और अंधेरे में ही गुजारना पड़ता है। ग्रामिणों ने शर्मा को बताया कि उनके गांव मेंसडक़ों की हालत खस्ता है और इसके लिए कोई सुनवाई नहीं होती। इसी प्रकार वे लोग पिछले 15 सालों से गांव में एक आंगनवाड़ी केंद्र खोलने की मांग करते आ रहे हैं ताकि गांव की महिलाएं कुछ सीख सकें,मगर उनकी यह मांग भी आज तक पुरी नहीं हुई। हालंाकि विधायक लतिका शर्मा ने चुनाव के वक्त सत्ता में आते ही दो माह में इसे खोलने का वायदा किया था।
इस पर आआपा के अंबाला लोकसभा एवं पंचकूला जिला के अध्यक्ष योगेश्वर शर्मा ने गांववालों को यह भरोसा दिया कि वह और उनकी पार्टी उनकी आवाज उठाते हुए सरकार को इन मांगों को पूरा करवाने के लिए हर लड़ाई लड़ेगी। इस अवसर पर उनके साथ सुरेंद्र राठी, कालका प्रधान ईश्वर सिंह, हस नैन, स्वर्णपाल,जसपाल सिंह, मनप्रीत सिंह भी थे।
स्कूल के बहार चाकुओंसे गोद कर की युवक कि हत्या
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पंचकूला:
पंचकूला के सेक्टर-7 स्थित मेजर संदीप सागर गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल के बाहर सोमवार दोपहर बाद एक छात्र ने पुरानी रंजिश के कारण दूसरे छात्र की चाकू गोदकर हत्या कर दी। जानकारी के अनुसार बताया जाता है कि मृतक विकास कुमार 11वीं कक्षा का छात्र था और उसका स्कूल के ही छात्र से आपसी विवाद चल रहा था।
सोमवार को दोनों पक्षों की ओर से कुछ लड़के स्कूल के बाहर खड़े थे। स्कूल की छुट्टी होते ही दोनों के बीच लड़ाई शुरू हो गई। आइटीआइ की ड्रेस में आए कुछ लड़कों ने विकास की छाती में चाकू घोंप दिया। विकास को चाकू लगने के बाद उसे बचाने के लिए 10वीं कक्षा का सूरज आया तो उसके भी हाथ पर भी लड़कों ने चाकू घोंप दिया। छात्रों एवं टीचरों ने सूरज एवं विकास को नागरिक अस्पताल सेक्टर 6 पहुंचाया, जहां पर डॉक्टरों ने विकास को मृत घोषित कर दिया, जबकि सूरज का इलाज चल रहा है। आरोपी मौके से फरार हो गए हैं।
घटना की सूचना मिलने के बाद एसीपी नूपुर बिश्नोई सहित सेक्टर 5 थाना प्रभारी एवं अन्य पुलिस अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। विकास के पिता बनवारी लाल फैक्टरी में काम करते है और मीना ब्रिटिश स्कूल में काम करती हैं। विकास का परिवार गांव रैली सेक्टर 12ए में रहता है। एसीपी नूपुर बिश्नोई ने कहा कि मामले की जांच चल रही है। आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
आज का राशिफल
/0 Comments/in NATIONAL, SPIRITUAL/by Demokratic Front Bureauआपका राशिफल
टिप्स फॉर 18-09-2018 मंगलवार हमारी हर टिप्स ज्यादा से ज्यादा शेयर करे सबका मंगल हो
*आज मुला – रवि योग – सौभाग्य योग – तिथि शुक्ल नवमी और पुरवा अशाढा नक्षत्र…
आज के योग के अनुसार आज निचे दिए मंत्रो की जप माला जरुर करे और आखिर में श्री सूक्तं स्तोत्र पाठ भी करे
मंत्र – ॐ गं गणधिपताये नमः ( एक या तिन माला जप करे )
मंत्र – ॐ श्रीम ह्रीं श्रीम कमले कमलालए प्रसिद प्रसिद श्रीम ह्रीं श्रीम ॐ महालाक्ष्मे नमः ( तिन माला जप )
आज का मंत्र लेखन – आज ॐ विनायकाय नमः यह मंत्र २१ बार लिख ( हो शके तो 108 बार लिखे )
आज क्या करे – आज हरेक कार्य हिम्मत के साथ करे तभी सफलता मिलेगी, कर्जा चुकाने के लिए उत्तम दिवस, कृषि विषयक कार्य के लिए आज का दिन उत्तम हे, रोमेंस के लिए भी शुभ दिन…
आज क्या ना करे – आज हो शके तो पैदल कम ही चले तो अच्छा हे, हो शके तो किसी भी चीज का अंत ना करे …
आज कहा जाना शुभ रहेगा – आज मछली घर या फिर कोई ऐसा तालाब जहा मछलिया रहती हो वहा जाना शुभ रहेगा
आज शाम 4 बजे से 6 बजे के बिच कोई भी शुभ कार्य ना करे
भोजन उपाय – आज भोजन में दही से बनी मीठी वस्तु जरुर खाए
दान पुण्य उपाय – आज गेहू और गुड का दान करे
वस्त्र उपाय – आज सफ़ेद या लाल रंग के वस्त्र धारण करे परन्तु काले रंग के वस्त्रो से परहेज करे
वास्तु उपाय – आज शाम घर में गुगुल और कपूर का धुप जरुर करे
सावधानी रक्खे – आज के ग्रहों के अनुसार आज जिन्हें हायपर एसिडिटी रोग की शिकायत ज्यादा रहती हे या फिर इससे जुडी कोई भी परेशानी ज्यादा रहती या ऐसी कोई भी समस्या से पीड़ित है वो आज अपने व्यवहार में एवं तामसी खान पान में सावधानी बरतें और ध्यान जरुर करे
18 सितम्बर जिनका जन्म दिन हे और जिनकी शादी की सालगिरह हे वो आज गणेश मंदिर में दुर्वा दल एवं गुलाब भेट करे
आज का राशिफल
18/09/2018
मेष
कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। तंत्र-मंत्र में रुचि रहेगी। रुके कार्यों में गति आएगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। घर-परिवार की चिंता रहेगी। जल्दबाजी न करें। चोट, चोरी व विवाद से हानि संभव है। अस्वस्थता रहेगी। शत्रु शांत रहेंगे। शरीर कष्ट संभव है।
वृष
वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। क्रोध पर नियंत्रण रखें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। विवेक से कार्य करें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। जल्दबाजी से बचें। लेन-देन में सावधानी रखें।
मिथुन
प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। वाणी पर नियंत्रण रखें। राजकीय बाधा दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। आय में वृद्धि होगी। वरिष्ठजनों का मार्गदर्शन सहज ही मिलेगा। भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होगी। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे।
कर्क
संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रमाद न करें। यात्रा सफल रहेगी। मनपसंद व्यंजनों का आनंद मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे।
सिंह
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। किसी आयोजन में सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त होगा। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। लाभ होगा। जल्दबाजी से कार्य बिगड़ेंगे। राजकीय कोप भुगतना पड़ सकता है।
कन्या
स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। शोक समाचार प्राप्त हो सकता है, धैर्य रखें। दौड़धूप अधिक होगी। आय में कमी बनी रहेगी। विवाद को बढ़ावा न दें। जोखिम न लें। घर-बाहर तनाव रहेगा। बुरी खबर मिलेगी। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
तुला
जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। मेहनत सफल रहेगी। कार्यसिद्धि से प्रसन्नता रहेगी। मान-सम्मान मिलेगा। आय में वृद्धि होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। जोखिम न लें। राजमान मिल सकता है। प्रयास सफल रहेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा।
वृश्चिक
घर में मेहमानों का आवागमन रहेगा। अच्छी खबरें प्राप्त होंगी। मान बढ़ेगा। विवाद से बचें। व्यवसाय ठीक चलेगा। अपेक्षाकृत काम पूरे होंगे। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। शुभ समाचार मिलेंगे। पुराना रोग उभर सकता है। स्वाभिमान बना रहेगा। प्रमाद न करें।
धनु
यात्रा, नौकरी व निवेश आदि मनोनुकूल लाभ देंगे। रोजगार में वृद्धि होगी। कोई बड़ी समस्या दूर होगी। प्रसन्नता रहेगी। प्रतिद्वंद्वी सक्रिय रहेंगे। जोखिम न लें। धन प्राप्ति सुगम होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति होगी। यात्रा सफल रहेगी।
मकर
पुराना रोग उभर सकता है। स्वास्थ्य पर बड़ा व्यय हो सकता है, सावधानी रखें। वाणी पर नियंत्रण रखें। लेन-देन में सावधानी रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। विवाद को बढ़वा न दें। फालतू खर्च होगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें।
कुंभ
पुराना डूबा हुआ धन मिल सकता है। यात्रा सफल रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त होंगे। प्रतिद्वंद्वी शांत रहेंगे। चोट व रोग से बाधा उत्पन्न हो सकती है। जोखिम न लें। प्रतिष्ठित लोगों से लाभ मिलेगा। शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। यात्रा लाभदायक रहेगी।
मीन
योजना फलीभूत होगी। नए अनुबंध हो सकते हैं। घर-बाहर पूछ-परख बढ़ेगी। अपेक्षाकृत कार्य पूर्ण होंगे। आय में वृद्धि होगी। प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। शत्रु भय रहेगा। बकाया वसूली होगी।
🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
आज का पंचांग
/0 Comments/in NATIONAL, SPIRITUAL/by Demokratic Front Bureau🌷🌷🌷पंचांग🌷🌷🌷
18 सितम्बर 2018, मंगलवार
विक्रम संवत – 2075
अयन – दक्षिणायन
गोलार्ध – उत्तर
ऋतु – शरद
मास – भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि – नवमी
नक्षत्र – मूल
योग – सौभाग्य
करण – बालव
राहुकाल –
3:00PM – 4:30PM
🌞सूर्योदय – 06:12 (चण्डीगढ)
🌞सूर्यास्त – 18:21 (चण्डीगढ)
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🚩उत्सव -🚩
उदासीन सम्प्रदाय महोत्सव।
🚩पर्व -🚩
श्री चन्द नवमी।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
चोघड़िया मुहूर्त- एक दिन में सात प्रकार के चोघड़िया मुहूर्त आते हैं, जिनमें से तीन शुभ और तीन अशुभ व एक तटस्थ माने जाते हैं। इनकी गुजरात में अधिक मान्यता है। नए कार्य शुभ चोघड़िया मुहूर्त में प्रारंभ करने चाहिएः-
दिन का चौघड़िया (दिल्ली)
चौघड़िया प्रारंभ अंत विवरण
लाभ 10:43 12:15 शुभ
अमृत 12:15 13:46 शुभ
शुभ 15:18 16:50 शुभ
रात्रि का चौघड़िया (दिल्ली)
चौघड़िया प्रारंभ अंत विवरण
लाभ 19:50 21:18 शुभ
शुभ 22:46 00:16 शुभ
अमृत 00:16 01:44 शुभ
एस एच ओ जीरकपुर कामकाज में कोताही के चलते निलंबित
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जीरकपुर:
आज आई.पी.एस. हर्मन हंस की इन्कवायरी के बाद एस.एच.ओ पवन कुमार को सस्पेंड कर दिया गया| सूत्रों के मुताबिक एस.एच.ओ जीरकपुर पवन कुमार को ड्यूटी पर लपरवाही के चलते सस्पेंड किया गया है | आरोप है कि पवन कुमार ने किसी केस में हाई कोर्ट के आदेशों की उलंघना की थी और वह अपने प्रबंधकों को भी ठीक से नही चला पा रहे थे | जब पत्रकार द्वारा आई.पी.एस. हर्मन हंस से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि पवन कुमार के विरुद्ध कई शिकायतें पाई जा रही थी और वह अपने कार्य में कई बार कोताही बरतते हुए पाए गए ! वह अपना काम कुशलतापूर्वक नही कर रहे थे, जिस कारण सख्ती बरतते हुए आज उन्हें निलम्बित कर दिया गया |
चुनावों से पाहिले सीटों के बटवारे को ले कर दबाव बना रही हैं मायावती
/0 Comments/in BIHAR, CHHATTIS GARH, DELHI, JHARKHAND, MADHYA PRADESH, NATIONAL, ODHISHA, POLITICS, RAJASTHAN, STATES, UTTAR PRADESH/by Demokratic Front Bureauअखिलेश यादव की बेसब्री कांग्रेस को लेकर नहीं बल्कि अपनी बुआ मायावती को लेकर है जिन्हें साथ लेकर वो ‘कैराना’ और ‘नूरपुर’ को 2019 में दोहराना चाहते हैं. लेकिन, उनकी यही बेसब्री लगता है उनपर भारी पड़ रही है
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने 11 सितंबर को पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस को भी निशाने पर लिया था. यूपीए सरकार की आर्थिक नीतियों के बहाने मायावती का कांग्रेस पर हमले के सियासी मायने निकाले जा रहे थे. कहा गया कि मायावती लोकसभा चुनाव और पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन में अपनी हिस्सेदारी को लेकर दबाव बनाने की तैयारी कर रही हैं.
अब पांच दिन बाद ही मायावती ने एक बार फिर हमला बोला है. लेकिन, इस बार उनके निशाने पर महागठबंधन के सभी संभावित सहयोगी हैं. इस बयान को भी दबाव की कोशिश माना जा रहा है.
मायावती की दबाव बनाने की कोशिश !
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा है ‘कुछ लोग राजनीतिक लाभ लेने के लिए अपना नाम मुझसे जोड़ते हैं. मुझे बुआ कहते हैं.’ भीम आर्मी के संस्थापक और सहारनपुर जातीय हिंसा मामले में आरोपी चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ ने भी जेल से बाहर आने के बाद मायावती को बुआ कहा था. मायावती कहती हैं ‘इन लोगों से मेरा कोई लेना-देना नहीं है. ये सब बीजेपी का गेम प्लान है.’
मायावती ने ‘बुआ-बबुआ’ के संबंधों को सिरे से खारिज कर दिया है लेकिन, उनके बयान का सियासी मतलब इससे कहीं बड़ा माना जा रहा है. क्योंकि चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ से पहले तो यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उन्हें बुआ कहते रहे हैं.
कई मौकों पर ‘बुआ-बबुआ’ के बीच लड़ाई होती रही है. लेकिन, अब दोनों के मिलकर चुनाव लड़ने को लेकर तैयारी की बात कही जा रही है. ऐसे वक्त में ‘बुआ-बबुआ’ के रिश्ते को खारिज करने के मायावती के बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है.
चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ से क्यों दूर रहना चाहती हैं मायावती?
चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ के साथ मायावती के रिश्ते की बात करें तो उन्हें लगता है कि ‘रावण’ के जेल से बाहर निकलने से उनके वोट बैंक पर असर पड़ेगा. सहारनपुर समेत पश्चिमी यूपी में दलित तबके में भीम आर्मी का असर धीरे-धीरे बढ़ रहा है. चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ अगर एक अलग ताकत के तौर पर अपने-आप को चुनावी राजनीति के केंद्र में लाते हैं या फिर चुनाव मैदान में उतरते हैं तो पूरे इलाके की दलित राजनीति पूरी तरह बदल जाएगी.
‘रावण’ के अलग ताकत के तौर पर चुनाव में आने के बाद इसका सीधा असर मायावती पर पड़ेगा. लेकिन, मायावती नहीं चाहती हैं कि कोई दूसरी ताकत दलित सियासत में उभर कर सामने आए. अपने बुरे दौर में भी मायावती को दलित समाज के एक बड़े तबके का समर्थन मिला हुआ है. ऐसे में किसी नए युवा दलित चेहरे को अगर दलित राजनीति में कोई स्पेस मिल जाता है तो शायद मायावती का वो एकाधिकार खत्म हो जाएगा.
यही वजह है कि बुआ का रिश्ता जोड़ने के बावजूद मायावती ने चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ से दूरी बनाने का फैसला किया है. मायावती नहीं चाहती हैं कि उनके साथ मिलकर या अलग रहकर भी भीम आर्मी इतनी ताकतवर हो जाए जो आगे चलकर बीएसपी को ही चुनौती देने लगे.
मायावती के रुख से अखिलेश की बढ़ी मुश्किलें !
लेकिन, मायावती को सबसे पहले बुआ कहने वाले बबुआ यानी अखिलेश यादव के लिए इस रिश्ते का खारिज होना ज्यादा परेशान करने वाला है. क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही अखिलेश यादव केंद्र की बीजेपी सरकार को हटाने के लिए हर कुर्बानी देने की बात कह रहे हैं. यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरफ से मायावती के साथ गठबंधन करने की मंशा और उसके लिए कुछ कदम पीछे हटने का संकेत पहले ही दिया जा चुका है.
यह अलग बात है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर राहुल के साथ गलबहियां करना अखिलेश यादव को भारी पड़ा था. अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ गठबंधन की गलती को दोहराने के मूड में कतई नहीं दिख रहे. अगर कांग्रेस गठबंधन में शामिल होती भी है तो उसे बेहद कम सीटों पर ही संतोष करना होगा. हो सकता है कि उसे यूपी की 80 सीटों में से दहाई का आंकड़ा भी सीट बंटवारे में नहीं मिले.
ऐसे में अखिलेश यादव की बेसब्री कांग्रेस को लेकर नहीं बल्कि अपनी बुआ मायावती को लेकर है जिन्हें साथ लेकर वो ‘कैराना’ और ‘नूरपुर’ को 2019 में दोहराना चाहते हैं. लेकिन, उनकी यही बेसब्री लगता है उनपर भारी पड़ रही है.
अखिलेश की अपरिपक्वता पड़ सकती है भारी
वक्त से पहले उनकी तरफ से कदम पीछे खींचने का संकेत उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता का संकेत दे रही है. बीजेपी को हराने के लिए लचीला रुख अपनाने के नाम पर अखिलेश यादव कुछ ज्यादा ही झुक गए हैं. उनके इसी लचीलेपन का फायदा मायावती भी उठाना चाह रही हैं. मायावती की तरफ से गठबंधन को लेकर अभी भी अपने पत्ते नहीं खोले जा रहे हैं.
मायावती ने एक बार फिर से कहा है कि उन्हें अगर सम्मानजनक सीटें नहीं मिलती हैं तो फिर गठबंधन नहीं होगा. मायावती की कोशिश मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस पर दबाव बनाने की है. उनकी तरफ से सम्मानजनक समझौते की बात करना यूपी में लोकसभा चुनाव के वक्त सीटों के बंटवारे से पहले इन तीन राज्यों में भी सीट बंटवारे को लेकर है, जहां कांग्रेस के खाते से बीएसपी कुछ सीटें झटकना चाहती हैं.
मायावती सियासी तौर पर कितनी परिपक्व हैं उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यूपी में पिछले लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी का खाता भी नहीं खुला था. विधानसभा चुनाव में एसपी से भी काफी कम सीटें मिली और उनकी पार्टी महज 19 सीटों पर सिमट गई थी. फिर भी, ऐन वक्त तक सौदेबाजी करने और दबाव बनाकर रखने की उनकी रणनीति अब अखिलेश को बैकफुट पर ला सकती है.
लगता है अखिलेश यादव भी अपनी गलतियों से नहीं सीख रहे हैं. अखिलेश ने विधानसभा चुनाव 2017 में जनाधार विहीन कांग्रेस के साथ समझौता कर अपने खाते की जो सीटें कांग्रेस को दीं, उससे उनकी ही पार्टी का नुकसान हुआ. अब मायावती के आगे सौदेबाजी करने के बजाए पहले से ही घुटने टेकने की उनकी कोशिश एक बार फिर उनकी पार्टी कैडर्स पर नकारात्मक असर ही डालेगी.
मुलायम सिंह यादव की विरासत को आगे बढ़ाने और उस पर अपना हक जताने वाले अखिलेश यादव भले ही परिवार के भीतर उठापटक में बाजी मार गए हों, लेकिन, अपने पिता से शायद वो सियासी दांव अब तक नहीं सीख पाए हैं, जिसमें तुरुप का पत्ता आखिरी वक्त तक संभाल कर रखा जाता है. वक्त से पहले मुठ्ठी खोलना अखिलेश की उस बेसब्री को दिखा रहा है जो उन्हें बैकफुट पर धकेल सकती है
कई बरसों के बाद अचानक एक मुलाकात… उस सारी नज्म लकीर फेर दी.
/0 Comments/in ENTERTAINMENT, NATIONAL, PAGE 3, PUNJAB, STATES, TRICITY/by Demokratic Front Bureauविवाहिता अमृता को जरा भी झिझक नहीं होती है अपने इश्क का इजहार करने में. वो साहिर के नजरिए से भी इस दास्तान को बयान करती हैं
पुरनूर, कोरल:
प्यार करना, उसका इजहार करना और फिर सुनने वालों से उसके लिए इज्जत पाना. जाहिर सी बात है कि ऐसे हादसे, खूबसूरत हादसे कहलाते हैं और शोहरत की पतंग बनकर मिसाल की डोर से बांध जाते हैं. आवागमन के इस मंच पर कुछ लोग प्रेम की मूरत बनकर आते हैं और हीर, लैला, मीरा या अमृता कहलाते हैं. ये प्रेम दीवाने अपने मन को दर्पण बनाते हैं और दुनिया के तमाम भले-बुरे कर्मों को देखते-दिखाते हैं.
आइए, अमृता प्रीतम के जन्मदिन पर बात शुरू करने के लिए उनकी एक याद को केंद्र में रखकर उस शख्सियत को समझने की कोशिश करते हैं जो कीचड़ में कमल की तरह हैं. वो कमल जिसे ‘विश्व का गर्भ’ कहा जाता है क्योंकि यह मन की पवित्रता, इंसानी स्वभाव और आध्यात्मिक रोशनी का प्रतीक है.
दोनों लंबी खामोशी में डूबे थे
‘अमृता-इमरोज़–ए लव स्टोरी’ इसकी लेखिका हैं उमा त्रिलोक, जो अमृता और इमरोज़ की दोस्त भी हैं. उमा लिखती हैं कि अमृता ने गुफ्तुगू के दौरान बताया कि एक दिन अचानक साहिर लुधियानवी ने अमृता से कहा ‘ऐसा क्यों नहीं हो सकता कि हम दोनों जाकर चीन में रहने लगें?’ मुझे साहिर की इस अचानक राय ने उलझा दिया. मैंने भी अचानक सवाल पर सवाल कर दिया, ‘हम वहां चीन जाकर क्या करेंगे?’ ‘हम वहां शायरी करेंगे.’ साहिर ने जवाब दिया. हैरत में डूबी अमृता के मुंह से अनायास ही निकल पड़ा, ‘शायरी तो हम यहां भी कर सकते हैं, चीन जाए बगैर.’ ‘हां बेशक हम कर सकते हैं लेकिन अगर हम चीन चले जाएं तो यहां लौटकर नहीं आयेंगे.’ साहिर ने जवाब दिया.
अमृता बता रही थीं कि इस तरह एक दोस्त ने, एक दोस्त के आगे जीवन-साथी बन जाने की पेशकश की, दोस्त ने पेशकश का सार समझा, उसे ठुकराया नहीं, बल्कि ये कह दिया कि ‘शायरी तो हम यहां भी कर सकते हैं, चीन जाए बगैर’.
साहिर की अधजली सिगरेटों ने पकड़ाई लत
इसके बाद आदतों ने पूरे दृश्य को संभाल लिया. लम्बी खामोशी में दोनों डूब गए. साहिर ने कुछ और सिगरेटें फूंकीं और चले गए. अमृता ने आदतन उन अधजली सिगरेटों को उठाया और अलमारी में उसी जगह रख दिया जहां ऐसी कई और सिगरेटें रखी थीं.
अपनी आत्मकथा ‘रसीदी-टिकट’ में अमृता लिखती हैं, ‘जब साहिर लाहौर में हमसे मिलने आते थे तो ऐसा लगता था जैसे मेरी खामोशी का ही एक हिस्सा मेरी बगल वाली कुर्सी पर पसर गया है और फिर अचानक उठकर चला गया…
‘वो खामोशी से सिगरेट जलाता और फिर आधी सिगरेट ही बुझा देता, फिर एक नई सिगरेट जला लेता. जबतक वो विदा लेता, कमरा ऐसी सिगरेटों से भर जाता. मैं इन सिगरेटों को हिफाजत से उठाकर अलमारी में रख देती. और जब कमरे में अकेली होती तो उन सिगरेटों को एक-एक करके पीती. मेरी उंगलियों में फंसी सिगरेट, ऐसा लगता कि मैं उसकी उंगलियों को छू रही हूं. मुझे धुएं में उसकी शक्ल दिखाई पड़ती. ऐसे मुझे सिगरेट पीने की लत पड़ी.’
विवाहिता अमृता को जरा भी झिझक नहीं होती है अपने इश्क का इजहार करने में. वो साहिर के नजरिए से भी इस दास्तान को बयान करती हैं. ‘साहिर ने बहुत बाद में, जीवन का काफी अरसा गुजर जाने के बाद एक दिन बताया था कि ‘उन दिनों लाहौर में मैं अक्सर तुम्हारे मकान के पास नुक्कड़ की दुकान से पान या सिगरेट के बहाने, कभी-कभी सोडे की बोतल पकडे घंटों गुजार देता और तुम्हारे घर की उस खिड़की पर टकटकी लगाए रखता जो उस तरफ खुलती थी.’
मुशायरे ने दो शायरों को मिलाया
अमृता और साहिर की पहली मुलाकात 1944 के आस-पास ‘प्रीत नगर’ में होती है, जो लाहौर और अमृतसर के बीच में पड़ता था. देखिये पहली मुलाकात की जगह भी अद्भुत है, प्रीतनगर. 25 साल की अमृता प्रीतनगर एक मुशायरे में शिरकत के लिए आई हैं. विवाहित हैं और पति का नाम है प्रीतम सिंह. वो प्रीतम जो देर तक जीवनसाथी नहीं रह सका लेकिन अमृता ने उसे अपने नाम का हिस्सा बना लिया.
इस मुशायरे में पंजाबी और उर्दू शायरों का जमावड़ा है. साहिर उठते हैं और मुशायरे में अपनी शायरी के जलवे बिखेरते हैं.
‘मुझे नहीं पता कि ये उसके शब्दों का जादू था या उसकी खामोश नजरों की जंजीर, में पूरी तरह से खुद को जकड़ा हुआ पा रही थी. मुशायरा आधी रात तक चला. उस रात बारिश भी झूम-झूम के हुई. आज जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं तो ऐसा लगता है जैसे उस रात, नसीब ने प्यार का एक बीज बोया, जिसे बारिश ने पाला.’
ये वो जमाना था जब मुशायरा और कवि सम्मलेन, समाज की सांस्कृतिक चेतना का केंद्र हुआ करते थे. अगले दो-तीन वर्ष अमृता-साहिर का ऐसे आयोजनों में बार-बार मिलना एक आपसी अनुराग में बदल गया. लेकिन इसी बीच विभाजन की त्रासदी ने नफरतों का वो तांडव किया कि एक प्रेम दीवानी को सोए हुए वारिस शाह को आवाज देनी पड़ी.
अज्ज आखां वारिस शाह नूं कित्थों कबरां बोल
ते अज्ज किताब-ए-इश्क दा कोई अगला वरका खोल
इक रोई सी धी पंजाब दी तू लिख-लिख मारे वैन
अज्ज लक्खां धीयां रोंदियाँ तैनू वारिस शाह नू कैन
उठ दर्दमदां देआ दर्देया उठ तक्क अपना पंजाब
अज्ज बेले लाशां बिछियां ते लहू दी भरी चिनाब
(आज मैं वारिस शाह से कहती हूं, अपनी कब्र से बोल/ और इश्क की किताब का कोई नया पन्ना खोल/ पंजाब की एक ही बेटी (हीर) के रोने पर तूने पूरी गाथा लिख डाली थी/ देख, आज पंजाब की लाखों रोती बेटियां तुझे बुला रही हैं/ उठ! दर्दमंदों को आवाज देने वाले! और अपना पंजाब देख/ खेतों में लाशें बिछी हुई हैं और चेनाब लहू से भरी बहती है.)
एक संगमरमरा का टुकड़ा थीं अमृता
अमृता एक बेहद खूबसूरत औरत थीं. फिल्म लेखक सी. एल. काविश इस खूबसूरती के बखान में उतने ही खूबसूरत शब्द तलाशते हुए कहते हैं, ‘अमृता एक संगमरमर का टुकड़ा थीं. अगर किसी संगतराश की आंखें उनपर पड़ गई होतीं तो वो एक ऐसी मूरत गढ़ता जो राधा की हू-ब-हू होती और आज मंदिरों में पूजी जा रही होती.’
अमृता पर जी-जान से न्योछावर उनके आशिक ‘इमरोज़’ अपने और अमृता के इश्क में साहिर की हिस्सेदारी को लेकर विलेन नहीं बनते बल्कि इस जज्बे की पूजा करते नजर आते हैं. किसी जगह, शायद उमा त्रिलोकी की ही किताब में, इमरोज़ खुद ही अमृता के इस इश्क का बयान करते हैं. वो कहते हैं कि अमृता की हमेशा से एक आदत थी कि वो हर वक़्त कुछ न कुछ लिखती रहती थीं. उनकी उंगलियाँ बिना पेन के भी चलती रहती थीं. इमरोज़ ऐसे मौकों को याद करते हैं जब वो स्कूटर से अमृता को ले जा रहे हैं और अमृता, इमरोज़ की पीठ पर आदतन उँगलियों से कुछ लिख रही है. इमरोज़ बताते हैं कि कई बार उन्होंने महसूस किया जैसे अमृता ने उनकी पीठ पर लिखा ‘साहिर’.
प्रीतम सिंह, साहिर, इमरोज़ और अमृता. ये मुहब्बत की कहानी के वो किरदार हैं जो प्यार को प्यार की हद तक जानते हैं. यहां खोने की कल्पना ही नहीं है.
‘गीता’ में कृष्ण कहते हैं ‘पाने का अर्थ है खोने की चिंता से मुक्त हो जाना.’ यहां किसी को खोने की चिंता ही नहीं है. किसी को किसी से इर्ष्या नहीं है. कोई किसी के रस्ते की दीवार ही नहीं है. इस तस्वीर को अमृता अपने शब्दों से ऐसे रंगती हैं –
कई बरसों के बाद अचानक एक मुलाकात
हम दोनों के प्राण एक नज्म की तरह कांपे
सामने एक पूरी रात थी
पर आधी नज्म एक कोने में सिमटी रही
और आधी नज्म एक कोने में बैठी रही
फिर सुबह हुई
हम कागज के फटे हुए टुकड़ों की तरह मिले
मैंने अपने हाथ में उसका हाथ लिया
उसने अपनी बांह में मेरी बांह डाली
और हम दोनों एक सेंसर की तरह हंसे
और कागज को एक ठंडी मेज पर रखकर
उस सारी नज्म लकीर फेर दी.
Left Unity clean sweeps JNUSU poll
/0 Comments/in DELHI, NATIONAL, POLITICS, STATES/by Demokratic Front BureauThe United Left Alliance — comprising left-leaning All India Students’ Association (AISA), Democratic Students Federation (DSF), Student Federation of India (SFI) and All India Students Federation (AISF) — on Sunday swept the Jawaharlal Nehru University Student Union elections with candidates from the coalition winning all central panel posts, a day after violence marred the counting process on campus on Saturday.
The Left Alliance candidate for the presidential post, N Sai Balaji, maintained a steady lead since counting resumed on Sunday and won with 2,151 votes. ABVP’s Lalit Pandey came second (972 votes), followed by BAPSA, RJD and NSUI.
Speaking of his loss, ABVP’s Pandey, said that they are taking the results as a win. Talking to News18, he said, “This is the win of our will. The Left had to form a coalition to defeat us. They had to come together to fight us.”
Even before all the votes were counted, celebrations erupted among the Left Alliance supporters on campus as they inched closer to victory.
Before the results were announced, Balaji asserted that the Left Alliance will fight against fund cuts and seat cuts if they won the elections. “Last year, we organised multiple protests against seat cuts and reservation cuts. However, we were attacked by the Delhi Police for the same,” he added.
“The people who accuse JNU of harbouring anti-national sentiments are themselves working against the country,” he also said.
In the polls to the general secretary’s position, Left Alliance candidate Aejaz Ahmad clinched victory with 2,426 votes, while ABVP’s Ganesh Gujar had to settle for 1,235 votes. The Left won by a margin of 1,193 votes.
Amutha Jayadeep, a Left alliance candidate, clinched the joint secretary’s post with 2,047 votes, while ABVP’s Venkat Chaubey received only 1,290 votes. Jayadeep won with a lead of 757 votes.
Counting of votes suspended on Saturday
Counting of votes in the JNU students union polls was suspended for over 14 hours on Saturday by election authorities citing “forcible entry” and “attempts to snatch away ballot boxes” at the counting venue, after the ABVP staged protests claiming it was not informed about the start of the process.
The counting, which was suspended at 4 am on Saturday, resumed at 6.30 pm the same day after two teachers from the Grievance Redressal Cell were appointed as observers for the exercise, officials said.
The deadlock at JNU persisted till evening with the ABVP accusing the election authorities of bias towards the Left outfits and threatening to move court.
The Election Committee, however, issued a statement saying it had made the announcement for counting agents to come and was following the rules.
It said, “A malicious lie is being spread on social media and among students that the Election Committee had not made three announcements and went forth with the entry of the counting agents for post of Central Panel for combined schools and Special Centres.”
As per the established norms, no new counting agents can enter the counting venue, once the seal of the boxes is opened.
“The Election Committee had to reject the request of new counting agents being allowed inside the counting venue. A few students had forcibly entered the building and reached the counting venue, thus we had to suspend the counting process,” it said.
The panel also claimed that their members, including women, faced intimidation.
On Sunday, to ensure transparency of counting of votes, constant announcements are being made about the total vote count and the specific vote share for each candidate.
The RSS-affiliated ABVP and the Left parties indulged in a blame game on Saturday as they accused each other of roughing up their members in the JNU with the Left even alleging that an attempt was made to kidnap one of their woman members outside the university.
This happened outside the School Of International Studies where the counting of votes for JNUSU took place.
Meanwhile, the Left members accused the ABVP members of attacking them in the evening and making an attempt to kidnap them around 10.30 pm. “While coming from the police station after registering a complaint against the goons of ABVP who violently attacked us today, a car with four men from which two men with handkerchief tied on their face came with belt, started beating us from all corners,” alleged a woman member of the Left bloc. She also claimed that they were armed.
Meanwhile, the Left also alleged that ABVP members were stationed inside the campus armed with sticks, a charge denied by the ABVP.
Fiery campaigning
Ahead of the elections on Friday, it was a fiery presidential debate with candidates alleging that “anti-national” elements were present on the institute’s campus and the country was turning into “lynchistan”.
In view of the upcoming Lok Sabha elections, JNUSU elections are vital in the political scenario of the nation. Requesting anonymity, some JNU students opined that the university is the core of youth politics and since many young leaders from JNU are currently contributing to national politics, the varsity election would also set the tone for the 2019 Lok Sabha election.
During his presidential debate speech on Wednesday night, Balaji, now the JNUSU president-designate, had said that the country was turning into ‘lynchistan’. “Mobs are allowed to kill people and get away with it as they have the backing of the RSS and the Central Government, and Prime Minister Narendra Modi. The country has been turned into lynchistan,” he had said.
“The year started with violence of Bhima Koregaon and we recently saw the arrests of activists and academics. This government is employing intimidating tactics. Here V-C is destroying the university, which the students have to reclaim,” he said.
Referring to the Supreme Court’s order that decriminalised homosexuality, Balaji had said the “future is rainbow and not saffron”.
Lalit Pandey, the ABVP candidate, alleged that there were “anti-national” elements present on the campus and promised to “fix” them if voted to the post.
The RJD candidate Jayant Kumar — first time RJD fielded a candidate in JNUSU polls — much like the Congress-affiliated NSUI’s nominee, Vikas Yadav, attacked the Centre over reducing funding for higher education, and lowering the number of seats at the Jawaharlal Nehru University (JNU) and scuttling with its reservation policy.
The Birsa Ambedkar Phule Student Association’s (BAPSA) presidential candidate, Thallapelli Praveen, said his party represents the voice of students from oppressed classes on the campus.
High voter turnout
The voter turnout in the keenly contested JNUSU election was 67.8 percent, believed to be the highest in six years. Over 5,000 students cast their votes.
“Since 2012, the elections are being conducted as per the Lyngdoh Committee recommendations. In the last six years, I have not seen such a high voting percentage,” an official had said.
Last year and in 2016, the voting percentage was 59 percent. In 2015, the voting percentage was 55 percent. In 2013 and 2014, the percentage hovered around 55 percent while in 2012, the voter turnout had reached 60 percent.
बेटियों की रक्षा करने में असक्षम खट्टर सरकार, खो चुकी है शासन का अधिकार ! मुख्यमंत्री खट्टर इस्तीफा दें- सुरजेवाला
/0 Comments/in CHANDIGARH, HARYANA, PANCHKULA, POLITICS, STATES, TRICITY/by Demokratic Front Bureau
चंडीगढ़- 16 सितम्बर, 2018
गैंगरेप व बलात्कार की लगातार हो रही घटनाओं से प्रदेश हुआ शर्मसार
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कोर कमेटी सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रदेश में बेटियों के साथ हो रही गैंगरेप व बलात्कारों की घटनाओं में वृद्धि को शर्मनाक बताते हुए इसे भाजपा सरकार की नाकामी का ज्वलंत उदाहरण बताया है।
रेवाड़ी सामूहिक दुष्कर्म मामले में खट्टर सरकार और हरियाणा पुलिस के संवेदनहीन रवैये और लचर कार्यवाही की कड़ी निंदा करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि इनके निकम्मेपन के चलते हरियाणा प्रदेश सबसे अधिक सामूहिक बलात्कार के मामलों में पूरे देश में बदनाम हो गया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा इस मामले पर कार्यवाही करना तो दूर पत्रकारों के सवाल पर उल्टा अपना आपा खोकर उन पर भड़कने से पता चलता है की सत्ता का घमंड भाजपा नेताओं के सर चढ़ कर बोल रहा है और उन्हें सत्ता से हटाने का उचित समय आ गया है।
सुरजेवाला ने कहा कि सीबीएसई टॉपर छात्रा से गैंगरेप जैसी शर्मनाक घटना के चार दिन बीत जाने के बावजूद अभी तक गिरफ्तारी भी नहीं हुई है और सरकार की और से पीड़ित परिवार को सहायता चेक देकर लज्जित किये जाने का निंदनीय प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बेटियों की रक्षा करने में असक्षम खट्टर सरकार शासन का अधिकार खो चुकी है और उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिये।
हरियाणा विधानसभा में दिए सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए सुरजेवाला ने कहा कि जब से प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है, तब से गैंगरेप, बलात्कार, महिलाओं के अपहरण व स्नेचिंग आदि महिला विरुद्ध अपराधों में भारी बढ़ोतरी हुई है, जिससे प्रदेश की महिलाएं पूर्णतया असुरक्षित महसूस कर रही हैं। सितम्बर 2014 से अगस्त 2015 के बीच राज्य में बलात्कार की 961 घटी, जो सितम्बर 2015 से अगस्त 2016 के बीच 1026, सितम्बर 2016 से अगस्त 2017 के बीच 1193 और सितम्बर 2017 से जून 2018 तक 1413 बलात्कार हुए, जिससे प्रदेश में बिगड़ रही स्थिति का पता चलता है।
सुरजेवाला ने कहा कि नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ें भी बताते हैं कि प्रदेश में वर्ष 2016 में हत्या के 1090, बलात्कार के 1198, सामूहिक बलात्कार के 191 और अपहरण के 4019 मामले दर्ज हुए, जिसका मतलब है कि प्रदेश में हर रोज़ लगभग तीन हत्याएं, तीन बलात्कार और 11 अपहरण की घटनाएं घटी।
सुरजेवाला ने कहा कि इन आंकड़ों से साफ पता चलता है कि अपराधों को रोकने में नाकाम यह सरकार अपराधियों के सामने पूरी तरह से सरेंडर कर चुकी है।
नेशनल क्राइम ब्यूरो के आकड़ें के हवाले से एक अहम् खुलासा करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि वर्ष 2016 में हरियाणा पुलिस ने केवल 56.2 प्रतिशत मामलों में चार्ज़शीट दायर की, जो देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में नीचे से दूसरे नंबर पर है।हरियाणा पुलिस के इस अदक्ष रवैये और निकम्मेपन से अपराधियों को बढ़ावा मिलता है और उनके हौंसले बुलंद होते हैं। देश में चार्ज़शीट दायर करने की राष्ट्रीय औसत 78.1 प्रतिशत है।
सुरजेवाला ने कहा कि मुख्यमंत्री खट्टर जिनके पास स्वयं गृह मंत्रालय है उनका गैंगरेप के सवालों से मुँह छुपाना और उनकी पार्टी के नेताओं के आ रहे बयान बेहद ही शर्मनाक हैं। मुख्यमंत्री प्रदेश में कानून व्यवस्था को बनाए रखने में पूरी तरह से नाकाम रहे हैं। बेटियों से हर रोज अनाचार, छेड़छाड़, वह्शीपन और बलात्कार हो रहे हैं, जिससे मानवता शर्मसार हो रही है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर कानून व्यवस्था कि लगातार असफलता पर चुप्पी साढ़े हुए हैं; जिससे साफ़ है की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा केवल खोखला नारा है और उन्हें बेटियों से कोई सरोकार नहीं है।
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