Friday, December 27


नमाज़ पढने के लिए मस्जिद कि ज़रुरत नहीं होती 

29 अक्टूबर से अगर लगातार अयोध्या मामले की सुनवाई चली तो इस पर फैसला जल्द आ सकता है. अगर ऐसा हुआ तो इस फैसले को लेकर सियासत काफी तेज होगी.


दिनेश पाठक:

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अपने फैसले में मस्‍जिद में नमाज पढ़ने को इस्‍लाम का अभिन्‍न हिस्‍सा मानने से जुड़े मामले को बड़ी बेंच को भेजने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि यह मसला अयोध्‍या मामले से बिल्‍कुल अलग है. कोर्ट ने अयोध्‍या मामले को धार्मिक मानने से भी इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि इस मामले की सुनवाई प्रॉपर्टी डिस्‍प्‍यूट यानी जमीन विवाद के तौर पर ही होगी.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से यह दलील दी गई थी कि मस्‍जिद में नमाज करने के मामले पर जल्द निर्णय लिया जाए. कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला 20 जुलाई को ही सुरक्षित रख लिया था. 27 सितंबर को अब इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है.

दरअसल, 1994 में इस्माइल फारूकी के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने फैसला दिया था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है. इसके साथ ही राम जन्मभूमि में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया गया था, जिससे हिंदू धर्म के लोग वहां पूजा कर सकें.

अयोध्या मामले पर जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है तो इस बीच मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से यह दलील दी गई थी कि 1994 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार के लिए बड़ी बेंच में भेजा जाए. लेकिन, कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर सुनवाई में तेजी आई है. कोर्ट ने अगले महीने 29 अक्टूबर से इस मामले की सुनवाई की तारीख भी तय कर दी है. अयोध्या का मामला काफी संवेदनशील रहा है. ऐसे में इस मसले पर सुनवाई को लेकर जब भी कोई चर्चा होती है, इस पर सियासत गरमा जाती है.

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है, ‘अगर इस मुद्दे को संवैधानिक खंडपीठ को भेजा जाता तो बेहतर होता.’ ओवैसी ने इशारों-इशारों में बीजेपी और संघ पर भी निशाना साधा.

ओवैसी ने भले ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत नहीं किया हो, लेकिन, आरएसएस की तरफ से इस फैसले का स्वागत किया गया है. संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने कहा है, ‘आज सर्वोच्च न्यायालय ने राम जन्मभूमि मुकदमे में तीन सदस्यीय पीठ के द्वारा 29 अक्टूबर से सुनवाई का निर्णय किया है, इसका हम स्वागत करते हैं और विश्वास करते हैं कि जल्द से जल्द मुकदमे का न्यायोचित निर्णय होगा.’

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी बात रखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह देश के हित में है अयोध्या विवाद का हल जल्द से जल्द निकाला जाए. इस देश के बहुसंख्यक लोग इसका समाधान चाहते हैं.

विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने भी अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है. आलोक कुमार ने कहा है, ‘मैं संतुष्ट हूं कि एक बाधा को पार कर लिया गया है. राम जन्मभूमि की अपील की सुनवाई के लिए रास्ता साफ हो गया है.’

संघ परिवार की तरफ से आ रही प्रतिक्रिया से साफ है कि अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उनकी उम्मीदें बढ़ गई हैं. हालांकि इस मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस जैसी राजनीतिक पार्टियां संभलकर चलना चाह रही हैं, क्योंकि, बीजेपी के एजेंडे में पहले से ही राम मंदिर रहा है. बीजेपी के चुनावी घोषणा-पत्र में भी राम-मंदिर है. लेकिन, जब कानून बनाकर राम मंदिर निर्माण की बात आती है तो इस मुद्दे पर बीजेपी का रुख कोर्ट के फैसले पर आकर टिक जाता है. राम मंदिर मुद्दे पर कानून बनाने की मांग हिंदूवादी संगठनों की तरफ से होती आई है. लेकिन, इस मुद्दे पर बीजेपी आपसी बातचीत या कोर्ट के फैसले पर आगे बढ़ने की बात करती रही है. जल्द फैसला आने की उम्मीद ने संघ परिवार के साथ-साथ बीजेपी के लिए भी कुछ मुश्किलें कम कर दी हैं.

2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामजन्मभूमि वाली जमीन को तीन हिस्सों में बांटकर एक हिस्से को रामलला, एक हिस्सा निर्मोही अखाड़ा और एक वक्फ बोर्ड के लिए देने की बात कही थी. इसे भी बीजेपी और संघ परिवार ने अपनी जीत के तौर पर ही देखा था. अब जबकि कोर्ट की तरफ से 1994 के फैसले को ही बरकरार रखा है, तो आने वाले दिनों में सुनवाई को लेकर संघ परिवार और बीजेपी उत्साहित नजर आ रही है.

2019 का लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई में होने वाला है. लेकिन, 29 अक्टूबर से अगर लगातार अयोध्या मामले की सुनवाई चली तो इस पर फैसला जल्द आ सकता है. अगर ऐसा हुआ तो इस फैसले को लेकर सियासत काफी तेज होगी. सुप्रीम कोर्ट का फैसला जो भी हो अयोध्या मुद्दा पर अगर फैसला चुनाव से पहले आ गया तो यह मुद्दा 2019 के महासमर में बड़ा मुद्दा बनकर उभरेगा