सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी पीठ को देने करने से मना कर दिया, नमाज पढने के लिये मस्जिद जरूरी नही

दिनेश पाठक, Sep 27, 2018

  • 15:27(IST)विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि मैं संतुष्ट हूं कि एक बाधा को पार कर लिया गया है. राम जन्मभूमि की अपील की सुनवाई के लिए रास्ता साफ हो गया है.

    ANI

    @ANI

    I am satisfied that this impediment has been defeated. The way is now clear for the hearing of Ram janmabhoomi appeals: Alok Kumar, VHP Working President on Ayodhya matter (Ismail Faruqui case)

  • 15:21(IST)

    बहुमत के निर्णय से बहुमत के लोग खुश होंगे, माइनोरिटी के निर्णय से अल्पसंख्यक प्रसन्न होगा. लेकिन जिस समस्या को लेकर हमने शुरुआत की है, उसका हल नहीं किया गया है. बात अंकगणित की नहीं है लेकिन इस बात की है कि सुप्रीम कोर्ट को एक आवाज में बोलना चाहिए.


    ANI

    @ANI

    Majority judgement will please majority,minority judgement will please minority.Very problem we started off with hasn’t been resolved.Not about arithmetic,but of convincing everybody that SC should’ve spoken in 1voice: Rajiv Dhawan, Petitioner’s counsel in Ayodhya title suit case


  • 14:46(IST)कोर्ट ने कहा कि इस्माइल फारूकी केस से अयोध्या जमीन विवाद का मामला प्रभावित नहीं होगा. ये केस बिल्कुल अलग है. अब इसपर फैसला होने से अयोध्या केस में सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है. कोर्ट के फैसले के बाद अब 29 अक्टूबर 2018 से अयोध्या टाइटल सूट पर सुनवाई शुरू होगी.

  • 14:46(IST)दोनों जजों के फैसले से जस्टिस नजीर ने असहमति जताई. उन्होंने कहा कि वह साथी जजों की बात से सहमत नहीं है. यानी इस मामले पर फैसला 2-1 के हिसाब से आया है. जस्टिस नजीर ने कहा कि जो 2010 में इलाहाबाद कोर्ट का फैसला आया था, वह 1994 फैसले के प्रभाव में ही आया था. इसका मतलब इस मामले को बड़ी पीठ में ही जाना चाहिए था.

  • 14:45(IST)जस्टिस अशोक भूषण ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि हर फैसला अलग हालात में होता है. पिछले फैसले के संदर्भ को समझना जरूरी है.’ जस्टिस भूषण ने कहा कि पिछले फैसले में मस्जिद में नमाज अदा करना इस्लाम का अंतरिम हिस्सा नहीं है कहा गया था, लेकिन इससे एक अगला वाक्य भी जुड़ा है.

  • 14:45(IST)जस्टिस भूषण ने अपना और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की तरफ से कहा कि इस मामले को बड़ी बेंच को भेजने की जरूरत नहीं है. जो 1994 का फैसला था हमें उसे समझने की जरूरत है. जो पिछला फैसला था, वह सिर्फ जमीन अधिग्रहण के हिसाब से दिया गया था.

  • 14:44(IST)फैसला पढ़ते हुए जस्टिस भूषण ने कहा- ‘सभी मस्जिद, चर्च और मंदिर एक समान रूप से महत्वपूर्ण हैं. राज्यों को इन धार्मिक स्थलों का अधिग्रहण करने का अधिकार है. लेकिन, इसका मतलब ये नहीं है कि इससे संबंधित धर्म के लोगों को अपने धर्म के मुताबिक आचरण करने से वंचित किया गया.’

  • 14:40(IST)

    अयोध्या मामले पर जस्टिस नजीर ने कहा कि बड़ी बेंच को यह तय करने की जरूरत है कि धार्मिक मान्यताओं की क्या भूमिका है

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