राहुल का मज़ा महागठबंधन और यूपीए के एक बड़े सहयोगी ने किरकिरा बना दिया

राफेल डील को लेकर कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर हमले कर रही है. किसी न किसी दिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कुछ नया दावा करते हैं. साथ ही ये भी कहते हैं कि अभी तो शुरुआत है…आगे और मज़ा आएगा. लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष के इस मज़े को विपक्ष के संभावित महागठबंधन और यूपीए के एक बड़े सहयोगी ने किरकिरा बना दिया है. एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि राफेल की डील को लेकर पीएम मोदी पर शक नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की नीयत पर किसी को भी शक नहीं है.

यूपीए की सहयोगी राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने मराठी चैनल को इंटरव्यू दिया. इस दौरान उन्होंने राफेल डील पर कांग्रेस की मांग पर सवाल उठाए तो साथ ही कहा कि राफेल की कीमतों को सार्वजनिक करने से सरकार का कोई नुकसान भी नहीं है.

पवार के इस बयान रूपी सर्टिफिकेट की भले ही मोदी सरकार को जरूरत हो या न हो लेकिन इससे राफेल डील को लेकर लगातार मोदी सरकार पर हमला करने वाली कांग्रेस की नीयत पर जरूर सवाल उठने लगेंगे. जिस मुद्दे पर राहुल गांधी पूरे देश में मोदी सरकार के खिलाफ माहौल तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं उसी मुद्दे पर उनके संभावित महागठबंधन और यूपीए के सहयोगियों में जबरदस्त विरोधाभास है. शरद पवार ही राहुल गांधी के आरोपों से इत्तेफाक नहीं रख रहे हैं और वो पीएम मोदी को राफेल डील पर क्लीन चिट दे रहे हैं.

राफेल की सवारी कर राहुल देश के पीएम के लिए जिन शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं उन आरोपों को खुद शरद पवार खारिज कर चुके हैं. ऐसे में राहुल के अमेठी से लेकर भोपाल तक पीएम मोदी के लिए आपत्तिजनक शब्दों के इस्तेमाल से कई सवाल जरूर खड़े होते हैं. क्या बोफोर्स की दलाली के लगे आरोपों का हिसाब-किताब बराबर करने के लिए राहुल गांधी पीएम मोदी को लेकर कुछ भी अनाप-शनाप बोलने की रणनीति पर काम कर रहे हैं?

अगर राहुल भी दूसरे कांग्रेसी नेताओं की तरह इसी तरह मोदी पर निजी हमले को अपनी रणनीतिक कामयाबी मान रहे हैं तो वो साल 2014 के चुनावों से कोई सबक नहीं ले रहे हैं. न सिर्फ 2014 का लोकसभा चुनाव बल्कि गुजरात विधानसभा चुनाव में भी मोदी के खिलाफ कांग्रेसी नेताओं के आपत्तिजनक बयानों ने बीजेपी की ही ताकत बढ़ाने का काम किया था. खुद पीएम मोदी बार बार ये कहते आए हैं कि जितना कीचड़ उछालोगे, उतना ही कमल खिलेगा.

एक तरफ कांग्रेस के लिए जहां एक बड़ी चिंता ये है कि चुनाव से पहले ही बीएसपी जैसे महागठबंधन के संभावित दल अलग अलग चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीं एनसीपी जैसी पार्टी के अध्यक्ष पीएम मोदी को राफेल के मामले में क्लीन चिट दे रहे हैं.

शरद पवार के इस बयान के दूरगामी राजनीतिक परिणामों का अभी कांग्रेस को अंदाजा नहीं है. पवार ने राहुल के मिशन 2019 को बड़ा झटका देने का काम किया है. उन्होंने ये भी कहा है कि विपक्ष जिस तरह से राफेल जेट से जुड़ी तमाम तकनीकी जानकारियों को सार्वजनिक करने की मांग कर रहा है उनका कोई औचित्य नहीं है.

मोदी सरकार को सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस महागठबंधन बनाने की रणनीति पर काम कर रही है तो वहीं शरद पवार विपक्ष के महागठबंधन की व्यावहारिकता पर भी सवाल उठा चुके हैं. उन्होंने कहा था कि महागठबंधन में क्षेत्रीय दलों के अपने-अपने जनाधार होने की वजह से चुनाव पूर्व महागठबंधन व्यावहारिक नहीं लगता है. साथ ही उन्होंने पीएम पद के मुद्दे पर कहा था कि पहली जरूरत ये है कि सभी बीजेपी विरोधी दल साथ मिल कर बीजेपी को चुनाव में हराएं और उसके बाद जिसके सबसे ज्यादा सांसद चुने जाएं उसी दल का पीएम बनाया जाए. पवार के इस बयान से राहुल को विपक्ष की तरफ से पीएम प्रोजेक्ट करने की कांग्रेस की कोशिश को भी बड़ा झटका लगा है.

 

अब हालात ये है कि बीएसपी-एसपी जैसी क्षेत्रीय पार्टियां अपने सियासी फायदे के लिए सम्मानजक समझौते और सीटों के नाम पर अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीएसपी ने कांग्रेस का हाथ झटक दिया है तो अब समाजवादी पार्टी भी कांग्रेस से किनारा करने का मन बना रही है.

अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल के राफेल-राग से अलग पवार के विचार बाकी विपक्षी दलों को भी सोचने पर मजबूर कर सकते हैं. बहरहाल, पवार के बयान से कांग्रेस के लिए शोचनीय स्थिति ये हो गई है कि उसके राफेल पर राजनीतिक हमलों का हश्र अविश्वास प्रस्ताव जैसा न हो.

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