आधार कार्ड पर उच्चतम न्यायलय का फैसला

नई दिल्ली 
सर्वोच्च न्यायलय में आधार की अनिवार्यता पर आज अहम फैसला आने वाला है। इस साल जनवरी से चल रही आधार मामले की सुनवाई पर शीर्ष अदालत ने 10 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। केंद्र सरकार समेत सभी याचिकाकर्ताओं की नजरें इस सुप्रीम फैसले पर लगी हैं। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई में 5 जजों की बेंच फैसला सुनाएगी। यह ऐसा फैसला है, जिसका असर आपकी जिंदगी पर दिखेगा। आइए जानते हैं आधार से जुड़ी से सारी जानकारी….

फैसले के पहले आधार की यात्रा, यहां जानिए सबकुछ
-28 जनवरी, 2009 को योजना आयोग ने UIDAI का नोटिफिकेशन जारी किया
-सितंबर 2010 में ग्रामीण महाराष्ट्र इलाके में योजना की लॉन्चिंग
-2010-11-नैशनल आइडेन्टफकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया बिल पेश किया गया। बाद में बिल को वित्तीय मामलों की स्टैडिंग कमिटी के पास भेजा गया। कमिटी ने निजता और संवेदनशील जानकारी पर सवाल उठाए।

ऐसे कोर्ट में गया मामला 

30 नवंबर 2012: रिटायर्ड जज के एस पुट्टास्वामी समेत कई जनहित याचिकाओं के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस भेजा।
23 सितंबर 2013-दो जजों की बेंच ने सभी मामले की सुनवाई का आदेश दिया।
26 नवंबर 2013- बेंच ने आदेश दिया कि इस मामले में सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश पार्टी बनाया जाएगा।

ससंद में यूं हुआ पास 
3 मार्च 2016- आधार बिल 2016 को लोकसभा में पेश किया गया, बाद में इसे वित्त विधेयक के रूप में पास कर दिया गया।
10 मई- कांग्रेस नेता जयराम रमेश आधार बिल को वित्त विधेयक के रूप में पास करने को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।
21 अक्टूबर- एस जी वोमबात्करे ने आधार ऐक्ट की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

ऐसे बढ़ता रहा आधार 
31 मार्च 2017- सरकार ने इनकम टैक्स ऐक्ट में सेक्शन 139AA शामिल किया। इसके तहत पैन कार्ड, रिटर्न फाइल करने के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया गया।
1 जून- आधार कार्ड को बैंक में अकाउंट खोलने और 50 हजार से ऊपर के लेनदेन पर अनिवार्य किया गया।
9 जून-दो जजों की पीठ ने आईटी ऐक्ट 139AA को बरकरार रखा। कोर्ट ने साथ ही कहा कि जिनके पास आधार कार्ड नहीं उसका पैन कार्ड कुछ समय के लिए अवैध नहीं माना जाएगा।

प्रिवेसी से जुड़ा मामला 
24 अगस्त 2017- सुप्रीम कोर्ट में नौ जजों की बेंच ने फैसला दिया कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार हैं। आधार के डेटा को भी इस फैसले से जोड़ा गया।

आधार पर 5 जजों की बेंच ने की सुनवाई 
17 जनवरी 2018- पांच जजों की बेंच ने आधार मामले की सुनवाई शुरू की।
10 मई 2018- सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर फैसला सुरक्षित रखा।

अगर फैसला आधार के खिलाफ तो?
-केंद्र सरकार कई जगहों पर आधार को अनिवार्य बना चुकी है। अगर फैसला खिलाफ आता है तो बड़ा असर होगा।
-सुप्रीम कोर्ट अगर बॉयोमिट्रिक डेटा जुटाने को गलत करार देता है तो यह प्रक्रिया रुक जाएगी। केंद्र सरकार के अनुसार अबतक देश में 90 फीसदी से ज्यादा लोगों का आधार बन चुका है।
-सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए अगर आधार की अनिवार्यता सुप्रीम कोर्ट खत्म कर देता है तो सरकार को अपनी योजनाओं को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए अन्य रास्ता आख्तियार करना होगा।
-अगर सुप्रीम कोर्ट बैंक अकाउंट, मोबाइल नंबर आदि के लिए आधार की अनिवार्यता को गलत बताता है तो कई आर्थिक और अन्य अपराध को रोकने के लिए केंद्र को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

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