बरसात से उजड़ी फसलों के प्रति सरका ज़िम्मेदारी तय करे: हूडा
चण्डीगढ़ 25 सितंबर 2018
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने एक ब्यान में कहा है कि खरीफ की कटाई के समय प्रदेश में भारी बरसात जिस तरह किसानों पर आफत बन कर आई वो बेहद चिन्ता का विषय है। धान के पानी में डूबने के कारण जहाँ उसकी क्वालिटी में गिरावट आयेगी, वजन में भी फर्क आना तय है। धान का जो दाना जमीन को छू गया, उसका अंकुरित होना लाजमी है, जो कटाई के वक्त नीचे ही रह जाएगा। मौसम की मार की वजह से पहले ही धान प्रति एकड़ कम बैठ रहा था, और अब बेमौसमी बरसात ने धान की फसल को बर्बाद कर दिया है।
हुड्डा ने कहा कि कुछ ऐसी ही स्थिति कपास की भी है। कपास की फसल को पहले ही उखेड़ा रोग व सफेद मक्खी ने काफी नुकसान पहुँचाया था अब बारिश ने बची हुई फसल को चौपट कर दिया है। जो बाड़ी पछेती थी उसका बारिश के कारण फूल झड़ गया है और अगेती के जो डोडे खिल चुके थे वो भी झड़ गए हैं। इसी तरह बाजरे की फसल को भी बारिश से काफी नुकसान पहुंचा है। न केवल दाना बदरंग हो गया है बल्कि ज्यादा नमी के कारण चेपा रोग भी आ गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री कहा कि स्थिति यह बन गई है कि हरियाणा के किसानों के सामने घोर संकट के हालात पैदा हो गए है। फसल बीमे में इतनी विसंगतियां हैं कि किसान को इसके नुकसान की भरपाई मुश्किल है। अतः सरकार अविलम्ब विशेष गिरदावरी के आदेश दे तथा उपरोक्त फसलों के नुकसान की भरपाई करे। गिरदवारी की औपचारिकता ऑफिस में बैठ कर पूरी ना हो बल्कि गाँव की पंचायत या जिम्मेवार लोगों की कमेटी को साथ लेकर मौके पर जाकर की जाए और एकड़ को इकाई माना जाए न कि गाँव या ब्लाक को। अगर सरकार ने इस विषय में ढिलाई बरती तो यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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