मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर कहा, ‘मिजोरम कांग्रेस आखिरकार अपनी ही हरकतों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ के सपने को पूरा करेगी, जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. मुख्यमंत्री के फरमान के आगे राहुल जी भी कुछ नहीं कर सकते.’
ऐसा लगता है कि कांग्रेस शासित राज्य मिजोरम भी असम की राह पर चल पड़ा है. इस राज्य में कुछ ही महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सोमवार दोपहर को अपने उपाध्यक्ष और राज्य के गृह मंत्री रहे आर लालजिरलियाना को कथित ‘पार्टी विरोध गतिविधियों’ के कारण निष्कासित कर दिया. इस कदम से राज्य में पार्टी के भीतर बढ़ रहे मतभेद सामने आ गए हैं. साथ ही, पार्टी संगठन में चल रहे मौजूदा विवाद को निपटाने में कांग्रेस नेतृत्व की अक्षमता का भी जाहिर होती है.
मिजोरम में कांग्रेस के सामने असम जैसी ही स्थिति
मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के चेयरमैन सी लालपियानथन्गा ने नोटिस जारी करते हुए लालजिरलियाना को निष्कासित कर दिया. कांग्रेस महासचिव और पार्टी में उत्तर-पूर्वी राज्यों के प्रभारी (असम को छोड़कर) लुइजिन्हो फलेरो ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया, ‘मिजोरम में आगामी विधासभा चुनाव से पहले यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. इस बारे में फैसला मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी की तरफ से लिया गया है. कमेटी ने एक सप्ताह पहले लालजिरलियाना को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे स्पष्टीकरण मांगा था.’
लालजिरलियाना के ऑफिस ने भी पत्रकारों से फोन पर बातचीत में इस खबर की पुष्टि की है. निकाले जाने के बाद अगर लालजिरलियाना आखिरकार विपक्षी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) में शामिल होते हैं तो यह कुछ वैसा ही होगा, जैसा असम में हुआ. असम में हेमंत बिस्वा शर्मा कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. लालजिरलियाना मिजोरम कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय और ताकतवर नेताओं में से एक रहे हैं.
असम की तरुण गोगोई सरकार में मंत्री रह चुके और उस वक्त कांग्रेस के लोकप्रिय नेता रहे हेमंत बिस्वा ने गोगोई से मतभेदों के बाद पार्टी छोड़ दी थी. तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और राज्य नेतृत्व की जमकर आलोचना की थी. शर्मा ने चिट्ठी में राज्य नेतृत्व पर मनमाना रवैया अपनाने और मुद्दों को निपटाने को लेकर उदासीन रवैया अख्तियार करने का आरोप लगाया था.
मुख्यमंत्री से नहीं बनने के कारण लालजिरलियाना को निकाला गया !
मिजोरम कांग्रेस पार्टी सूत्रों के मुताबिक, मिजोरम के मुख्यमंत्री ललथनहवला और लालजिरलियाना के बीच टकराव चल रहा है और पार्टी नेतृत्व ने इसे सुलझाने की दिशा में किसी तरह की दिलचस्पी नहीं दिखाई. ललथनहवला मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी हैं.
मिजोरम कांग्रेस पार्टी के एक सूत्र ने बताया, ‘इस मामले में कांग्रेस पार्टी की पूरी तरह से उदासीनता रही और पार्टी ने कभी इस मुद्दे को निपटाने के बारे में नहीं सोचा. लालजिरलियाना की नाराजगी की शुरुआत लंबे समय से सैतुअल को जिला बनाने की उनकी मांग पर किसी तरह का जवाब नहीं मिलने से शुरू हुई, जो उनके विधानसभा क्षेत्र तवा से जुड़ा शहर है. राहुल गांधी से लेकर सीएम ललथनहवला तक और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अन्य नेताओं ने भी इस संबंध में वादा किया था, लेकिन बाद में मुख्यमंत्री अपना वादे से पीछे हट गए. कांग्रेस नेतृत्व ने इन शीर्ष नेताओं को दिल्ली बुलाकर दिक्कतों को दूर करने का कभी प्रयास नहीं किया.’
मिजोरम के गृह मंत्री (लालजिरलियाना) ने जब 14 सितंबर को अपने पद से इस्तीफा दिया, तो उस वक्त पार्टी और राज्य सरकार में तनाव चरम पर पहुंच गया था. लालजिरलियाना ने अपने इस्तीफा पत्र में कहा था कि उनसे किए गए वादे पूरे नहीं किए गए और इसके विरोध में उन्होंने इस्तीफा दिया है.
लजिरलियाना 1998 से लगातार चार बार अपने विधानसभा क्षेत्र से चुने गए हैं. पार्टी सूत्रों ने बताया, ‘मिजोरम के सैतुअल में चुनाव प्रचार के दौरान उस वक्त कांग्रेस के उपाध्यक्ष पद पर मौजूद राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री की मौजूदगी में वादा किया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो लालजिरलियाना की अलग जिले की मांग को पूरा किया जाएगा. हालांकि, दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ. ललथनहवला ने इसे रोक दिया. इससे मिजोरम के लोगों में संदेश गया है कि मुख्यमंत्री के फरमान के आगे राहुल जी भी कुछ नहीं कर सकते.’
राज्य में विपक्षी मोर्चे के लिए अच्छे दिनों की आहट
इस बीच, खबर है कि एमएनएफ ने अपने चुनाव अभियान में कहा है कि अगर मोर्चा सत्ता में आता है तो वह सैतुअल को जिले का दर्जा प्रदान करेगा. मिजोरम कांग्रेस के भीतर एक तबके का मानना है कि कांग्रेस के वफादार लालजिरलियाना को हटाया जाना पार्टी के लिए आत्मघाती कदम जैसा होगा. इस तबके के मुताबिक, इस फैसले से आखिरकार एमएनएफ के अच्छे दिनों की वापसी का मार्ग प्रशस्त होगा.
सूत्रों ने यह भी बताया कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व मिजोरम में मौजूदा स्थिति में फेरबदल नहीं करना चाहता है. यह पार्टी की अक्षमता और अकुशलता की तरफ इशारा करता है. कांग्रेस पार्टी अपने स्थानीय नेतृत्व को बड़ी गलती करने की इजाजत दे रही है.
मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर कहा, ‘मिजोरम कांग्रेस आखिरकार अपनी ही हरकतों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ के सपने को पूरा करेगी, जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. लालजिरलियाना बेहद लोकप्रिय नेता हैं और यह बात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष को हजम नहीं हुई. वित्तीय दिक्कतों का बहाना बनाकर उन्होंने हमारे उपाध्यक्ष की मांग को रोक दिया और उसे ‘पार्टी विरोधी गतिविधि’ बताया. अनुशासन समिति ने सीधा ललथनहवला के निर्देश का पालन किया और लालजिरलियाना को निष्कासित कर दिया.’