दादुपुर नलवी नहर परियोजना जमीन मालिकों को ब्याज सहित मुआवजा जमा कराने का फैसला है गैरकानूनी और तुग़लकी

फोटो केवल संदर्भ हेतु


– कांग्रेस सरकार बनने पर किसानों से किया जाएगा न्याय; खट्टर मंत्रिमंडल के इस गलत फ़ैसले पर करेंगे पुनर्विचार
– कांग्रेस इस लड़ाई में पूरी तरह से किसानों के साथ, यदि किसान अदालत में जाएंगे तो हम खड़े होंगे साथ


चंडीगढ़।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और कांग्रेस कोर कमेटी के सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला ने खट्टर मंत्रिमंडल द्वारा दादुपुर नलवी परियोजना के लिए अधिग्रहित जमीन के लिए ब्याज के साथ मुआवजा जमा करवाने के फैसले की कड़ी निंदा करते हुए इसे गैरकानूनी और तुग़लकी फ़रमान बताया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार बनने पर किसानों से न्याय करते हुए खट्टर मंत्रिमंडल के इस गलत और किसान विरोधी फ़ैसले पर पुनर्विचार किया जाएगा।

पश्चिम बंगाल के सिंगुर जमीन अधिग्रहण मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए सुरजेवाला ने कहा कि वी गोपाल गौड़ा और अरुण मिश्रा के बेंच ने 31 अगस्त 2016 को दिए अपने फैसले में कहा था कि किसानों या भूस्वामियों को मुआवजा सरकार को लौटाने की जरूरत नहीं है क्योंकि उन्होंने 10 साल तक भूमि का उपयोग नहीं किया है। यही शर्तें दादूपुर नलवी नहर परियोजना पर भी पूरी तरह से लागू होती हैं लेकिन भाजपा मंत्रिमंडल के फैसले के अनुसार मूल मालिक या मालिक या उनके कानूनी वारिस भूमि को कब्जा लेने से पहले उनके द्वारा मुआवजा प्राप्त करने की तिथि से मुआवजा लौटाने की तिथि तक जमा राशि पर देय साधारण ब्याज के साथ पदनामित खाते में मुआवजा जमा करवाना होगा, जो की सुप्रीम कोर्ट के सिंगुर फैसले के अनुसार पूरी तरह गैरकानूनी है।

सुरजेवाला ने क़हा कि खट्टर मंत्रिमंडल के फैसले के अनुसार किसानों को बनी हुई नहर और तैयार सड़कों आदि इंफ्रास्ट्रक्चर को हटा कर वापिस अधिग्रहित भूमि को वापिस कृषि योग्य बनाने में लगभग 40 लाख रूपया प्रति एकड़ खर्च आएगा लेकिन मंत्रिमंडल ने उस के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है। यह किसान पर दोहरी मार है और इससे साफ़ स्पष्ट है की भाजपा सरकार की मंशा केवल मामले को लटका कर किसानों को परेशान करने की है।

सुरजेवाला ने क़हा कि कांग्रेस पार्टी किसानों की इस लड़ाई में पूरी तरह से उनके साथ खड़ी है और यदि किसान अदालत में जाएंगे तो हम उनके साथ कंधे से कन्धा मिलकर किसानों को हर संभव कानूनी मदद करेंगे।

सुरजेवाला ने बताया कि मंत्रिमंडल का यह फ़ैसले से एक तरफ प्रभावित किसानों से कुठाराघात किया गया है, दूसरी तरफ अंबाला, यमुनानगर और कुरुक्षेत्र जिलों के 225 गांवों की लगभग एक लाख हेक्टेयर जमीन को सिंचाई के संसाधनों से वंचित होना पड़ेगा, क्योंकि वो पहले ही डार्क जोन में हैं। इसके साथ-साथ प्रदेश की जनता के खून पसीने से खर्च सैंकड़ों करोड़ रुपए का भारी निवेश बेकार हो जाएगा क्योंकि जमीन अधिग्रहण के लिए प्रदेश सरकार द्वारा अभी तक लगभग 200 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका था। इसके अलावा सिंचाई विभाग द्वारा इन नहरों को बनाने में 111 करोड़ 17 लाख रु खर्च किए और पीडब्लूडी विभाग द्वारा भी सड़कें बनाने में लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

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