Sunday, December 22

 

 

यूपी के यादव परिवार में एक बार फिर आपसी रार शुरू हो गई है. विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी की कमान को लेकर पहली खींचतान हुई थी. मौजूदा विवाद पार्टी में रसूख को लेकर उठा है. शिवपाल यादव ने अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव को दो दिन में कोई फैसला लेने की मोहलत दी है.

मान-सम्मान न मिलने की पीड़ा जाहिर की थी

मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव ने पार्टी में मान-सम्मान न मिलने को लेकर सार्वजनिक तौर पर अपनी पीड़ा जाहिर की थी. उसके ठीक बाद ही ‘समाजवादी सेक्युलर मोर्चा’ का विवाद सामने आ गया. सूत्रों की मानें तो शिवपाल यादव को मनाने की हर कोशिश नाकामयाब हो चुकी है. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव भी अपनी बात पर अड़े हुए हैं. वह वक्त आने पर शिवपाल को कोई पद देने की बात कह रहे हैं.

मुलायम का रुख साफ नहीं

वहीं कई मौकों पर शिवपाल दोबारा मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की बात पर सब कुछ सामान्य हो जाने की बात कह चुके हैं. बड़ी बात ये है कि 2016 से लेकर ताजा विवाद होने तक मुलायम सिंह का रुख साफ नहीं हुआ है. किसी भी मौके पर उन्होंने न तो अखिलेश यादव के समर्थन में कोई संकेत दिया है और न ही कभी शिवपाल यादव के लिए खुलकर बोले हैं.

सैफई में बड़े कार्यक्रम की तैयारी

सूत्रों का कहना है कि शिवपाल यादव इस बार आरपार के मूड में हैं. मुलायम सिंह अपनी स्थिति शुक्रवार और शनिवार तक साफ कर दें, ये संकेत भी शिवपाल दे चुके हैं. कुछ इन्हीं कारणों के चलते उन्होंने लखनऊ और सैफई छोड़ दिल्ली में डेरा डाल दिया है. हालांकि वह मुजफ्फरनगर में एक कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं. सूत्रों की मानें तो मुलायम सिंह की हां-ना पर निर्भर रहने वाले एक बड़े कार्यक्रम की तैयारी सैफई में चल रही है.

कार्यक्रम शिवपाल यादव के स्वागत समारोह की तैयारी में किया जा रहा है. समारोह शिवपाल यादव का शक्ति प्रदर्शन भी माना जा रहा है. डॉ. बीआर आंबेडकर विश्वविद्वालय, आगरा में प्रोफेसर और राजनीति के जानकार मोहम्मद अरशद का कहना है कि मुलायम सिंह अगर किसी के भी पक्ष में बोलते हैं तो उससे नुकसान पार्टी को ही होगा.

मुलायम पर करता है सब निर्भर

अखिलेश के समर्थन में जाते हैं तो शिवपाल परिवार की डोर से मुक्त हो जाएंगे और खुलकर निर्णय लेने के लिए आज़ाद होंगे. वहीं अगर बेटे का साथ नहीं देंगे तो सपा कमजोर पड़ जाएगी और विरोधियों के हाथ अखिलेश को घेरने का नया हथियार मिल जाएगा. मालूम हो कि दिसंबर 2016 से फरवरी 2017 तक यादव परिवार का विवाद पार्ट-1 हुआ था. माना जाता है कि इस विवाद की वजह से समाजवादी पार्टी को यूपी विधानसभा चुनाव में काफी नुकसान हुआ. इसलिए पूरा यादव परिवार चाहता है कि विवाद का पार्ट-2 इतना ज्यादा न बढ़ जाए कि उसकी कीमत 2019 के लोकसभा चुनाव में भुगतनी पड़े.