राहुल कहने के लिए कहते हैं
इन/पिछले दिनों राहुल गांधी यूरोप दौरे पर हैं, उनके साथ मनीष तिवारी ओर सैम पित्रोदा दीख पड़ते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अक्सर अपने गांधी परिवार से आने के कारण निशाने पर रखा जाता है. साथ ही उन्हें आलोचना का भी सामना करना पड़ता है कि उनके पास एक संपन्न पृष्ठभूमि के अलावा कुछ भी नहीं है. ब्रिटेन में भी इस सवाल ने राहुल का पीछा नहीं छोड़ा. यहां राहुल गांधी से सवाल किया गया कि उनके पास गांधी सरनेम के अलावा और क्या है? राहुल ने जवाब दिया कि उन्हें सुने बिना किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए. उन्होंने ब्रिटेन के पत्रकारों से कहा कि उनकी ‘क्षमता’ के आधार पर उनके बारे में कोई राय बनानी चाहिए, ना कि उनके परिवार की ‘निंदा’ कर के.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘आखिर में यह आपकी इच्छा है. क्या आप मेरे परिवार की निंदा करेंगे या आप मेरी क्षमता के आधार पर मेरे बारे में कोई राय बनाएंगे… यह आपकी पसंद है. यह आप पर निर्भर करता है, मुझ पर नहीं.’
ब्रिटेन यात्रा पर गए राहुल गांधी ने कहा कि ‘मेरे पिता के प्रधानमंत्री बनने के बाद से मेरा परिवार सत्ता में नहीं रहा. यह चीज भूली जा रही है.’
राहुल ने कहा ‘दूसरी बात, ‘हां, मैं एक परिवार में पैदा हुआ हूं… मैं जो कह रहा हूं उसे सुनें, मुद्दों के बारे में मुझसे बात करें, विदेश नीति, अर्थशास्त्र, भारतीय विकास, कृषि पर, खुलेआम और स्वतंत्र रूप से मुझसे बात करें. मुझसे जो भी प्रश्न पूछना चाहते हैं, वह पूछें और फिर इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि मैं क्या हूं.’
चलिये राहुल गांधी को सुनें:
भाजपा और आरएसएस पर अपने हमले को तेज करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि लोग अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे जनवादी नेताओं का समर्थन इसलिए करते हैं, क्योंकि वे नौकरी नहीं होने को लेकर गुस्से में हैं. भारतीय पत्रकारों के संघ से बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि समस्या के समाधान की बजाए ये नेता उस गुस्से को भुनाते हैं और देश को नुकसान पहुंचाते हैं
डोकलाम:
जब राहुल गांधी से डोकलाम मुद्दे पर सवाल किया गया तो उनका जवाब था, ‘चीनी सैनिक अभी भी डोकलाम में हैं और उन्होंने वहां बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है. प्रधान मंत्री हाल ही में चीन गए और उन्होंने डोकलाम पर कोई चर्चा नहीं की… कोई यहां आ गया है, आपको थप्पड़ मारता है और आपके पास चर्चा के लिए कोई एजेंडा नहीं है.’
राहुल ने पीएम पर हमला करते हुए कहा कि अगर सरकार ने चीन की तरफ भी देखा होता तो डोकलाम जैसा मुद्दा सामने आया ही नहीं होता. डोकलाम जैसी घटना को पहले ही रोका जा सकता था.
आगे पढ़िये:
गांधी से एक युवक ने सवाल किया था कि वह चीन के साथ डोकलाम मुद्दे को कैसे सुलझाते तो वह इसका जवाब नहीं दे सके थे और कहा था कि उनके पास तथ्यात्मक जानकारी नहीं है इसलिए वह इस बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं।
भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया कि जब पूछा गया “अगर आपको मौका मिलता तो आप कैसे डोकलाम मसले को किस प्रकार से सुलझाते, गांधी अचकचा गए और कहा कि उनके पास विवरण नहीं है इसलिए कुछ कह नहीं सकते।” ..तो आश्चर्य है कि आखिर वह किस आधार पर सरकार की आलोचना कर रहे थे।( या यह कह रहे हे की मुझे मेरे ज्ञान से जाँचो)
अब हमनें राहुल गांधी को सुना तो क्या निष्कर्ष निकालें, मुझे हमारे इतिहास के एक प्राध्यापक की बात याद आती है जिनसे हम कुछ प्रश्नों का उत्तर जानने गए थे, उन्होने कहा था,”मैं किसी भी बेवकूफाना प्रश्न का उत्तर नहीं दूँगा।” मुझे हंसी आ गयी ओर अज्ञानता वश पूछ बैठा “सर, प्रश्न को आपके किन मानकों पर खरा उतरना होगा?” प्रश्न का उत्तर तो नहीं मिलना था सो नहीं मिला पर फटकार अवश्य मिल गयी
जारी है:
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